(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य) |
संदर्भ
मुख्य न्यायाधीश भूषण रमाकांत गवई ने औपचारिक रूप से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के बारे में
- भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय और भारत की न्यायपालिका के प्रमुख होते हैं जो न्यायिक प्रशासन, मामलों (केस) के आवंटन और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं।
- मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (2) द्वारा शासित होती है। इसके अनुसार राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों के परामर्श के बाद करेंगे, जिन्हें आवश्यक समझा जाए।
नियुक्ति की प्रक्रिया
- विधि मंत्री द्वारा पहल : वर्तमान मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति से कम से कम एक माह पूर्व केंद्रीय विधि मंत्री द्वारा भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश से सिफारिश की मांग की जाती है।
- वरिष्ठता सिद्धांत : परंपरागत रूप से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश (जिन्हें पद के लिए उपयुक्त माना जाता है) को अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में अनुशंसित किया जाता है। हालाँकि, यदि योग्यता या निष्ठा को लेकर कोई चिंता हो, तो निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश अनुच्छेद 124(2) के अनुसार अन्य न्यायाधीशों से परामर्श करते हैं।
- अनुशंसा प्रेषण : मुख्य न्यायाधीश की अनुशंसा विधि मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री को प्रस्तुत की जाती है जो तत्पश्चात राष्ट्रपति को नियुक्ति करने की सलाह देते हैं।
- राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति : भारत के राष्ट्रपति औपचारिक रूप से मुहरबंद वारंट के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं जिसके बाद नियुक्त व्यक्ति राष्ट्रपति के समक्ष शपथ ग्रहण करते हैं।
- परंपरा और कॉलेजियम की भूमिका : यद्यपि कॉलेजियम प्रणाली (सी.जे.आई. + चार वरिष्ठतम न्यायाधीश) मुख्य रूप से अन्य न्यायाधीशों की नियुक्तियों को संभालती है किंतु यह अप्रत्यक्ष रूप से सी.जे.आई. के चयन में वरिष्ठता मानदंड को मजबूत करती है।
- यह प्रक्रिया संस्थागत निरंतरता, योग्यता पर विचार तथा कार्यकारी परामर्श और न्यायिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन सुनिश्चित करती है।
नियुक्ति के मुख्य सिद्धांत
- वरिष्ठता और योग्यता : संस्थागत स्थिरता बनाए रखते हुए वरिष्ठतम न्यायाधीश की नियुक्ति की जाती है।
- परामर्श प्रक्रिया : यह संहिताबद्ध कानून पर नहीं, बल्कि परम्पराओं पर आधारित है जो न्यायिक इनपुट सुनिश्चित करता है।
- कार्यकारी अनुमोदन : राष्ट्रपति संवैधानिक औचित्य को बनाए रखते हुए मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है।
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भारत के सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य
- सर्वोच्च न्यायालय का ध्येय वाक्य: यतो धर्मस्ततो जयः
- ब्रिटिश भारत के प्रथम मुख्य न्यायाधीश: सर मौरिस लिनफोर्ड ग्वायेर
- स्वतंत्र भारत के प्रथम मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति हरिलाल जे. कानिया
- भारत के द्वितीय मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति एम. पतंजलि शास्त्री
- सबसे लंबा कार्यकाल: न्यायमूर्ति यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ (16वें) (22 फरवरी, 1978-11 जुलाई, 1985)
- सबसे छोटा कार्यकाल: (17 दिन) कमल नारायण सिंह (22वें) (25 नवंबर, 1991 से 12 दिसंबर, 1991 तक)
- अनुसूचित जाति के पहले मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति के. जी. बालाकृष्णन
- पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति मोहम्मद हिदायतुल्लाह
- पहली महिला न्यायाधीश: न्यायमूर्ति मीरा साहिब फातिमा बीबी (6 अक्तूबर, 1989-29 अप्रैल, 1992)
- संबंधित अनुच्छेद
- अनुच्छेद 124 (1): सर्वोच्च न्यायालय के गठन में मुख्य न्यायाधीश का उल्लेख
- अनुच्छेद 124 (2): मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
- अनुच्छेद 124 (4): मुख्य न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख
- अनुच्छेद 124 (6): राष्ट्रपति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान
- अनुच्छेद 124 (7): भारत के राज्यक्षेत्र में किसी न्यायालय या किसी प्राधिकारी के समक्ष वकालत पर रोक
- अनुच्छेद 125: न्यायाधीशों का वेतन एवं भत्ते
- अनुच्छेद 126: कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
- अनुच्छेद 145: मुख्य न्यायाधीश को अन्य न्यायाधीशों को
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