(प्रारंभिक परीक्षा: सरकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन) |
संदर्भ
15 जुलाई, 2025 को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के 10 वर्ष पूर्ण हुए।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के बारे में
- प्रारंभ तिथि : 15 जुलाई, 2015
- नोडल मंत्रालय : कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय
- उद्देश्य : देश के युवाओं को उद्योगों की मांग के अनुरूप अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण (Short-Term Training: STT), पूर्व शिक्षण की मान्यता (Recognition of Prior Learning: RPL) और कौशल उन्नयन (Upskilling) के माध्यम से रोजगार योग्य बनाना।
- भूमिका : यह योजना मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्वच्छ भारत जैसे अन्य राष्ट्रीय मिशनों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए एक समग्र कौशल विकास पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देती है।
प्रमुख चरण
PMKVY को चार चरणों में लागू किया गया है: PMKVY 1.0 (2015-16), PMKVY 2.0 (2016-20), PMKVY 3.0 (2020-22), और PMKVY 4.0 (2022-26)
कौशल प्रशिक्षण के प्रकार
- अल्पकालिक प्रशिक्षण (STT) : नए उम्मीदवारों को उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रदान करता है, जैसे- विनिर्माण, IT, स्वास्थ्य सेवा एवं खुदरा क्षेत्र में।
- पूर्व शिक्षण की मान्यता (RPL) : अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के मौजूदा कौशल को औपचारिक प्रमाणन प्रदान करता है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ती है।
- विशेष परियोजनाएँ : हाशिए पर स्थित समुदायों, जैसे- जेल कैदियों, ब्रू जनजाति एवं पारंपरिक कारीगरों के लिए लक्षित प्रशिक्षण।
- कौशल उन्नयन एवं पुनर्कौशल (Upskilling/Reskilling) : उभरते क्षेत्रों, जैसे- AI, ड्रोन तकनीक और ग्रीन हाइड्रोजन में प्रशिक्षण।
विशेषताएँ
- मुफ्त प्रशिक्षण : सभी पाठ्यक्रम निःशुल्क हैं और प्रमाणित उम्मीदवारों को 500 रुपए का मौद्रिक पुरस्कार दिया जाता है।
- समावेशिता : 45% महिला भागीदारी और SC/ST/OBC समुदायों पर विशेष ध्यान
- डिजिटल एकीकरण : स्किल इंडिया डिजिटल हब (SIDH) के माध्यम से प्रशिक्षण और रोजगार अवसरों की डिजिटल निगरानी तथा आधार-आधारित सत्यापन
- शैक्षिक गतिशीलता : PMKVY 4.0 में अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) के साथ एकीकरण कौशल एवं औपचारिक शिक्षा के बीच क्रेडिट हस्तांतरण को सक्षम बनाता है।
- उद्योग-प्रासंगिकता : मेक इन इंडिया, पीएम सूर्य घर और जल जीवन मिशन जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ तालमेल।
PMKVY की उपलब्धियाँ
- PMKVY 1.0 (2015-16): 19.85 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया।
- PMKVY 2.0 (2016-20): 1.10 करोड़ उम्मीदवारों को प्रशिक्षित/उन्मुख किया गया।
- PMKVY 3.0 (2020-22): 7.37 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें 1.20 लाख कोविड-19 योद्धाओं (CCCP-CW) और 1.80 लाख कौशल हब पहल (SHI) के तहत शामिल हैं।
- PMKVY 4.0 (2022-25) : 31 दिसंबर, 2024 तक 25 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें 1244.52 करोड़ रुपए का उपयोग हुआ।
- कुल उपलब्धि : 1.63 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों को मैन्युफैक्चरिंग, स्वास्थ्य सेवा, IT और खुदरा जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया गया।
- प्लेसमेंट दर : PMKVY 3.0 तक STT प्रमाणित उम्मीदवारों की प्लेसमेंट दर 42.8% थी।
- विशेष परियोजनाएँ : त्रिपुरा में 2,500 ब्रू-जनजाति उम्मीदवारों, जम्मू एवं कश्मीर में 2,243 महिलाओं को नमदा शिल्प और 9,605 कारीगरों को पारंपरिक कौशल में प्रशिक्षित किया गया।
अन्य समर्थक योजनाएँ
- प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (17 सितंबर, 2023): 18 पारंपरिक व्यवसायों के कारीगरों को कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन और ऋण सहायता प्रदान करती है। 13 जुलाई, 2025 तक 2.7 करोड़ आवेदन और 29 लाख पंजीकरण हुए।
- दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY, 25 सितंबर 2014): ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण और रोजगार प्रदान करता है। नवंबर 2024 तक 16.90 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें 10.97 लाख को नौकरी मिली।
- राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (NAPS) : 43.47 लाख प्रशिक्षुओं को 51,000 से अधिक प्रतिष्ठानों में नियोजित किया गया।
- ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RSETI) : 30 जून, 2025 तक 56.69 लाख उम्मीदवारों को उद्यमिता प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
महत्व
- आर्थिक सशक्तीकरण: PMKVY ने लाखों युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए, जिससे बेरोजगारी कम हुई और आय में वृद्धि हुई।
- समावेशी विकास: ग्रामीण क्षेत्रों, महिलाओं, और हाशिए पर पड़े समुदायों (SC/ST/OBC) को मुख्यधारा में लाया गया।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा: AI, रोबोटिक्स, और IoT जैसे उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षण ने भारतीय कार्यबल को वैश्विक मांगों के लिए तैयार किया।
- पारंपरिक कौशल का संरक्षण: नमदा शिल्प और अन्य हस्तशिल्प को बढ़ावा देकर सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया गया।
- डिजिटल परिवर्तन: SIDH जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने प्रशिक्षण और रोजगार को पारदर्शी और सुलभ बनाया।
चुनौतियाँ
- प्लेसमेंट दर: PMKVY 3.0 तक केवल 42.8% प्लेसमेंट दर, जो उद्योग-प्रशिक्षण तालमेल में कमी को दर्शाती है।
- कौशल अंतर: उभरते क्षेत्रों में उच्च-स्तरीय कौशल की मांग और आपूर्ति में अंतर।
- ग्रामीण पहुंच: दूरदराज के क्षेत्रों में प्रशिक्षण केंद्रों और जागरूकता की कमी।
- निगरानी और गुणवत्ता: प्रशिक्षण की गुणवत्ता और परिणामों की प्रभावी निगरानी में सुधार की आवश्यकता।
- उद्यमिता विकास: स्वरोजगार के लिए वित्तीय और विपणन सहायता की कमी।
आगे की राह
- उद्योग-शिक्षा तालमेल: उद्योगों के साथ साझेदारी बढ़ाकर प्रशिक्षण को मांग-आधारित बनाना।
- डिजिटल विस्तार: SIDH को और मजबूत कर ग्रामीण क्षेत्रों तक डिजिटल प्रशिक्षण पहुंचाना।
- कौशल उन्नयन: AI, ड्रोन, और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना।
- प्लेसमेंट सुधार: नौकरी मेले और स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ बेहतर समन्वय।
- महिला और ग्रामीण फोकस: ग्रामीण महिलाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए विशेष कार्यक्रम।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना ने अपने दस वर्षों के सफर में भारत के युवाओं को सशक्त बनाने और देश को एक कुशल, उद्यमशील, और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी कार्यबल के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। निरंतर नवाचार, डिजिटल एकीकरण, और उद्योग-शिक्षा सहयोग के साथ, PMKVY भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश को पूर्ण रूप से साकार करने में एक आधारभूत भूमिका निभाएगी, जिससे देश एक ज्ञान-आधारित और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर होगा।