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कैंसर रोधी चावल की नई किस्में

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी)

संदर्भ

फिलीपींस स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के वैज्ञानिकों ने ऐसे रंग-बिरंगे (पिगमेंटेड) चावल की किस्मों की पहचान की है जिनमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट एवं कैंसर रोधी गुण पाए गए हैं। यह शोध एशिया जैसे उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहाँ कोलोरेक्टल एवं स्तन कैंसर की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं। यह स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करता है।

शोध के बारे में 

  • IRRI के वैज्ञानिकों ने विश्व भर से एकत्रित 1.32 लाख चावल के नमूनों में से 800 रंग-बिरंगे चावल की किस्मों का चयन किया और उनके मेटाबोलाइट प्रोफाइलिंग एवं एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों का परीक्षण किया। 
  • प्रमुख किस्में
    • Ketan Hitam Purple Rice (इंडोनेशिया)
    • Balatinaw Purple Rice (फिलीपींस)
    • Kintuman Red Rice (फिलीपींस)

शोध के प्रमुख निष्कर्ष

  • कैंसर-रोधी गुण : इन विट्रो परीक्षणों में इन चावल की किस्मों के अर्क ने कोलोरेक्टल एवं ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं पर साइटोटॉक्सिक प्रभाव दिखाया, जो स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम था। 
    • यह पारंपरिक कीमोथेराप्यूटिक दवाओं से भिन्न है जो प्राय: स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुँचाती हैं।
  • एंटी-ऑक्सीडेंट गुण : इन चावल की किस्मों में एंथोसायनिन, फ्लेवोनोइड्स एवं फेनोलिक यौगिक जैसे जैवसक्रिय यौगिक पाए गए, जो ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं और कैंसर, हृदय रोग व मधुमेह जैसी बीमारियों के जोखिम को कम करने में सहायक हैं।
  • सुपरफूड्स के बराबर पोषण : चावल की इन किस्मों के एंटीऑक्सीडेंट स्तर ब्लूबेरी एवं चिया सीड्स जैसे सुपरफूड्स के बराबर पाए गए, जो इन्हें खाद्य सुरक्षा व पोषण मिशनों में महत्वपूर्ण बना सकते हैं।
  • जैव उपलब्धता : चावल की भूसी से प्राप्त अर्क को माइक्रोएनकैप्सुलेशन तकनीक के माध्यम से स्थिर किया गया, जिससे यह पानी में अत्यधिक घुलनशील एवं जैव उपलब्ध हो गया। इन विट्रो परीक्षणों में केवल 7.5 मिलीग्राम प्रति लीटर की कम मात्रा में भी यह कैंसर-रोधी प्रभाव दिखाने में सक्षम था।
  • उत्पादन क्षमता : लगभग 300 ग्राम चावल की भूसी से 1 किग्रा. माइक्रोएनकैप्सुलेटेड उत्पाद तैयार किया जा सकता है जो इसे व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाता है।

जैवप्रौद्योगिकी एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में संभावनाएँ 

  • नवीन पोषण चिकित्सा (Nutraceuticals) : ये चावल आधारित सप्लीमेंट कैंसर जैसे रोगों की रोकथाम के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।
  • जैवसक्रिय यौगिकों की जीन पहचान : इन किस्मों में पाए गए कैंसर रोधी गुणों के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान की जा रही है जो भावी बायो-फोर्टिफिकेशन के लिए उपयोगी हो सकती है।
  • सस्टेनेबल हेल्थ सॉल्यूशंस : यह अनुसंधान भविष्य में कम लागत वाले, प्राकृतिक एवं सुलभ कैंसर रोधी उपचारों के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के बारे में

  • परिचय : यह चावल आधारित कृषि-खाद्य प्रणालियों पर निर्भर लोगों व आबादी के बीच गरीबी एवं भूख को समाप्त करने के लिए समर्पित प्रमुख अनुसंधान संगठन है।
  • स्थापना : इसकी स्थपन वर्ष 1960 में फोर्ड फाउंडेशन एवं रॉकफेलर फाउंडेशन के समर्थन से फिलीपींस सरकार के सहयोग से की गई थी। 
  • मुख्यालय : लॉस बानोस, लगुना, फिलीपींस में स्थित है
  • वैश्विक उपस्थिति : IRRI के 17 चावल उत्पादक देशों (एशिया व अफ्रीका) में कार्यालय हैं और इसमें 1,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
    • यह CGIAR (Consultative Group for International Agricultural Research) के 15 कृषि अनुसंधान केंद्रों में से एक है जो खाद्य सुरक्षा पर वैश्विक अनुसंधान के लिए एक साझेदारी है।
  • प्रमुख कार्य : 
    • गरीबी एवं भुखमरी उन्मूलन : चावल विज्ञान के माध्यम से खाद्य व पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना
    • स्वास्थ्य सुधार : चावल किसानों व उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पोषक तत्वों से युक्त चावल की किस्में विकसित करना
    • पर्यावरणीय स्थिरता : जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और संधारणीय कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना
    • सहयोग एवं क्षमता निर्माण : राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं विस्तार प्रणालियों (NARES) के साथ साझेदारी व प्रशिक्षण के माध्यम से नवाचारों को बढ़ावा देना।

प्रमुख उपलब्धियाँ

  • हरित क्रांति : वर्ष 1960 के दशक में IRRI ने IR8 (जिसे ‘मिरेकल राइस’ भी कहते हैं) जैसी अर्ध-बौनी (Semi-dwarf) चावल की किस्में विकसित कीं, जो निम्न ऊँचाई, मजबूत तने व उच्च उपज के लिए जानी जाती हैं। इन किस्मों ने एशिया में विशेष रूप से भारत में भुखमरी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
  • जैव-संवर्धन (Biofortification) : गोल्डन राइस विकसित किया, जो विटामिन A की कमी को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

भारत के साथ सहयोग

  • IRRI साउथ एशिया रीजनल सेंटर, वाराणसी : वर्ष 2017 में स्थापित यह केंद्र जलवायु-सहिष्णु चावल की किस्मों, मृदा व जल प्रबंधन और हाइब्रिड चावल उत्पादन पर केंद्रित है।
  • IRRI ने कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (NRRI) और हैदराबाद स्थित भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRR) के साथ मिलकर 400 से अधिक उन्नत चावल की किस्में और बेहतर खेती प्रथाएँ विकसित की हैं।
  • जीन बैंक : IRRI के अंतर्राष्ट्रीय चावल जीन बैंक में भारत की 17,000 से अधिक चावल की किस्में संरक्षित हैं।
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