(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 जून को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रोफाइनेंस संस्थान (NBFC-MFI) के लिए अर्हक परिसंपत्ति सीमा को 75% से घटाकर 60% कर दिया है।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- माइक्रोफाइनेंस संस्थान (NBFC-MFI) के बारे में
- परिचय : ये ऐसी वित्तीय संस्थाएं हैं जो गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) के रूप में पंजीकृत होती हैं और मुख्यत: माइक्रोफाइनेंस सेवाएँ प्रदान करती हैं।
- उद्देश्य : उन लोगों को सूक्ष्म ऋण (माइक्रोक्रेडिट) उपलब्ध कराना, जो पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक नहीं पहुंच पाते है, जैसे- निम्न आय वर्ग, ग्रामीण क्षेत्रों के लोग, छोटे उद्यमी एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग।
- उदाहरण : क्रेडिटएक्सेस ग्रामीण लिमिटेड, उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक और बंधन बैंक जैसे संस्थान इस क्षेत्र में प्रमुख हैं।
प्रमुख विशेषताएँ
- संपार्श्विक-मुक्त ऋण : ये संस्थान बिना किसी गारंटी या संपत्ति के छोटे ऋण प्रदान करते हैं। आर.बी.आई. के दिशानिर्देशों के अनुसार, ये ऋण ₹3 लाख तक की वार्षिक घरेलू आय वाले परिवारों को दिए जाते हैं।
- लक्षित समूह : यह मुख्यत: समाज के आर्थिक रूप से वंचित वर्गों, जैसे- महिलाओं, छोटे किसानों एवं स्व-रोजगार करने वालों को लक्षित करते हैं।
- वित्तीय समावेशन : ये संस्थान वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हैं, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच मिलती है जो उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- आर.बी.आई. विनियमन : ये आर.बी.आई. के कड़े दिशानिर्देशों के तहत कार्य करते हैं।
अर्हक परिसंपत्ति सीमा में बदलाव
- आर.बी.आई. ने एन.बी.एफ.सी.-एम.एफ.आई. के लिए अर्हक परिसंपत्ति सीमा को कुल परिसंपत्तियों (अमूर्त परिसंपत्तियों को घटाकर) के 75% से घटाकर 60% कर दिया है।
- इस बदलाव का उद्देश्य इन संस्थानों को अपने परिसंपत्ति आधार में विविधता लाने की अनुमति देना है।
- अब इन संस्थानों को अपनी कुल परिसंपत्तियों का न्यूनतम 60% माइक्रोफाइनेंस ऋणों में निवेश करना होगा और यह अनुपालन निरंतर आधार पर सुनिश्चित करना होगा।
- यदि कोई एन.बी.एफ.सी.-एम.एफ.आई. लगातार चार तिमाहियों तक इस सीमा को बनाए रखने में विफल रहता है तो उसे सुधार योजना के साथ आर.बी.आई. से संपर्क करना होगा।
- यह नियम इन संस्थानों को विनियामक अनुपालन के प्रति जवाबदेह बनाता है और उन्हें परिचालन में लचीलापन प्रदान करता है।
माइक्रोफाइनेंस ऋण की परिभाषा
- माइक्रोफाइनेंस ऋण को संपार्श्विक-मुक्त (कोलेटरल-फ्री) ऋण के रूप में परिभाषित किया गया है जो ₹3 लाख तक की वार्षिक घरेलू आय वाले परिवारों को प्रदान किया जाता है।
- इस संदर्भ में परिवार का अर्थ पति, पत्नी एवं उनके अविवाहित बच्चों से है। यह परिभाषा सुनिश्चित करती है कि माइक्रोफाइनेंस का लाभ वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक पहुंचे।
नीतिगत बदलाव का प्रभाव
- अर्हक परिसंपत्ति सीमा में कमी एन.बी.एफ.सी.-एम.एफ.आई. को अपने परिचालन में तेजी से विविधीकरण करने में सक्षम बनाएगी।
- परिसंपत्ति आधार में विविधीकरण से ये संस्थान नए वित्तीय उत्पाद एवं सेवाएँ शुरू कर सकते हैं जिससे उनकी आय के स्रोत बढ़ेंगे।
- यह बदलाव बैलेंस शीट की स्थिरता को बढ़ावा देगा और इन संस्थानों को आर्थिक चक्रों के उतार-चढ़ाव में मजबूत आय सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
- यह बदलाव जोखिम प्रबंधन को बेहतर बनाने में भी मदद करेगा क्योंकि माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर निर्भरता कम होने से आर्थिक अस्थिरता के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- हालांकि, इस लचीलेपन के साथ-साथ अनुपालन की चुनौतियाँ भी हैं। एन.बी.एफ.सी.-एम.एफ.आई. को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे न्यूनतम 60% अर्हक परिसंपत्ति सीमा को निरंतर बनाए रखें।
- इसके लिए मजबूत निगरानी एवं प्रबंधन प्रणालियों की आवश्यकता होगी।