(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक एवं सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास एवं रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था (Creative Economy) तेजी से उभरते हुए क्षेत्रों में से एक है जो न केवल सांस्कृतिक विविधता को प्रकट करती है बल्कि आर्थिक वृद्धि, रोजगार एवं वैश्विक पहचान का भी माध्यम बन रही है।
क्या है रचनात्मक अर्थव्यवस्था
- यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो रचनात्मकता, कौशल एवं प्रतिभा पर आधारित होती है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित क्षेत्रों को शामिल किया जाता है:
- फिल्म, संगीत, फैशन
- हस्तशिल्प, लोककला, डिजाइन
- एनिमेशन, गेमिंग, डिजिटल कंटेंट
- आर्किटेक्चर, प्रकाशन, मीडिया
अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
- वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर रचनात्मक सेवाओं का निर्यात 1.4 ट्रिलियन डॉलर था जबकि रचनात्मक वस्तुओं का निर्यात 713 बिलियन डॉलर था।
- सामूहिक रूप से रचनात्मक अर्थव्यवस्था 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का वार्षिक राजस्व उत्पन्न करती है और दुनिया भर में लगभग 50 मिलियन नौकरियों का समर्थन करती है।
- रचनात्मक अर्थव्यवस्था पर संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD) रिपोर्ट ‘क्रिएटिव इकोनॉमी आउटलुक, 2024’ के अनुसार तीन क्षेत्र रचनात्मक अर्थव्यवस्था (2022) के मुख्य योगदानकर्ता हैं :
- सॉफ्टवेयर सेवाएँ (41.3%)
- अनुसंधान एवं विकास (30.7%)
- विज्ञापन, बाजार अनुसंधान एवं वास्तुकला (15.5%)
- यूनेस्को (UNESCO) ने वर्ष 2021 को International Year of Creative Economy for Sustainable Development घोषित किया था।
केस अध्ययन : इंडोनेशिया की एंट्रोडम परियोजना
- इंडोनेशिया के बिनस स्कूल के छात्रों ने बाढ़ से निपटने के लिए एंट्रोडम परियोजना की शुरुआत की। इसके लिए बिनस टीम ने पशु एवं वनस्पति जगत से संरचनाओं की खोज की।
- इंडियन हार्वेस्टर चींटियों के घोंसलों से प्रेरित होकर छात्रों ने एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की जो प्रकृति के अनुकूल थी।
- यह विशुद्ध रचनात्मक प्रतिभा है जिसे बड़े पैमाने पर नवाचार में बदलने के लिए निवेश की आवश्यकता है जिसे अन्यत्र भी लागू किया जा सके।
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भारत में रचनात्मक अर्थव्यवस्था की स्थिति
- वर्ष 2022 में भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था का आकार लगभग $120 अरब आँका गया था।
- इस क्षेत्र में एक करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त है।
- ग्रामीण भारत में हस्तशिल्प एवं पारंपरिक कला इस अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्रोत हैं।
- वर्ष 2019 में रचनात्मक वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात कुल $121 बिलियन था जिसमें रचनात्मक सेवाओं का योगदान लगभग $100 बिलियन था।
भारत के लिए अवसर
- भारत जैसे देश में अत्यधिक रचनात्मकता मौजूद है किंतु ऐसी रचनात्मकता कई बार नवाचार में तब्दील नहीं हो पाती है।
- रचनाकार विचारों से युक्त होते हैं जबकि नवोन्मेषक विचारों को उत्पादों एवं सेवाओं में बदलते हैं।
- भारत को रचनात्मकता एवं नवाचार के बीच की खाई को पाटने के लिए निवेश की ज़रूरत है।
- जनसंख्याकीय लाभांश (Demographic Dividend) के बीच यदि रचनात्मक क्षेत्रों को नीति समर्थन मिले, तो यह रोजगार, निर्यात एवं सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर तीनों को बढ़ा सकता है।
- ग्रासरूट इनोवेशन ऑग्मेंटेशन नेटवर्क (GIAN) जैसे संगठनों द्वारा जमीनी स्तर पर नवाचारों की पहचान एवं मान्यता पर अग्रणी कार्य के परिणामस्वरूप सैकड़ों जमीनी स्तर के रचनात्मक विचारों को लोकप्रिय बनाया गया है।
चुनौतियाँ
