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भारत में लचीले एवं समृद्ध शहर: विश्व बैंक रिपोर्ट

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट एवं सूचकांक)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: आपदा एवं आपदा प्रबंधन)

संदर्भ  

विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट में भारत के शहरी क्षेत्रों में चरम मौसम की घटनाओं के कारण होने वाले संभावित नुकसान पर प्रकाश डाला गया है। 

विश्व बैंक रिपोर्ट के बारे में

  • शीर्षक : ‘टूवर्ड्स रेजिलिएंट एंड प्रॉस्परस सिटीज इन इंडिया’ (Towards Resilient and Prosperous Cities in India)
  • सहयोग : केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सहयोग से 
  • अध्ययन क्षेत्र : यह अध्ययन 24 भारतीय शहरों पर आधारित है जिसमें चेन्नई, इंदौर, नई दिल्ली, लखनऊ, सूरत एवं तिरुवनंतपुरम पर विशेष ध्यान दिया गया है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • शहर प्रमुख रोजगार केंद्र : भारतीय शहर वर्ष 2030 तक 70% नई नौकरियों के सृजन के केंद्र होंगे, जो आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। हालांकि, चरम मौसमी घटनाएँ, जैसे- हीटवेब्स, शहरी ताप द्वीप प्रभाव, और बाढ़ इन शहरों को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • शहरी आबादी में वृद्धि : वर्ष 2050 तक भारत की शहरी आबादी 951 मिलियन तक पहुंच जाएगी और वर्ष 2070 तक 144 मिलियन नए घरों की आवश्यकता होगी।
  • चरम मौसम का प्रभाव : शहरी ताप द्वीप प्रभाव के कारण शहरों का तापमान आसपास के क्षेत्रों की तुलना में 3-4 डिग्री अधिक हो रहा है। साथ ही, निर्मित क्षेत्रों के विस्तार से बाढ़ की संवेदनशीलता बढ़ रही है।
  • आवश्यक बुनियादी ढांचा : वर्ष 2050 तक 50% से अधिक शहरी बुनियादी ढांचे का निर्माण अभी बाकी है जो टिकाऊ और लचीले विकास का अवसर प्रदान करता है।
  • निवेश की आवश्यकता : शहरों में नए, लचीले एवं निम्न-कार्बन वाले बुनियादी ढांचे के लिए वर्ष 2050 तक 2.4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की आवश्यकता होगी।

महत्व

  • यह रिपोर्ट भारत के शहरी विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है। यह न केवल चरम मौसम के खतरों को रेखांकित करती है बल्कि शहरों को आर्थिक विकास के केंद्र के रूप में मजबूत करने के लिए रणनीतियां भी सुझाती है। 
  • यह भारत के लिए एक अवसर है कि वह अपने शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीला बनाए और साथ ही रोजगार सृजन एवं आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा दे। निजी क्षेत्र की भागीदारी और नवीन वित्तपोषण मॉडल इस दिशा में महत्वपूर्ण होंगे।

आगे की राह

रिपोर्ट में शहरों को लचीला बनाने और नुकसान को कम करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं:

  • चरम गर्मी एवं बाढ़ प्रबंधन : शहरी गर्मी और बाढ़ से निपटने के लिए प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, हरे-भरे स्थानों का विकास, और ठंडी छतों (कूल रूफ्स) की स्थापना की जानी चाहिए।
  • लचीला बुनियादी ढांचा : ऊर्जा-कुशल और लचीले आवास, आधुनिक ठोस कचरा प्रबंधन, और बाढ़-रोधी शहरी परिवहन प्रणाली में निवेश किया जाना चाहिए।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी : शहरी वित्त तक पहुंच बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग को मजबूत करना होगा।
  • उदाहरणों से प्रेरणा : अहमदाबाद का हीट एक्शन प्लान, कोलकाता की बाढ़ चेतावनी प्रणाली, इंदौर का ठोस कचरा प्रबंधन, और चेन्नई का जलवायु कार्य योजना अन्य शहरों के लिए अनुकरणीय मॉडल हैं।
  • हरित विकास : हरे-भरे स्थानों को बढ़ावा देना, जल संरक्षण को प्राथमिकता देना, और कम-कार्बन बुनियादी ढांचे को अपनाना आवश्यक है।
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