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राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया एवं संबंधित मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।)

संदर्भ

हाल ही में जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा चुनाव हुए, जो अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार आयोजित किए गए। इन चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने चार में से तीन सीटें जीतीं, जबकि चौथी सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की। 

राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया : एक विश्लेषण

राज्यसभा, जिसे "ऊपरी सदन" कहा जाता है, भारतीय संसद का स्थायी सदन है।
इसकी कुल सदस्य संख्या 245 है, जिसमें से 233 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुने जाते हैं और 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामित करते हैं।

मुख्य बिंदु

  • चुनाव का आधार : राज्यसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा नहीं चुने जाते, बल्कि राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य इनका चुनाव करते हैं।
  • मतदान प्रक्रिया : प्रत्येक विधायक अपनी पसंद के उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में रैंक देता है (1, 2, 3 इत्यादि)।
  • प्रणाली : चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) के माध्यम से अनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर किया जाता है।
    • प्रत्येक विधायक का वोट एकल मान (1) रखता है, और जीत के लिए आवश्यक वोटों की संख्या (कोटा) निम्न सूत्र द्वारा निर्धारित की जाती है:
    • कोटा = [कुल वोट / (सीटों की संख्या + 1)] + 1
  • उदाहरण : जम्मू-कश्मीर में 87 विधायकों के साथ चार सीटों के लिए कोटा = [87 / (4+1)] + 1 = 18.4, जिसे पूर्णांक में 19 माना जाता है। 
    • यदि कोई उम्मीदवार इस कोटा को प्राप्त कर लेता है, तो वह विजयी घोषित होता है। 
    • यदि कोई उम्मीदवार कोटा प्राप्त नहीं करता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है, और उनके वोट दूसरी प्राथमिकता के आधार पर अन्य उम्मीदवारों को हस्तांतरित किए जाते हैं।
  • खुला मतदान: राज्यसभा चुनाव में वर्ष 2003 से पहले गुप्त मतदान होता था, लेकिन वर्ष 2003 में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन के बाद खुले मतदान की प्रणाली लागू की गई।
    • यह प्रणाली क्रॉस-वोटिंग को रोकने में मदद करती है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के हालिया चुनाव में क्रॉस-वोटिंग की घटनाएं सामने आईं।
  • रिक्ति की स्थिति : यदि कोई सीट रिक्त होती है, तो शेष कार्यकाल के लिए उपचुनाव (by-election) कराया जाता है।

क्या आप जानते हैं?

भारत में राज्यसभा चुनाव के लिए अपनाई गई एकल संक्रमणीय मत (STV) प्रणाली आयरलैंड से प्रेरित है। यह प्रणाली पहली बार आयरलैंड में वर्ष 1922 में अपनाई गई थी और बाद में भारत ने इसे अपने संविधान में शामिल किया। इस प्रणाली का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक दलों और समूहों को उनकी ताकत के अनुपात में प्रतिनिधित्व देना है। यह प्रणाली जटिल होने के बावजूद निष्पक्षता और समावेशिता सुनिश्चित करती है।

जम्मू-कश्मीर राज्यसभा चुनाव

  • जम्मू-कश्मीर विधानसभा के कुल 87 विधायकों ने मतदान किया।
  • बीजेपी के पास 28 विधायक थे, लेकिन उसके विजयी उम्मीदवार सत शर्मा को 32 वोट मिले। 
  • बीजेपी के अलावा एन.सी. पार्टी के मोहम्मद रमज़ान, सज्जाद अहमद किचलू और गुरविंदर सिंह ओबेरॉय ने जीत हासिल की है ।
  • यह परिणाम क्षेत्रीय राजनीति में नए समीकरणों और गुप्त गठबंधनों की ओर संकेत करता है।

निर्वाचन आयोग की भूमिका

भारत का निर्वाचन आयोग राज्यसभा चुनावों की पूरी प्रक्रिया की निगरानी करता है।
मुख्य भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:

