(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
7 जुलाई, 2025 को नीति आयोग और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के सहयोग से पूर्वोत्तर क्षेत्र जिला सतत विकास लक्ष्य सूचकांक का दूसरा संस्करण जारी किया है।
सतत विकास लक्ष्य
- सतत विकास लक्ष्य (SDG), संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2015 में अपनाए गए वैश्विक लक्ष्यों का एक समूह है।
- इनका उद्देश्य वर्ष 2030 तक जीवन में सुधार, गरीबी कम करना, प्रकृति की रक्षा करना और शांति को बढ़ावा देना है।
- इसमें कुल 17 लक्ष्य और 169 प्रयोजन हैं, जिन्हें सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के रूप में जाना जाता है।
- भारत में नीति आयोग एस.डी.जी. पर काम करने का नेतृत्व कर रहा है।
- यह सरकारी योजनाओं को वैश्विक लक्ष्यों से जोड़ता है और मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करता है।
- भारत में संयुक्त राष्ट्र की टीम सहयोग प्रदान कर यह सुनिश्चित करती है कि लक्ष्य अच्छी तरह से संबद्ध हों, समावेशी हों और इनको उचित वित्तीय सहायता प्राप्त हो।
पूर्वोत्तर क्षेत्र जिला सतत विकास लक्ष्य सूचकांक के बारे में
- यह रिपोर्ट 26 अगस्त, 2021 को जारी पहले संस्करण पर आधारित है और यह दर्शाती है कि आठ पूर्वोत्तर राज्यों के जिले 17 सतत विकास लक्ष्यों में से 15 को प्राप्त करने में कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं।
- दूसरे संस्करण में क्षेत्र के 131 में से 121 जिलों को शामिल किया गया है। पहले संस्करण में 120 में से 103 जिलों के आंकड़े शामिल थे।
- सूचकांक प्रगति मापने के लिए 84 संकेतकों का उपयोग किया गया है।
- इनमें से 41 केंद्र सरकार के स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित हैं, जबकि शेष 43 राज्य-स्तरीय प्रणालियों से आते हैं।
सूचकांक के प्रमुख उद्देश्य
- आवश्यक सुधारात्मक उपायों की योजना बनाने हेतु प्रदर्शन और उपलब्धियों में महत्वपूर्ण अंतरालों और चुनौतियों की पहचान करना।
- उपयुक्त समाधानों की रूपरेखा तैयार करने में सहायता के लिए आठ राज्यों में अंतर्राज्यीय असमानताओं का उल्लेख करना।
- राज्य-वार, ज़िला-वार और सतत विकास लक्ष्य-वार तुलनाओं को सक्षम बनाकर प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देना।
- सहयोग के लिए एक मंच तैयार करना और जिलों को एक-दूसरे की सर्वोत्तम विधियों को साझा करने और अपनाने का अवसर प्रदान करना।
- राज्यों और क्षेत्रों की सांख्यिकीय प्रणालियों में उन डाटा अंतरालों की पहचान करना जहां बेहतर और अधिक लगातार डाटा संग्रह की आवश्यकता है।
जिलों का वर्गीकरण
एस.डी.जी. सूचकांक वर्गीकरण
- सफल: 100 अंक
- अग्रणी: 65 और 99.99 के बीच अंक
- मध्यम स्तर : 50 और 64.99 के बीच अंक
- आकांक्षी: 50 से कम अंक
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कुल मिलाकर, अग्रणी श्रेणी में जिलों का अनुपात वर्ष 2021-22 के 62% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 85% हो गया है।

विभिन्न एस.डी.जी. की प्रगति
- एस.डी.जी. 1: कोई गरीबी नहीं
- अग्रणी श्रेणी के जिलों की संख्या 21 से बढ़कर 36 हो गई है। आकांक्षी जिलों की संख्या 20 से घटकर मात्र 3 रह गई है।
- एस.डी.जी. 2: शून्य भूख स्तर
- अग्रणी जिलों की संख्या 49 से बढ़कर 83 हो गई जबकि आकांक्षी जिलों की संख्या 21 से घटकर केवल 1 रह गई है। पोषण सहायता योजनाएं अच्छा प्रभाव डाल रही हैं।
- एस.डी.जी. 3: अच्छा स्वास्थ्य और बेहतर जीवन
- अग्रणी जिलों की संख्या 14 से बढ़कर 48 हो गई। आकांक्षी जिलों की संख्या 18 से घटकर 6 हो गई है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच का पता चलता है।
- एस.डी.जी. 4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
- अग्रणी श्रेणी में जिलों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है जो 36 से बढ़कर 80 हो गई है। आकांक्षी जिलों की संख्या घटकर अब 11 रह गई है।
- एस.डी.जी. 5: लैंगिक समानता
- इस लक्ष्य में व्यापक प्रगति हुई है, अब 112 जिले अग्रणी श्रेणी में हैं ये पहले 71 थे। आकांक्षी जिलों की संख्या घटकर मात्र 1 रह गई है।
- एस.डी.जी. 6: स्वच्छ जल और स्वच्छता
