(सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 2: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना) |
संदर्भ
पहली बार, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने गैर-न्यायिक कर्मचारियों के लिए सीधी भर्ती और पदोन्नति में आरक्षण नीति लागू करने के लिए एक सर्कुलर ज़ारी किया है।
सर्वोच्च न्यायालय का हालिया आदेश
- सर्वोच्च न्यायालय ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग, शारीरिक रूप से विकलांग, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के लिए भी आरक्षण लागू करने के लिए अपने स्टाफ भर्ती नियमों में संशोधनों को अधिसूचित किया है।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई द्वारा सर्वोच्च न्यायालय अधिकारी और सेवक (सेवा की शर्तें और आचरण) नियम, 1961 के नियम 4ए में संशोधन करने का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 146(2) के तहत लिया गया था।
- सर्वोच्च न्यायालय के आंतरिक नेटवर्क (“सुपनेट”) पर एक मॉडल आरक्षण रोस्टर और रजिस्टर अपलोड किया गया है, जिसमें वर्ष 1995 के आर.के. सभरवाल फैसले के अनुसार पद-आधारित कोटा की रूपरेखा दी गई है।
- कर्मचारी इस संबंध में त्रुटियों की रिपोर्ट कर सकते हैं या रजिस्ट्रार (भर्ती) के समक्ष आपत्ति व्यक्त कर सकते हैं
आरक्षण के तहत शामिल पद
- रजिस्ट्रार
- वरिष्ठ निजी सहायक
- सहायक लाइब्रेरियन
- जूनियर कोर्ट सहायक
- चैंबर अटेंडेंट
- अन्य गैर-न्यायिक कर्मचारी पद
निर्णय का महत्त्व
- इससे पूर्व सर्वोच्च न्यायालय उन कुछ प्रमुख संस्थानों में से एक था, जिनमें आंतरिक स्टाफ आरक्षण नहीं था, जबकि बाहरी तौर पर आरक्षण प्रणाली को बरकरार रखा गया था।
- यह कदम सामाजिक न्याय के संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप है, जो समानता पर न्यायालय के अपने उदाहरणों के साथ प्रतिध्वनित होता है।
सर्वोच्च न्यायालय को अपने कर्मचारियों की सीधे भर्ती करने की शक्ति
संवैधानिक आधार
- यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को भारत के संविधान के अनुच्छेद 146 से प्राप्त होता है।
- अनुच्छेद 146(1): सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों की नियुक्तियाँ भारत के मुख्य न्यायाधीश या न्यायालय के ऐसे अन्य न्यायाधीश या अधिकारी द्वारा की जाएँगी, जैसा कि वे निर्देश दें।
- अनुच्छेद 146(2) : संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के प्रावधानों के अधीन, सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों की सेवा की शर्तें ऐसी होंगी, जो राष्ट्रपति के अनुमोदन से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा निर्धारित की जाएँगी।
- इसी आधार पर सर्वोच्च न्यायालय अधिकारी और सेवक (सेवा की शर्तें और आचरण) नियम, 1961 को तैयार किया गया है।
व्यावहारिक रूप से लागू करना
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- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सर्वोच्च न्यायालय के कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाले प्राधिकारी हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय स्वयं ही भर्ती नियम बनाता है, जैसे पात्रता, आरक्षण, पदोन्नति आदि।
- इन नियमों को राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों।
- संसद व्यापक कानून बना सकती है, लेकिन दिन-प्रतिदिन की भर्ती और सेवा की शर्तें न्यायालय के प्रशासनिक नियंत्रण में रहती हैं।
- इसी तरह के प्रावधान निम्नलिखित निकायों के लिए भी मौजूद हैं:
- उच्च न्यायालय → अनुच्छेद 229 के तहत
- संसद सचिवालय → अनुच्छेद 98 के तहत