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केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सुधार एवं चुनौतियाँ

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश)

संदर्भ

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को ‘क्रमिक रूप से कम करने’ के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा वरिष्ठ पदों पर आई.पी.एस. अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है।

सी.ए.पी.एफ. का अवलोकन

  • सी.ए.पी.एफ. के संगठन : सी.आर.पी.एफ., बी.एस.एफ., सी.आई.एस.एफ., आई.टी.बी.पी. एवं एस.एस.बी. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करते हैं।
  • कर्तव्य : सीमा सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद/उग्रवाद से निपटना और चुनाव जैसे कार्यों में तैनाती
  • कैडर : सी.ए.पी.एफ. में लगभग 12,000-13,000 ग्रुप ए कैडर अधिकारी कार्यरत हैं।
  • संगठित समूह ए सेवा (OGAS) : सर्वोच्च न्यायालय ने पुष्टि की कि सी.ए.पी.एफ. को ओ.जी.ए.एस. माना जाता है जिसके तहत उन्हें सभी संबंधित लाभ मिलने चाहिए।

महत्वपूर्ण आंकड़े: आई.पी.एस. प्रतिनियुक्ति एवं कैडर समीक्षा

  • आई.पी.एस. प्रतिनियुक्ति
    • वर्तमान में महानिरीक्षक (IG) रैंक के 50% और उप महानिरीक्षक (DIG) रैंक के 20% पद आई.पी.एस. अधिकारियों के लिए आरक्षित हैं।
    • 23 जून 2025 तक आई.जी. रैंक के 69 स्वीकृत पदों में से 56 और डी.आई.जी. रैंक के 117 पदों में से 93 पर आई.पी.एस. अधिकारी तैनात थे।
    • सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी मंत्रालय ने कमांडेंट से आई.जी. रैंक तक कम-से-कम 8 नए आई.पी.एस. नियुक्त किया।
  • पदोन्नति में देरी
    • सहायक कमांडेंट (AC) से डिप्टी कमांडेंट तक पदोन्नति में 6-7 वर्ष की देरी।
    • कमांडेंट (सेना में कर्नल या पुलिस में वरिष्ठ अधीक्षक के समकक्ष) तक पहुंचने में 7-10 वर्ष की देरी, कुल मिलाकर 25 वर्ष लगते हैं (आदर्श रूप से 13 वर्ष में होना चाहिए)।
    • कैडर समीक्षा : वर्ष 2020 में स्थगित कैडर समीक्षा को 6 महीने (नवंबर 2025 तक) में पूरा करने का आदेश।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश (23 मई, 2025)

  • संबंधित वाद : संजय प्रकाश एवं अन्य बनाम भारत संघ मामले 
  • आई.पी.एस. प्रतिनियुक्ति में कमी :
    • वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (एस.ए.जी.) यानी आई.जी. रैंक तक आई.पी.एस. प्रतिनियुक्ति को दो वर्षों में क्रमिक रूप से कम करना।
    • उद्देश्य : कैडर अधिकारियों की सेवा गतिशीलता बढ़ाना और ठहराव दूर करना
  • कैडर समीक्षा :
    • वर्ष 2021 में लंबित कैडर समीक्षा को 6 महीने में पूरा करने का निर्देश।
    • समीक्षा का उद्देश्य समय पर पदोन्नति एवं ठहराव की समस्या का समाधान करना।
  • लाभ :
    • सी.ए.पी.एफ. को ओ.जी.ए.एस. के रूप में मान्यता, जिसके तहत गैर-कार्यात्मक वित्तीय उन्नयन एवं अन्य लाभ सुनिश्चित किए जाएंगे।
    • कैडर अधिकारियों की भागीदारी बढ़ाने और मनोबल सुधारने पर जोर।

