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एक राष्ट्र, एक समय: एकीकृत समय मानक की आवश्यकता

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक राष्ट्र, एक समय’ (One Nation, One Time) की अवधारणा को प्रस्तावित किया था, जो अब मूर्त रूप ले रही है। उपभोक्ता कार्य विभाग ने घोषणा की है कि शीघ्र ही भारतीय मानक समय (IST) को सभी गतिविधियों के लिए अनिवार्य करने के उद्देश्य से नियम अधिसूचित किए जाएंगे।

भारतीय मानक समय (IST) की पृष्ठभूमि

  • भारतीय मानक समय (IST) को समन्वित सार्वभौमिक समय (Coordinated Universal Time: UTC) से +5:30 घंटे आगे निर्धारित किया गया है।
  • भारत में समय निर्धारण सी.एस.आई.आर.-नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी (CSIR-NPL) करता है जो समय को अणु घड़ी (Atomic Clock) से संचालित करता है।

प्रस्तावित एकीकृत IST पहल के बारे में

  • घोषणा : केंद्रीय उपभोक्ता कार्य मंत्रालय ने 18 जून, 2025 को घोषणा की है कि  सरकार कानूनी, प्रशासनिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों में केवल IST आधारित समय के उपयोग को अनिवार्य बना रही है।
  • इस पहल के अंतर्गत:
    • सभी सरकारी एवं निजी संस्थान IST के अनुसार टाइम-सिंक करेंगे।
    • वैकल्पिक (विदेशी) समय संदर्भों का उपयोग प्रतिबंधित होगा।
    • दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में नैनोसेकंड स्तर तक सटीकता सुनिश्चित की जाएगी।
    • समय समन्वय हेतु ISRO, CSIR-NPL और उपभोक्ता मंत्रालय मिलकर नए नियम अधिसूचित करेंगे।
  • महत्त्व : इससे भारत का समयपालन बुनियादी ढांचा कानूनी रूप से लागू करने योग्य, डिजिटल रूप से सुरक्षित और वैश्विक बेंचमार्क के अनुरूप हो जाएगा।

एक राष्ट्र, एक समय पहल की आवश्यकता 

डिजिटल सुरक्षा एवं सटीकता

  • डिजिटल युग में समय का समन्वय विभिन्न क्षेत्रों, जैसे- बैंकिंग, स्टॉक ट्रेडिंग एवं डिजिटल लेन-देन के लिए महत्वपूर्ण है। 
  • उदाहरण के लिए, बिजली बिलिंग में समय की सटीकता से उपभोक्ताओं को अनुचित शुल्क से बचाया जा सकता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा

  • हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सैन्य अभियानों में समय मानक को जी.पी.एस. से स्वतंत्र रखने की आवश्यकता स्पष्ट हुई।
  • विदेशी उपग्रहों पर निर्भरता से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है क्योंकि जी.पी.एस. सिग्नल में हेरफेर की संभावना रहती है।
  • ISRO एवं CSIR-NPL द्वारा विकसित स्वदेशी समय मानक रक्षा व सामरिक गतिविधियों में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करेगा।

आर्थिक एवं प्रशासनिक दक्षता

  • वर्तमान में विभिन्न क्षेत्रों में समय संदर्भ के लिए विदेशी स्रोतों का उपयोग होता है, जो असंगतता एवं देरी का कारण बन सकता है। 
  • IST का अनिवार्य उपयोग सभी कानूनी, वाणिज्यिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों में एकरूपता लाएगा।
  • दूरसंचार, रेलवे व विमानन जैसे क्षेत्रों में (जहाँ नैनोसेकंड की सटीकता भी महत्वपूर्ण है) एकीकृत समय मानक से परिचालन दक्षता बढ़ेगी।

साइबर सुरक्षा में मजबूती

  • साइबर अपराधों की जाँच में समय के सटीक रिकॉर्ड का होना अनिवार्य है। 
  • स्वदेशी IST के उपयोग से डिजिटल गतिविधियों की टाइमस्टैम्पिंग सटीक होगी, जिससे जाँच प्रक्रिया तेज व विश्वसनीय बनेगी।

संबंधित चुनौतियाँ

उत्तर-पूर्वी राज्यों की मांग

देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में पहले से ही समय में अंतराल की मांग रही है, जिससे ‘एक राष्ट्र-एक समय’ की अवधारणा के समक्ष चुनौती उत्पन्न हो सकती है।

तकनीकी बुनियादी ढाँचे की कमी

  • स्वदेशी समय मानक को लागू करने के लिए उन्नत तकनीकी बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। 
  • CSIR-NPL एवं ISRO को समय संदर्भ के लिए उपग्रह व ग्राउंड स्टेशनों का एक मजबूत नेटवर्क स्थापित करना होगा।

जागरूकता एवं अनुपालन

  • निजी क्षेत्र एवं आम जनता के बीच IST के महत्व और इसके अनिवार्य उपयोग के बारे में जागरूकता की कमी है। सरकार को व्यापक प्रचार व प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने होंगे।
  • वैकल्पिक समय संदर्भों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए सख्त निगरानी एवं दंडात्मक उपायों की आवश्यकता होगी।

वैश्विक समन्वय की चुनौती

भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजारों से गहराई से जुड़ी है। IST के अनिवार्य उपयोग से अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन एवं संचार में समन्वय की चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

सरकार के प्रयास

  • नियमों की अधिसूचना : उपभोक्ता कार्य विभाग सभी गतिविधियों को IST के साथ समन्वयित करने के लिए नियमों को अधिसूचित करेगा। वैकल्पिक समय संदर्भों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा।
  • स्वदेशी तकनीक का विकास : ISRO एवं CSIR-NPL मिलकर एक स्वदेशी समय संदर्भ प्रणाली विकसित कर रहे हैं, जो जी.पी.एस. जैसे विदेशी स्रोतों पर निर्भरता को समाप्त करेगी।
  • क्षेत्र-विशिष्ट दिशानिर्देश : दूरसंचार, रक्षा एवं वित्तीय क्षेत्रों के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं ताकि नैनोसेकंड-स्तर की सटीकता सुनिश्चित की जा सके।

निष्कर्ष

‘एक राष्ट्र, एक समय’ भारत के लिए एक परिवर्तनकारी पहल है, जो न केवल तकनीकी व प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाएगी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा तथा आर्थिक स्थिरता को भी मजबूत करेगी। यह पहल भारत की आत्मनिर्भरता एवं वैश्विक नेतृत्व की आकांक्षा को दर्शाती है। हालाँकि, इसके सफल कार्यान्वयन के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे, जागरूकता एवं कठोर अनुपालन तंत्र की आवश्यकता होगी।

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