गूगल ने अपनी महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अनुसंधान परियोजना ‘प्रोजेक्ट सनकैचर (Project Suncatcher)’ की घोषणा की है।
क्या है प्रोजेक्ट सनकैचर
- इस परियोजना का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की कंप्यूटिंग को सीधे अंतरिक्ष से प्राप्त सौर ऊर्जा से संचालित किया जा सकता है या नहीं?
- इस परियोजना के तहत गूगल निम्न भू-कक्षा (Low Earth Orbit) में विशेष रूप से निर्मित उपग्रहों को तैनात करेगा।
- इन उपग्रहों पर गूगल के टेंसर प्रोसेसिंग यूनिट (Tensor Processing Unit: TPU) चिप्स लगाए जाएंगे, जो मशीन लर्निंग व एआई अनुप्रयोगों के लिए बनाए गए हैं।
- प्रत्येक उपग्रह पर उच्च दक्षता वाले सौर पैनल लगाए जाएंगे, जो उपग्रहों को निरंतर ऊर्जा प्रदान करेंगे।

प्रमुख लक्ष्य
- सौर ऊर्जा संचालित उपग्रहों के माध्यम से AI डाटा प्रोसेसिंग को अंतरिक्ष में संचालित करना
- पृथ्वी पर मौजूद डाटा सेंटर्स के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना
- अंतरिक्ष में निरंतर सौर ऊर्जा की उपलब्धता का लाभ उठाकर गूगल द्वारा अपनी सतत ऊर्जा नीति को भी आगे बढ़ाना
कार्यप्रणाली
- उपग्रहों के बीच डाटा संचरण फ्री-स्पेस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन बीम के माध्यम से होगा।
- इन उपग्रहों से प्राप्त डाटा पृथ्वी पर स्थित ग्राउंड स्टेशनों तक भेजा जाएगा।
- चूंकि ये उपग्रह पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर होंगे, इसलिए इन्हें कूलिंग, भूमि व जल संसाधनों की आवश्यकता नहीं होगी, जो पारंपरिक डाटा सेंटर्स की बड़ी समस्या है।
परीक्षण चरण
- गूगल ने घोषणा की है कि वर्ष 2027 की शुरुआत तक दो प्रोटोटाइप उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाएगा।
- इन परीक्षणों में निम्नलिखित पहलुओं का मूल्यांकन किया जाएगा :
- सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता
- अत्यधिक अंतरिक्षीय परिस्थितियों में TPU चिप्स की कार्यक्षमता
- डाटा संचार की दक्षता
- प्रणाली की दीर्घकालिक विश्वसनीयता
महत्व और संभावनाएँ
- प्रोजेक्ट सनकैचर से पृथ्वी पर ऊर्जा की खपत और कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आ सकती है।
- यह अंतरिक्ष और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संयोजन (Convergence) की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
- यदि सफल रहता है तो यह प्रोजेक्ट डेटा प्रोसेसिंग, सैटेलाइट टेक्नोलॉजी और पर्यावरण संरक्षण तीनों क्षेत्रों में नई दिशा प्रदान करेगा।
निष्कर्ष
गूगल का ‘प्रोजेक्ट सनकैचर’ केवल एक तकनीकी प्रयोग नहीं है बल्कि भविष्य के हरित और अंतरिक्ष-आधारित डाटा अवसंरचना की नींव है। वर्ष 2027 में होने वाला इसका पहला परीक्षण यह तय करेगा कि क्या मानवता वास्तव में अपने डाटा एवं एआई भविष्य को अंतरिक्ष की ऊर्जा से संचालित कर सकती है।