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राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife - NBWL)

भारत में वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता सुरक्षा के लिए कई संस्थागत ढांचे बनाए गए हैं। इनमें राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) देश का सर्वोच्च परामर्शदात्री निकाय है, जो वन्यजीव नीति, संरक्षण योजनाओं और संरक्षित क्षेत्रों की अधिसूचना संबंधी निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

NBWL की स्थापना वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत की गई थी, ताकि वन्यजीव संरक्षण को नीति-निर्माण स्तर पर संस्थागत समर्थन मिल सके।

संविधानिक और कानूनी आधार (Legal & Constitutional Basis)

  • संबंधित कानून: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
  • अध्याय: अधिनियम की धारा 5A – 5C
  • संविधानिक आधार:-
    • अनुच्छेद 48A (पर्यावरण और वन्यजीव की रक्षा राज्य का दायित्व)
    • अनुच्छेद 51A(g) (नागरिकों का मौलिक कर्तव्य – पर्यावरण एवं जीव-जंतुओं की रक्षा)

संरचना (Composition of NBWL)

NBWL एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) है जिसमें केंद्र और राज्य स्तर के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक और NGO शामिल होते हैं।

धारा 5A के अनुसार संरचना:

कुल 47 सदस्य -

सदस्य

विवरण

(1) अध्यक्ष

भारत के प्रधानमंत्री

(2) उपाध्यक्ष

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री

(3) सदस्य

5 संसद सदस्य (लोकसभा – 3, राज्यसभा – 2)

(4) सदस्य सचिव

पर्यावरण मंत्रालय (MoEFCC) का निदेशक / सचिव

(5) सदस्य

10 गैर-सरकारी संगठन / विशेषज्ञ (वन्यजीव संरक्षण में विशेषज्ञता रखने वाले)

(6) सदस्य

राज्य सरकारों / केंद्रशासित प्रदेशों के 15 प्रतिनिधि

(7) सदस्य

वैज्ञानिक, पारिस्थितिकीविद् और वन्यजीव संस्थानों के निदेशक जैसे – WII, ZSI, BSBI आदि

उद्देश्य (Objectives of NBWL)

  1. राष्ट्रीय वन्यजीव नीति तैयार करना और उसकी समीक्षा करना।
  2. संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य आदि) से संबंधित नीतिगत सलाह देना।
  3. वन्यजीव संरक्षण हेतु अनुसंधान, शिक्षा और जन-जागरूकता को बढ़ावा देना।
  4. अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव संधियों (जैसे CITES, CBD) पर भारत की नीति को समन्वित करना।
  5. मानव-वन्यजीव संघर्ष, शिकार, और अवैध व्यापार से निपटने के लिए दिशानिर्देश देना।

कार्य और शक्तियां (Functions & Powers of NBWL)

धारा 5C के अंतर्गत कार्य:

  1. राष्ट्रीय वन्यजीव नीति तैयार करना और समय-समय पर संशोधन की सिफारिश।
  2. संरक्षित क्षेत्रों में परियोजनाओं की स्वीकृति / अस्वीकृति
    • किसी राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य क्षेत्र में विकास परियोजना (जैसे सड़क, खनन, बांध आदि) तभी स्वीकृत की जा सकती है जब NBWL अनुमति देता है।
  3. वन्यजीव संरक्षण के लिए दीर्घकालिक योजना बनाना।
  4. संरक्षण अनुसंधान को प्रोत्साहन देना और भारत के वन्यजीव डाटाबेस को सुदृढ़ करना।
  5. राज्य वन्यजीव बोर्डों को मार्गदर्शन देना।

राष्ट्रीय वन्यजीव कार्ययोजना (National Wildlife Action Plan – NWAP)

NBWL ने अब तक तीन कार्ययोजनाएं जारी की हैं:

संस्करण

अवधि

पहली (1983–2001)

पारंपरिक संरक्षण और अभयारण्यों का विस्तार।

दूसरी (2002–2016)

मानव-वन्यजीव संघर्ष, सामुदायिक सहभागिता, और नीति समन्वय।

तीसरी (2017–2031)

“पर्यावरण और विकास में संतुलन” — जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, सामुदायिक भागीदारी, और जैव विविधता को संरक्षण से जोड़ना।

NBWL की प्रमुख उपलब्धियां (Major Achievements)

  1. संरक्षित क्षेत्रों के विस्तार में योगदान:
    • 1970 के दशक में केवल 5% से कम क्षेत्र संरक्षित था; अब यह 5.32% हो गया है।
  2. राष्ट्रीय वन्यजीव कार्ययोजना (NWAP 2017–2031) को स्वीकृति दी।
  3. इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (IBCA) के गठन को बढ़ावा दिया।
  4. मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन के दिशानिर्देश तैयार किए।
  5. प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलिफेंट जैसी योजनाओं की नीति-गत निगरानी।

NBWL से संबंधित आलोचनाएं (Criticisms & Challenges)

मुद्दा

विवरण

1. राजनीतिक प्रभाव

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता होने से वैज्ञानिक निर्णयों पर राजनीतिक प्रभाव की संभावना।

2. पारदर्शिता की कमी

परियोजनाओं की स्वीकृति प्रक्रिया में जनसुनवाई और पारदर्शिता का अभाव बताया गया है।

3. विकास बनाम संरक्षण विवाद

NBWL ने कई विकास परियोजनाओं (सड़क, खनन) को संरक्षित क्षेत्रों में मंजूरी दी, जिससे आलोचना हुई।

4. बैठकें अनियमित

कई बार वर्षों तक बोर्ड की बैठकें नहीं होतीं।

5. राज्य स्तर पर कम समन्वय

राज्य वन्यजीव बोर्डों के साथ तालमेल में कमी।

आगे की राह (Way Forward)

  1. पारदर्शी अनुमोदन प्रक्रिया: परियोजना स्वीकृति से पहले वैज्ञानिक मूल्यांकन और सार्वजनिक परामर्श अनिवार्य हो।
  2. राज्य बोर्डों को सशक्त बनाना: ताकि स्थानीय स्तर पर प्रभावी संरक्षण नीति बन सके।
  3. वैज्ञानिक और डेटा-आधारित निर्णय: जैव विविधता डेटा का नियमित अद्यतन।
  4. वन्यजीव गलियारे (Wildlife Corridors) को कानूनी दर्जा देना।
  5. सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय लोगों को संरक्षण और इको-टूरिज्म में सहभागी बनाना।

निष्कर्ष (Conclusion)

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड भारत के वन्यजीव संरक्षण ढांचे की रीढ़ है। यह न केवल नीति निर्धारण में, बल्कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कायम रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। भविष्य में NBWL की सफलता इसी पर निर्भर करेगी कि वह वैज्ञानिक, पारदर्शी और सहभागी निर्णय-प्रक्रिया को अपनाकर वन्यजीवों की सुरक्षा को “सतत विकास” के केंद्र में रखे।

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