(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान व निकाय) |
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि ‘योग्यता के आधार पर’ योग्य दिव्यांगजनों को केवल आरक्षित पदों पर ही भर्ती किया जा रहा है, जिससे उसी श्रेणी के कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को ये सीटें नहीं मिल पा रही हैं।
केंद्रीय कर्यबाल में दिव्यांगजन
- कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training: DoPT) के आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार के कार्यबल में दिव्यांगजनों (PwDs) की हिस्सेदारी लगभग 1% तक ही सीमित है और यह आंकड़ा एक दशक से भी अधिक समय से लगभग अपरिवर्तित है।
- डी.ओ.पी.टी. के अनुसार, जनवरी 2022 में केंद्रीय मंत्रालयों में 21,874 दिव्यांग कर्मचारी कार्यरत थे जो केंद्र सरकार के कुल कर्मचारियों का 1.15% है।
वर्ग एवं श्रेणी के अनुरूप प्रतिनिधित्व
- दिव्यांगों का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व ग्रुप सी (सफाई कर्मचारी) के पदों पर पाया गया, जहाँ दिव्यांग कर्मचारी कुल कर्मचारियों का 1.93% हैं।
- हालाँकि, ग्रुप ए के पदों पर केवल 1% ही दिव्यांगों हैं।
- ग्रुप बी के पदों पर दिव्यांग कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व 1.53% और ग्रुप सी (गैर-सफाई कर्मचारी) के पदों पर उनका प्रतिनिधित्व 1.1% था।
- डी.ओ.पी.टी. की वार्षिक रिपोर्ट दर्शाती है कि जनवरी 2016 से जनवरी 2018 के बीच केंद्र सरकार के पदों पर दिव्यांगजनों के प्रतिशत प्रतिनिधित्व में वृद्धि हुई है।
- यह जनवरी 2018 में 1% से बढ़कर 1.13% हो गया।
- वर्ष 2016 से पहले सरकार ने मानक दिव्यांगजनों (40% से अधिक दिव्यांगजन) के लिए 3% आरक्षण लागू किया था।
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 में इसे बढ़ाकर 4% करने का प्रावधान किया गया है।
- इसमें से 1% कोटा विशिष्ट प्रकार की विकलांगताओं के लिए निर्धारित किया गया है।
मुख्य निष्कर्ष
- यह दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत अनिवार्य 4% आरक्षण से काफी कम है।
- गतिरोध : नीतिगत उपायों के बावजूद वर्ष 2013 से दिव्यांगजनों की हिस्सेदारी में कोई सुधार नहीं हुआ है।
- भर्ती अंतराल : आरक्षित रिक्तियों को भरने में देरी और सुलभ बुनियादी ढाँचे की कमी समावेशन में बाधा डालती है।
- क्षेत्रीय असमानता : तकनीकी और उच्च-श्रेणी के पदों पर प्रतिनिधित्व विशेष रूप से कम है।
- पहुँच संबंधी मुद्दे : कई कार्यालयों में भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढाँचा सुगम्यता मानदंडों के अनुरूप नहीं है।
संबंधित मुद्दे
- मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा अनुपालन न करने से कानूनी आदेश कमज़ोर होते हैं।
- संरचनात्मक और मनोवृत्तिगत बाधाएँ दिव्यांगजनों को सार्थक रोज़गार से वंचित रखती हैं।
सरकारी प्रयास
- कार्यस्थल की सुगम्यता में सुधार के लिए सुगम्य भारत अभियान
- दिव्यांगजनों की लंबित रिक्तियों के लिए विशेष भर्ती अभियान
- सुलभ प्रारूपों में ऑनलाइन आवेदन और परीक्षाओं के लिए दिशानिर्देश
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
- यह अधिनियम मौजूदा दिव्यांगजन अधिनियम, 1995 का स्थान लेगा।
- इसके तहत दिव्यांगता को एक विकसित और गतिशील अवधारणा के आधार पर परिभाषित किया गया है।
- इसमें दिव्यांगता के प्रकारों को मौजूदा 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया गया है तथा केंद्र सरकार के पास और अधिक प्रकार की दिव्यांगताएँ जोड़ने का अधिकार होगा।
- यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय करने की ज़िम्मेदारी संबंधित सरकारों पर डाली गई है कि विकलांग व्यक्ति अन्य लोगों के समान अपने अधिकारों का आनंद उठा सकें।
- मानक विकलांगता वाले व्यक्तियों और उच्च सहायता आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के लिए उच्च शिक्षा, सरकारी नौकरियों में आरक्षण, भूमि आवंटन में आरक्षण, गरीबी उन्मूलन योजनाओं आदि जैसे अतिरिक्त लाभ प्रदान किए गए हैं।
- 6 से 18 वर्ष की आयु के मानक विकलांगता वाले प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार होगा।
- सरकारी वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थानों को विकलांग बच्चों को समावेशी शिक्षा प्रदान करनी होगी।
- प्रधानमंत्री के सुगम्य भारत अभियान को सुदृढ़ बनाने के लिए निर्धारित समय-सीमा में सार्वजनिक भवनों (सरकारी व निजी दोनों) में सुगम्यता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है।
- मानक विकलांगता वाले कुछ व्यक्तियों या व्यक्तियों के वर्ग के लिए सरकारी प्रतिष्ठानों में रिक्तियों में आरक्षण 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया गया है।
- इस अधिनियम में जिला न्यायालय द्वारा संरक्षण (Guardianship) प्रदान करने का प्रावधान है जिसके अंतर्गत संरक्षक और दिव्यांगजनों के बीच संयुक्त निर्णय लिया जाएगा।
- केंद्र एवं राज्य स्तर पर शीर्ष नीति निर्माण निकायों के रूप में कार्य करने के लिए व्यापक आधार वाले केंद्रीय व राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड स्थापित किए जाने का प्रावधान है।
- दिव्यांगजनों के मुख्य आयुक्त और राज्य दिव्यांगजन आयुक्तों के कार्यालय को सुदृढ़ किया गया है।
- दिव्यांगजनों की स्थानीय चिंताओं के समाधान के लिए राज्य सरकारों द्वारा जिला स्तरीय समितियों का गठन किया जाएगा।
- इन समितियों के गठन और कार्यों का विवरण राज्य सरकारों द्वारा नियमों में निर्धारित किया जाएगा।
- दिव्यांगजनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य निधि का निर्माण किया जाएगा।
- दिव्यांगजनों के विरुद्ध अपराधों और नए कानून के प्रावधानों के उल्लंघन के मामलों को निपटाने के लिए प्रत्येक जिले में विशेष न्यायालय स्थापित किए जाएँगे।
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