(प्रारंभिक परीक्षा : योजनाएं एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सामाजिक न्याय एवं कल्याण) |
संदर्भ
भारत में सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ ऐतिहासिक रूप से जातिगत आधार पर व्याप्त रही हैं। विशेष रूप से अनुसूचित जातियों (SCs) को लंबे समय तक सामाजिक बहिष्करण, आर्थिक वंचना और शैक्षिक पिछड़ेपन का सामना करना पड़ा है। इस पृष्ठभूमि में, केंद्र सरकार द्वारा आरंभ की गई प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY) एक समेकित और दूरदर्शी नीति प्रयास है जो अनुसूचित जातियों के समग्र उत्थान पर केंद्रित है।
प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम अजय) के बारे में
- परिचय : यह योजना अनुसूचित जातियों (एससी) का सामाजिक-आर्थिक उत्थान करके गरीबी कम करने, शैक्षिक अवसर बढ़ाने और अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में अवसंरचना में सुधार पर केंद्रित है।
- आरंभ : वर्ष 2021 में
- योजना के प्रमुख उद्देश्य :
- अनुसूचित जातियों की गरीबी में कमी लाना
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना
- बुनियादी ढांचे का विकास करना
- आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना
- सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को समाप्त करना

- विभिन्न योजनाओं का विलय : इस योजना में तीन पूर्ववर्ती केंद्र प्रायोजित योजनाओं, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) , अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एस.सी.ए. से एस.सी.एस.पी.) और बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना (BJRCY) का विलय किया गया है।
- नोडल मंत्रालय : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
- शामिल राज्य : यह योजना कुल 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की गई है।
- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, मिजोरम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव, लद्दाख व लक्षद्वीप इस योजना में शामिल नहीं हैं।
- योजना के लिए पात्रता शर्तें :
- गरीबी रेखा से नीचे वाले अनुसूचित जाति के व्यक्ति विभिन्न आय सृजन योजनाओं और कौशल विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभ पाने के पात्र हैं।
- बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में, 50 प्रतिशत या उससे अधिक अनुसूचित जाति की आबादी वाले गांव इस योजना के तहत अनुदान के लिए पात्र हैं।
योजना के प्रमुख घटक
आदर्श ग्राम विकास
- अनुसूचित जाति बहुल (>50% SC जनसंख्या) गांवों को बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित आदर्श ग्राम में परिवर्तित करना।
- वर्ष 2024-25 में 4,991 गांवों को आदर्श ग्राम घोषित किया गया। वर्ष 2025-26 के लिए 29,846 गांव चयनित।
- मार्च 2025 तक 11,000 से अधिक गांवों को आदर्श ग्राम घोषित किया जा चुका है।
आदर्श ग्राम
- 'आदर्श ग्राम' वह है, जिसमें लोगों को विभिन्न बुनियादी सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो ताकि समाज के सभी वर्गों की न्यूनतम जरूरतें पूरी हो सकें और असमानताएं कम-से- कम हो सकें।
- इन गांवों में ऐसी सभी बुनियादी सुविधाएं होंगी और इसके निवासियों को ऐसी सभी बुनियादी सेवाएं (जैसे पीने का पानी, स्वच्छता, शिक्षा, पोषण, आदि) मिलेंगी, जो एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए जरूरी हैं, जिससे ऐसा माहौल बने जिसमें हर कोई अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सके।
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सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता
अनुसूचित जातियों की सामाजिक-आर्थिक बेहतरी के उद्देश्य से जिला/राज्य स्तरीय परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना। इसमें शामिल हैं:
- अनुसूचित जाति बहुल गांवों में बुनियादी ढांचे का सृजन।
- छात्रावासों/आवासीय विद्यालयों का निर्माण।
- कौशल विकास और संबंधित बुनियादी ढांचे सहित व्यापक आजीविका परियोजनाएं
- आजीविका सृजन के लिए आवश्यक परिसंपत्ति अधिग्रहण/निर्माण हेतु लाभार्थियों द्वारा लिए गए ऋण के लिए वित्तीय सहायता।
छात्रावासों का निर्माण
- इस घटक में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के तहत रैंक किए गए और केंद्र/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रावासों का निर्माण शामिल है।
- इसी तरह, इसमें केंद्र/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा वित्त पोषित और शिक्षा मंत्रालय द्वारा अनुशंसित स्कूलों में छात्रावासों का निर्माण भी शामिल है।
निगरानी और मूल्यांकन
- एक केंद्रीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) का विकास।
- तकनीकी संसाधन सहायता और जनशक्ति के लिए संस्थानों को नियुक्त करना।
- कार्यालय उपकरण और आईटी सुविधाओं का प्रावधान।
- मूल्यांकन परियोजनाएं और सामाजिक लेखापरीक्षण शुरू करना।
- योजना कार्यान्वयन का सामाजिक लेखा परीक्षण।