New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM August End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 29th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM August End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 29th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

लद्दाख के लिए केंद्र सरकार की नई नीतियाँ

(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना, संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय व चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण तथा उसकी चुनौतियाँ, विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान)

संदर्भ

3 जून, 2025 को गृह मंत्रालय (MHA) ने केंद्र शासित प्रदेश (UT) लद्दाख के लिए आरक्षण, अधिवास, भाषाएँ एवं हिल काउंसिल की संरचना को लेकर नई नीतियों की घोषणा की है। यह लद्दाख के निवासियों के लिए संवैधानिक संरक्षण एवं जनजातीय अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

नीति के प्रमुख प्रावधान 

  • सरकारी नौकरियों में आरक्षण नीति : राज्य की सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिए 85% आरक्षण सुनिश्चित किया गया है।
    • वर्तमान में 80% नौकरियाँ STs के लिए आरक्षित हैं, 4% सीमा क्षेत्र के निवासियों के लिए, 1% अनुसूचित जातियों के लिए और 10% आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए हैं।
  • अधिवास नीति (Domicile Policy) : अधिवास प्राप्त करने की अनिवार्य शर्त 15 वर्षों से निरंतर निवास (2019 से) होगी।
    • अर्थात जो व्यक्ति वर्ष 2019 के बाद लद्दाख में बसे हैं, वे 2034 तक अधिवासी नहीं माने जाएंगे।
  • हिल काउंसिल में महिलाओं के लिए आरक्षण : पहली बार हिल काउंसिल में चक्रीय आधार पर महिलाओं के लिए एक-तिहाई (33%) आरक्षण लागू किया गया है।
    • यह स्थानीय स्वशासन में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
  • आधिकारिक भाषाएँ : लद्दाख की आधिकारिक भाषाओं के रूप में अंग्रेज़ी, हिंदी, उर्दू, भोटी एवं पुर्गी को मान्यता दी गई है।
    • यह बहुभाषीय संरचना लद्दाख की सांस्कृतिक विविधता को मान्यता देने का प्रयास है।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू एवं कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों ‘जम्मू एवं कश्मीर’ और ‘लद्दाख’ में विभाजित कर दिया गया था।
  • इसके पश्चात लद्दाख में भाषा, संस्कृति, भूमि एवं जनसांख्यिक संरचना की सुरक्षा के लिए संवैधानिक गारंटी की माँग उठी।
  • जनवरी 2023 में हाई पावर्ड कमेटी (HPC) की स्थापना की गई थी, जिसका नेतृत्व गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय कर रहे हैं।
  • दिसंबर 2024 में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के आमरण अनशन के बाद सरकार और लद्दाखी प्रतिनिधियों के बीच वार्ता पुनः शुरू हुई।

महत्त्व और प्रभाव

  • जनजातीय अधिकारों की सुरक्षा : अनुसूचित जनजातियों को सरकारी नौकरियों में 85% आरक्षण प्रदान करना जनजातीय सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर है।
  • जनसांख्यिक संरचना की सुरक्षा : 15 वर्ष की अधिवास नीति बाहरी लोगों के बसावट को नियंत्रित कर लद्दाख की जनसांख्यिकी एवं पारंपरिक भूमि उपयोग की रक्षा करेगी।
  • लैंगिक समावेशन : हिल काउंसिल में महिलाओं के लिए आरक्षण से स्थानीय नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • सांस्कृतिक संरक्षण : स्थानीय भाषाओं को आधिकारिक दर्जा देने से भाषायी विविधता एवं सांस्कृतिक पहचान को संरक्षण मिलेगा।

निष्कर्ष

लद्दाख के लिए हाल ही में घोषित नीतियाँ न केवल एक प्रशासनिक कदम हैं, बल्कि यह वहाँ की जनजातीय पहचान, पारंपरिक संस्कृति एवं सामाजिक संरचना की सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक पहल हैं। यह आवश्यक है कि इन नीतियों को संविधान की भावना, न्याय के सिद्धांतों एवं स्थानीय आकांक्षाओं के अनुरूप निष्पक्ष रूप से लागू किया जाए।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X