केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के 21वें स्थापना दिवस पर कहा कि पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण अधिनियम में संशोधन किया जाएगा।
पौध किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण के बारे में
- यह एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना 11 नवंबर, 2005 को पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत की गई थी।
- यह भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन काम करता है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
प्राधिकरण के उद्देश्य
- पौधों की नई किस्मों के विकास में उनके नवाचारों के लिए पादप प्रजनकों को बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान करना
- पारंपरिक किस्मों एवं जैव विविधता का संरक्षण करने वाले किसानों व समुदायों को मान्यता और पुरस्कार प्रदान करना
- पंजीकृत किस्मों के कृषि-संरक्षित बीजों को बचाने, उपयोग करने, बोने, पुनः बोने, विनिमय करने, साझा करने और बेचने के लिए किसानों के अधिकारों के संरक्षण को बढ़ावा देना
- पादप प्रजनन और कृषि में अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करना
- राष्ट्रीय पौध किस्मों का रजिस्टर (NRPV) बनाए रखना और मूल्यवान जर्मप्लाज्म संसाधनों का दस्तावेजीकरण व संरक्षण सुनिश्चित करना
प्राधिकरण की संरचना
- अध्यक्ष प्राधिकरण का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है। इसमें भारत सरकार द्वारा अधिसूचित 15 सदस्य होते हैं।
- आठ विभिन्न विभागों/मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले पदेन सदस्य
- तीन राज्य कृषि विश्वविद्यालयों व राज्य सरकारों से
- केंद्र सरकार द्वारा नामित किसानों, जनजातीय संगठनों, बीज उद्योग और कृषि गतिविधियों से जुड़े महिला संगठनों के लिए एक-एक प्रतिनिधि
- महापंजीयक प्राधिकरण का पदेन सदस्य सचिव होता है।
प्राधिकरण के कार्य
- नई पौध किस्मों, वस्तुतः व्युत्पन्न किस्मों (EDV), विद्यमान किस्मों का पंजीकरण
- सभी प्रकार के पौधों के लिए अनिवार्य सूचीकरण सुविधाएँ
- आर्थिक पौधों और उनके वन्य निकटवर्तियों के पादप आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण
- राष्ट्रीय पौध किस्मों के रजिस्टर और राष्ट्रीय जीन बैंक का रखरखाव