  • चुनाव की घोषणा : आयोग चुनाव की तिथियाँ और प्रक्रिया घोषित करता है।
  • नामांकन और सत्यापन : उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच की जाती है।
  • मतदान और मतगणना की देखरेख : आयोग यह सुनिश्चित करता है कि मतदान गोपनीय और निष्पक्ष तरीके से हो।
  • क्रॉस-वोटिंग और अनियमितता पर निगरानी : यदि किसी दल का विधायक अपनी पार्टी लाइन से हटकर वोट करता है, तो आयोग उसकी जांच कर सकता है।
  • परिणामों की घोषणा : आयोग अंतिम परिणाम घोषित करता है और विजयी उम्मीदवारों को प्रमाणपत्र प्रदान करता है।

निष्कर्ष

राज्यसभा चुनाव भारत के लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो राज्यों की आवाज़ को राष्ट्रीय संसद में पहुँचाते हैं। जम्मू-कश्मीर के हालिया चुनाव इस बात का प्रमाण हैं कि राजनीतिक संतुलन और गठबंधन राजनीति राज्यसभा की संरचना में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता इस प्रक्रिया की विश्वसनीयता का प्रमुख स्तंभ है।

राज्य सभा से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 80: संसद में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व 
    • यह अनुच्छेद राज्यसभा की संरचना को परिभाषित करता है। इसके अनुसार: 
      • राज्यसभा में अधिकतम 250 (238+12) सदस्य हो सकते हैं।
      • प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश को उनकी जनसंख्या और अन्य कारकों के आधार पर सीटें आवंटित की जाती हैं, जैसा कि संविधान की ‘चौथी अनुसूची’ में उल्लेखित है।
      • राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है, जिसमें निर्वाचित विधायक मतदान करते हैं।
  • अनुच्छेद 83: संसद के सदनों की अवधि 
    • यह अनुच्छेद राज्यसभा की स्थायी प्रकृति को परिभाषित करता है। राज्यसभा को भंग नहीं किया जा सकता; इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं। प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
  • अनुच्छेद 84: संसद सदस्यता के लिए योग्यता 
  • यह अनुच्छेद राज्यसभा और लोकसभा दोनों के लिए सदस्यता की योग्यता निर्धारित करता है।
  • अनुच्छेद 102: संसद सदस्यता के लिए अयोग्यता 
    • यह अनुच्छेद उन परिस्थितियों को बताता है जिनमें कोई व्यक्ति राज्यसभा या लोकसभा का सदस्य बनने के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है, जैसे कि लाभ का पद धारण करना या देशद्रोह जैसे अपराध आदि।
  • अनुच्छेद 99: शपथ या प्रतिज्ञान 
    • राज्यसभा के सदस्यों को अपने कर्तव्यों का पालन करने से पहले संविधान की तीसरी अनुसूची में उल्लिखित शपथ लेनी होती है।
  • अनुच्छेद 100: मतदान और कोरम 
    • यह अनुच्छेद संसद के दोनों सदनों में मतदान प्रक्रिया और कोरम (न्यूनतम उपस्थिति) के नियमों को निर्धारित करता है। राज्यसभा में कोरम कुल सदस्यों का एक-तिहाई होता है।
  • अनुच्छेद 249: यदि राज्यसभा दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है कि कोई विषय राष्ट्रीय महत्व का है, तो संसद को राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने का अधिकार मिलता है।
  • अनुच्छेद 250: आपातकाल के दौरान राज्यसभा की भूमिका।
  • अनुच्छेद 312: अखिल भारतीय सेवाएं 
    • यह अनुच्छेद राज्यसभा को अखिल भारतीय सेवाओं के सृजन के लिए विशेष शक्ति प्रदान करता है, यदि राज्यसभा दो-तिहाई बहुमत से ऐसा प्रस्ताव पारित करती है।
  • महत्त्वपूर्ण नोट: दो तिहाई बहुमत से तात्पर्य उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों से है, न कि कुल सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से। 
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