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नायरा रिफाइनरी: महत्वपूर्ण ऊर्जा केंद्र और वैश्विक प्रतिबंध

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा 18 जुलाई 2025 को लगाए गए प्रतिबंधों के बाद, ब्रिटेन ने 15 अक्टूबर 2025 को नायरा की वाडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाए, जो रूस के यूक्रेन आक्रमण के खिलाफ पश्चिमी देशों की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

नायरा रिफाइनरी के बारे में

  • नायरा एनर्जी लिमिटेड भारत की एक प्रमुख निजी तेल रिफाइनिंग और विपणन कंपनी है, जो रूसी राज्य-स्वामित्व वाली कंपनी रोसनेफ्ट के 49.13% शेयरों के साथ संचालित होती है। 
  • इसे वाडिनार रिफाइनरी के नाम से भी जाना जाता है, भारत की दूसरी सबसे बड़ी एकल-स्थान रिफाइनरी (प्रथम- जामनगर रिफाइनरी) है।
  • यह भारत की रिफाइनिंग क्षमता का लगभग 8% योगदान देती है और देश के लगभग 7,000 ईंधन स्टेशनों का संचालन करती है। 
  • भारत सरकार नायरा को संचालन जारी रखने में सहायता कर रही है, क्योंकि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
  • यह लगभग 55,000 लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार देती है।

यू.के. द्वारा नायरा पर प्रतिबंध

  • यह प्रतिबंध रूसी तेल कंपनियों लुकोइल और रोसनेफ्ट को लक्षित करते हैं, जिनके स्वामित्व वाली नायरा ने वर्ष 2024 में 100 मिलियन बैरल रूसी क्रूड (5 अरब डॉलर से अधिक मूल्य) आयात किया था। 
  • प्रतिबंधों का मुख्य कारण रूस के यूक्रेन आक्रमण के खिलाफ पश्चिमी देशों की रणनीति है, जिसका उद्देश्य रूसी तेल राजस्व को कम करना है। 
  • नायरा को "भारत में रोसनेफ्ट की सबसे बड़ी रिफाइनरी" के रूप में चिह्नित किया गया, क्योंकि यह रूसी क्रूड को परिष्कृत करके पेट्रोलियम उत्पाद बनाती है। 

प्रभाव

  • नायरा का यूरोप में बाजार बंद हो गया और यूरोपीय बैंकिंग, बीमा तथा तकनीकी सेवाओं तक पहुंच सीमित हो गई। 
  • रिफाइनरी में क्रूड रन 80% तक कम हो गए और अब केवल रूसी क्रूड पर निर्भरता है (इराक और सऊदी आपूर्ति बंद)। 
  • माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों ने सेवाएं रोक दीं, जिससे आई.टी. सिस्टम प्रभावित हुए। 
  • संचालन में दैनिक चुनौतियां बढ़ गई हैं, और कंपनी को 'शैडो फ्लीट' टैंकरों का उपयोग करना पड़ रहा है।

चुनौतियां

  • आपूर्ति श्रृंखला बाधा: विशेष उपकरण, उत्प्रेरक और कच्चे माल की प्राप्ति कठिन।
  • वित्तीय बाधाएं: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने व्यापार और विदेशी मुद्रा लेनदेन रोके; भुगतान और बीमा मुश्किल।
  • निर्यात और बाजार हानि: पश्चिमी, मध्य पूर्वी और एशियाई व्यापारियों ने दूरी बनाई; नए खरीदार ढूंढना चुनौतीपूर्ण।
  • भू-राजनीतिक दबाव: अमेरिकी दबाव बढ़ सकता है; डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन से कड़े प्रतिबंधों का खतरा।
  • परिचालन जोखिम: 'डार्क फ्लीट' टैंकरों का उपयोग, जो भविष्य में प्रतिबंधित हो सकते हैं; उत्पादन क्षमता में कमी।

आगे की राह

  • नायरा एनर्जी ने भारत में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें पेट्रोकेमिकल्स, इथेनॉल प्लांट्स, विपणन बुनियादी ढांचा शामिल हैं। 
  • कंपनी वर्ष 2030 तक ईंधन स्टेशनों की संख्या 50% बढ़ाने की योजना बना रही है। 
  • लंबी अवधि में, विविधीकरण (ग्रीन हाइड्रोजन, पेट्रोकेमिकल्स में प्रवेश) और राज्य-नियंत्रित तेल कंपनियों को निर्यात बिक्री पर फोकस किया जाए। 
  • वैश्विक गतिशीलता में बदलाव (जैसे रूस-यूएसए समाधान) से स्थायी हल संभव है। 
  • नायरा भारत की ऊर्जा प्राथमिकताओं से जुड़ी रहेगी, लेकिन प्रतिबंधों से निपटने के लिए रणनीतिक अनुकूलन आवश्यक होगा
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