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ओलो जनजाति

असम राइफल्स की खोंसा बटालियन (Khonsa Battalion) ने अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले में ओलो जनजाति (Ollo Tribe) की महिलाओं के लिए ऑपरेशन सद्भावना के तहत कौशल-आधारित सशक्तिकरण कार्यक्रम शुरू किया है।

ओलो जनजाति के बारे में

सामान्य जानकारी 

  • ओलो जनजाति को लाज़ू नागा (Lazu Naga) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तिब्बती-बर्मन जातीय समूह है जो अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले और म्यांमार के नागा स्व-प्रशासित क्षेत्र के कुछ हिस्सों के मूल निवासी हैं।
  • ये सांस्कृतिक रूप से तांगशांग नागा (Tangshang Naga) समूह से संबद्ध हैं और उनकी एक विशिष्ट वंश-आधारित सामाजिक व्यवस्था है।

इतिहास स्वरुप 

  • ऐतिहासिक रूप से ओलो शिकार करने वाला एक समुदाय था जो पितृवंशीय सामाजिक व्यवस्था के तहत वंशानुगत प्रमुखों (लोवांग) और नेताओं (नगोंगपा) द्वारा शासित था।
  • ईसाई धर्म और शहरीकरण जैसे बाहरी प्रभावों के बावजूद इन्होंने मौखिक परंपराओं, पैतृक पूजा और वूरांग लोकगीत जैसी लोककथाओं को संरक्षित रखा है ।

प्राकृतिक निवास

ओलो म्यांमार की सीमा से लगे क्षेत्र तिरप जिले के लाज़ू सर्कल के कुछ गांवों में निवास करते हैं। उनकी बस्तियाँ भारत-म्यांमार सीमा के पार पाई जाती हैं जो सीमा पार जातीय निरंतरता दर्शाती हैं।

ओलो जनजाति की प्रमुख विशेषताएँ

  • सामाजिक संरचना : पितृसत्तात्मक और वंश-आधारित पदानुक्रम  
    • इसमें वंशानुगत नेतृत्व और नातेदारी-आधारित भूमि स्वामित्व शामिल है।
  • सांस्कृतिक प्रथाएँ : मजबूत मौखिक परंपरा, पैतृक अनुष्ठान और छात्रावास (शयनशाला) प्रणाली
    • उनके चेहरे के टैटू और वूरांग महोत्सव उनके अद्वितीय आदिवासी सौंदर्यशास्त्र को दर्शाते हैं।
  • अर्थव्यवस्था : निर्वाह कृषि और पारंपरिक शिल्प प्रमुख आर्थिक आधार 
    • इन्हें अब सिलाई व हस्तशिल्प जैसी कौशल पहलों के माध्यम से पुनर्जीवित किया जा रहा है।
  • जनसंख्या : वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 1,500 लोग 
  • वोरांग (वूरांग) त्यौहार : समृद्धि और सामुदायिक एकता का प्रतीक तथा गीतों, नृत्यों व अनुष्ठानों वाला एक जीवंत कृषि उत्सव 
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