- असंगठित क्षेत्र के रूप में : अधिकांश कलाकार एवं शिल्पकार असंगठित क्षेत्र में हैं जिन्हें न नीति सहायता मिलती है न ही सामाजिक सुरक्षा।
- डिजिटल विभाजन : डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुँच सीमित होने से रचनात्मक कार्यों की वैश्विक पहुँच बाधित होती है।
- IPR सुरक्षा की कमी : कई कलाकारों की बौद्धिक संपदा की सुरक्षा नहीं हो पाती है जिससे उनका शोषण होता है।
- नीति का अभाव : भारत में अब तक रचनात्मक क्षेत्र के लिए कोई समर्पित नीति (Creative Economy Policy) नहीं है।
सरकार द्वारा प्रयास
भारत सरकार ने रचनात्मक अर्थव्यवस्था (Creative Economy) को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं ताकि देश की सांस्कृतिक विविधता, कलात्मक प्रतिभा एवं नवाचार क्षमता का अधिकतम उपयोग हो सके। प्रमुख सरकारी प्रयासों में शामिल हैं:
एक जिला, एक उत्पाद (ODOP) योजना
- उद्देश्य : हर जिले की विशिष्ट कला, शिल्प या उत्पाद को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में पहचान दिलाना
- इससे स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहन मिला है।
राष्ट्रीय डिज़ाइन नीति (National Design Policy)
- इसे डिज़ाइन सेक्टर को संगठित करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है।
- इसके तहत भारत डिज़ाइन परिषद (India Design Council) की स्थापना की गई है जो रचनात्मक डिज़ाइन के माध्यम से औद्योगिक एवं सामाजिक समस्याओं के समाधान पर कार्य करता है।
यूनेस्को रचनात्मक शहर नेटवर्क (UCCN) में भागीदारी
भारत के कई शहर, जैसे- जयपुर (शिल्प व लोक कला), वाराणसी (संगीत) एवं चेन्नई (संगीत) को इस नेटवर्क में शामिल किया गया है। इससे स्थानीय सांस्कृतिक व्यवसायों को वैश्विक मंच मिला है।
स्टार्टअप इंडिया एवं स्टैंडअप इंडिया
रचनात्मक क्षेत्र में नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप्स को फंडिंग, मेंटरशिप व टैक्स छूट जैसे लाभ दिए जाते हैं।
फिल्म एवं मीडिया क्षेत्र में प्रोत्साहन
- राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) और फिल्म सुविधा कार्यालय (FFO) के माध्यम से फिल्मों व डॉक्युमेंट्री निर्माण को समर्थन।
- अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में भागीदारी के लिए सब्सिडी एवं लॉजिस्टिक सहायता।
राष्ट्रीय संस्कृति निधि (National Culture Fund)
इस निधि के माध्यम से सार्वजनिक-निजी भागीदारी के अंतर्गत सांस्कृतिक विरासत एवं कलात्मक परियोजनाओं को वित्तीय सहायता दी जाती है।
डिजिटल इंडिया मिशन एवं ई-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म
कारीगरों एवं कलाकारों को ऑनलाइन मंच, जैसे- GeM, अमेजॉन कारीगर (Amazon Karigar) आदि के माध्यम से अपने उत्पाद बेचने में मदद मिल रही है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020
शिक्षा में कला, संगीत, नाटक एवं शिल्प जैसे रचनात्मक विषयों को मुख्यधारा में शामिल किया गया है जिससे भविष्य में रचनात्मक पेशों को अधिक बढ़ावा मिलेगा।
सुझाव
- राष्ट्रीय रचनात्मक अर्थव्यवस्था नीति (NCEP) का निर्माण: इससे संस्कृति, कौशल, तकनीक एवं व्यापार का समन्वय हो।
- IPR फ्रेंडली वातावरण :
- कलाकारों एवं डिजाइनरों के लिए सरल IPR पंजीकरण व कानूनों की जानकारी।
- अनौपचारिक नवाचारों सहित सभी नवाचारों को भारतीय बौद्धिक संपदा संरक्षण नीतियों एवं विनियमों में समायोजन के माध्यम से बेहतर संरक्षण की आवश्यकता है।
- MSME एवं स्टार्टअप सहयोग : क्रिएटिव स्टार्टअप्स को MSME एवं स्टार्टअप इंडिया योजनाओं में शामिल कर प्रोत्साहन देना।
- स्थानीय से वैश्विक (Local to Global): GI टैगिंग, पारंपरिक कला के प्रोत्साहन, अंतर्राष्ट्रीय मेलों में भागीदारी।
- रचनात्मक गतिविधियों में निवेश :
- भारत द्वारा सभी स्तरों पर रचनात्मक गतिविधियों में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है।
- यह आवश्यक है कि सरकार ‘एक जिला, एक उत्पाद’ पहल की सफलता के बाद ‘एक जिला, एक नवाचार’ में निवेश करे।