चुनौतियाँ

  • आई.पी.एस. का प्रभुत्व : आई.पी.एस. अधिकारियों की उच्च संख्या (आई.जी. रैंक में 50%, डी.आई.जी. में 20%) के कारण कैडर अधिकारियों की पदोन्नति में बाधा।
  • पदोन्नति में ठहराव : लंबी देरी के कारण सी.ए.पी.एफ. अधिकारियों का मनोबल प्रभावित हो रहा है।
  • गृह मंत्रालय का रुख : मंत्रालय का तर्क है कि आई.पी.एस. अधिकारी केंद्र-राज्य समन्वय और परिचालन दक्षता के लिए आवश्यक हैं, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने आंशिक रूप से स्वीकार किया है किंतु कैडर अधिकारियों की शिकायतों को भी मान्यता दी।
  • नियुक्तियों में अवमानना : सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद मंत्रालय द्वारा नई आई.पी.एस. नियुक्तियों (उदाहरण: 25 जून 2025 को एस.एस.बी. में कमांडेंट रैंक पर नियुक्ति) को याचिकाकर्ताओं द्वारा अवमानना माना जा रहा है।
  • कठिन परिस्थितियाँ : सी.ए.पी.एफ. अधिकारी अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कार्य करते हैं और उनकी सेवाओं को उचित मान्यता की आवश्यकता है।

सरकारी पहल एवं स्थिति

  • गृह मंत्रालय का तर्क
    • आई.पी.एस. अधिकारी केंद्र-राज्य समन्वय और संघीय ढांचे को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    • सी.ए.पी.एफ. में विभिन्न राज्यों में तैनाती के लिए आई.पी.एस. की विशेषज्ञता आवश्यक।
  • कैडर नियंत्रण प्राधिकरण : गृह मंत्रालय सी.ए.पी.एफ. एवं आई.पी.एस. दोनों के लिए कैडर नियंत्रण प्राधिकरण है।
  • याचिकाकर्ताओं की मांग
    • गैर-कार्यात्मक वित्तीय उन्नयन लागू करना।
    • भर्ती नियमों में संशोधन कर एस.ए.जी. तक आंतरिक पदोन्नति की अनुमति देना।
    • कैडर समीक्षा एवं पुनर्गठन करना ताकि ठहराव दूर हो।
  • नई नियुक्तियाँ : मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी कमांडेंट से आई.जी. रैंक तक आई.पी.एस. नियुक्तियाँ जारी रखीं, जिसे याचिकाकर्ताओं ने अवमानना बताया।

आगे की राह

  • कैडर समीक्षा का कार्यान्वयन : नवंबर 2025 तक कैडर समीक्षा पूरी करना, ताकि पदोन्नति प्रक्रिया में सुधार हो।
  • आई.पी.एस. प्रतिनियुक्ति में कमी : दो वर्षों में आई.जी. एवं डी.आई.जी. स्तर पर आई.पी.एस. पदों को कम करना, ताकि कैडर अधिकारियों को अवसर मिलें।
  • मनोबल बढ़ाने के उपाय : कैडर अधिकारियों की भागीदारी बढ़ाने और समय पर पदोन्नति सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत सुधार।
  • नियामक स्पष्टता : आई.पी.एस. एवं कैडर अधिकारियों के बीच भूमिकाओं का स्पष्ट विभाजन ताकि परिचालन दक्षता व कैडर मनोबल दोनों संतुलित हों।
  • कानूनी अनुपालन : गृह मंत्रालय को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना होगा, अन्यथा अवमानना कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।
  • लंबी अवधि की रणनीति : सी.ए.पी.एफ. में प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करना, ताकि आंतरिक सुरक्षा एवं सीमा सुरक्षा में उनकी प्रभावशीलता बढ़ सके।

निष्कर्ष

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सी.ए.पी.एफ. कैडर अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो उनकी लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को संबोधित करता है। आई.पी.एस. प्रतिनियुक्ति को कम करने और कैडर समीक्षा को लागू करने से लगभग 13,000 अधिकारियों को लाभ होगा, जिससे उनका मनोबल व परिचालन दक्षता बढ़ेगी।

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