New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

संविधान की प्रस्तावना बनाम धार्मिक आपत्ति

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ व बुनियादी संरचना; न्यायपालिका की संरचना, संगठन एवं कार्य)

संदर्भ

कर्नाटक के मैसूरु दशहरा उत्सव के उद्घाटन को लेकर कुछ विवाद हो गया है। एक याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर यह आपत्ति जताई कि बुकर पुरस्कार विजेता और मुस्लिम समुदाय से आने वाली लेखिका बानु मुश्ताक को दशहरा समारोह का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित करना अनुचित है।

क्या है हालिया मुद्दा

  • याचिकाकर्ता का तर्क था कि दशहरा का उद्घाटन दो भागों में होता है–
    1. औपचारिक उद्घाटन (Ribbon-cutting) : जिसे वह पंथनिरपेक्ष क्रिया मानते हैं।
    2. मंदिर में पूजा-अर्चना : यह धार्मिक एवं आध्यात्मिक अनुष्ठान है।
  • याचिकाकर्ता का कहना था कि पूजा का भाग हिंदू धार्मिक परंपरा का हिस्सा है और इसे केवल हिंदू व्यक्ति ही संपन्न कर सकते हैं। 
  • उन्होंने इसे अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) के तहत ‘आवश्यक धार्मिक प्रथा’ (Essential Religious Practice) बताया है।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

  • सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए भारतीय संविधान की प्रस्तावना का उल्लेख किया जिसमें धर्मनिरपेक्षता, विचार एवं आस्था की स्वतंत्रता, समानता व बंधुता को राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक मूल्यों के रूप में माना गया है।
  • न्यायमूर्ति विक्रम नाथ एवं संदीप मेहता की पीठ ने कहा–
    • यह राज्य सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम है, निजी कार्यक्रम नहीं है।
    • राज्य किसी धर्म को नहीं मानता है, न ही किसी धर्म के आधार पर भेदभाव कर सकता है।
  • संविधान पीठ के वर्ष 1994 के इस्माइल फारुखी मामले के फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया था कि राज्य ‘किसी धर्म का नहीं’ है।
  • अदालत ने राज्य सरकार को यह निर्देश देने से भी इंकार कर दिया कि मुश्ताक पूजा में भाग न लें।

निर्णय का महत्व

  • यह फैसला भारत में धर्मनिरपेक्षता एवं संविधान की मूल भावना की पुनः पुष्टि करता है।
  • यह स्पष्ट करता है कि राज्य द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
  • इससे समाज में सद्भाव, सहिष्णुता एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है।
  • यह निर्णय बताता है कि धार्मिक विविधता वाले देश में संवैधानिक मूल्य ही अंतिम मार्गदर्शक हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X