- अग्रणी जिलों की संख्या 81 से बढ़कर 114 हो गई है। जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन जैसे कार्यक्रमों ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- एस.डी.जी. 7: किफायती और स्वच्छ ऊर्जा
- सफल जिलों की संख्या 7 से दोगुनी होकर 14 हो गई है। यह लक्ष्य गांवों के विद्युतीकरण और स्वच्छ रसोई ईंधन के उपयोग में प्रगति को दर्शाता है।
- एस.डी.जी. 8: उपयुक्त कार्य और आर्थिक विकास
- अग्रणी जिलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह 69 से बढ़कर 111 हो गई है। यह आर्थिक अवसरों और रोजगार तक बेहतर पहुंच का संकेत देता है।
- एस.डी.जी. 9: उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा
- अग्रणी जिलों की संख्या 55 से बढ़कर 92 हो गई है जो बेहतर संपर्क और बुनियादी ढांचे की योजना को दर्शाता है।
- एस.डी.जी. 10: असमानताओं में कमी
- पिछले सूचकांक में 59 की तुलना में इस बार अग्रणी जिलों की संख्या 43 है जबकि आकांक्षी जिलों की संख्या 12 की तुलना में इस बार 33 है।
- एस.डी.जी. 12: जिम्मेदारी आधारित उपभोग और उत्पादन
- अग्रणी जिलों की संख्या 67 से घटकर 51 हो गई है। आकांक्षी जिलों की संख्या 18 पर बनी हुई है जो जिम्मेदारी आधारित उपभोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाता है।
- एस.डी.जी. 13: जलवायु कार्रवाई
- चार ज़िलों ने शत-प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। अग्रणी ज़िलों की संख्या 36 से बढ़कर 59 हो गई है लेकिन 49 ज़िले अभी भी आकांक्षी श्रेणी में बने हुए हैं जो मज़बूत जलवायु रणनीतियों की आवश्यकता को दर्शाता है।
- एस.डी.जी. 15: जीवन दशा
- सफल जिलों की संख्या 12 से बढ़कर 26 हो गई है। अग्रणी समूह में अब 87 जिले शामिल हैं जो वन और जैव विविधता संरक्षण पर अधिक ध्यान देने को दर्शाते हैं।
- एस.डी.जी. 16: शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएं
- इसमें लगातार सुधार हो रहा है। अग्रणी जिलों की संख्या 64 से बढ़कर 90 हो गई है। हालांकि, आकांक्षी जिलों की संख्या भी थोड़ी बढ़ी है जो 1 से बढ़कर 5 हो गई है।
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिले
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के जिला सतत विकास लक्ष्य सूचकांक 2023-24 में शीर्ष 10 जिलों में मिज़ोरम के तीन जिले- हनाहथियाल, चम्फाई और कोलासिब शामिल हैं।
- इस सूची में त्रिपुरा के भी तीन जिले - गोमती, पश्चिमी त्रिपुरा और दक्षिणी त्रिपुरा शामिल हैं।
- नागालैंड के मोकोकचुंग, कोहिमा और दीमापुर शीर्ष दस जिलों में शामिल हैं।
- सिक्किम का एक जिला, गंगटोक, शीर्ष दस जिलों में शामिल है।

सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष
- मिजोरम के हनाहथियाल का पूरे पूर्वोत्तर भारत में सबसे अधिक (81.43) अंक है जबकि अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग का सबसे कम (58.71) अंक है।
- नागालैंड में सबसे अच्छे और सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों के बीच सबसे बड़ा अंतर (15.07 अंकों का अंतर) है।
- सिक्किम में सबसे कम अंतर (केवल 5.5 अंक) है, इसलिए इसके सभी जिले लगभग समान रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
- त्रिपुरा में कुछ शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिले हैं और उनके बीच बहुत कम अंतर (केवल 6.5 अंक) है।
- मिजोरम और नागालैंड दोनों के जिले उच्च अंक प्राप्त करने वाले हैं, लेकिन उनके सर्वश्रेष्ठ और सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों के बीच काफी अंतर (13.72 और 15.07 अंक) भी है।
- जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन जैसे कार्यक्रमों ने जल एवं स्वच्छता तक पहुँच में सुधार लाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
- स्थानीय स्तर पर योजना बनाने, नियमित निगरानी करने और बेहतर डेटा प्रणालियों ने जिलों को कई लक्ष्य प्राप्त करने में अधिक सुसंगत प्रदर्शन करने में सहायता की है।
- यद्यपि जिलों ने स्वास्थ्य, शिक्षा, जल और लैंगिक समानता जैसे लक्ष्यों में अच्छा प्रदर्शन किया है किंतु जलवायु परिवर्तन पर कार्य, असमानता और जिम्मेदारी आधारित उपभोग जैसे क्षेत्रों में चुनौतियां बनी हुई हैं।
- राज्यों से बेहतर रिपोर्टिंग ने सूचकांक को अधिक विश्वसनीय बना दिया है।
- फिर भी, कुछ कमियाँ अभी भी बनी हुई हैं, विशेषकर नए बनाए गए या दूरदराज के जिलों में।