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अपशिष्ट-से-ऊर्जा कार्यक्रम के तहत संशोधित दिशानिर्देश

(प्रारंभिक परीक्षा : समसायिक घटनाक्रम, महत्त्वपूर्ण योजनाएँ एवं कार्यक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ 

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने हाल ही में राष्ट्रीय बायोऊर्जा कार्यक्रम के अंतर्गत अपशिष्ट से ऊर्जा (WtE) कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य भारत में बायोऊर्जा परियोजनाओं को अधिक कुशल, पारदर्शी एवं प्रदर्शन-आधारित बनाना है। यह कदम न केवल स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देता है बल्कि अपशिष्ट प्रबंधन और वर्ष 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य का भी समर्थन करता है। 

संशोधित दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएँ

संशोधित दिशानिर्देशों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने, वित्तीय सहायता को त्वरित करने और परियोजनाओं को प्रदर्शन से जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

प्रक्रियाओं का सरलीकरण

  • कागजी कार्यवाही में कमी : दिशानिर्देशों में मंजूरी प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है जिससे कागजी कार्यवाही एवं प्रशासनिक बाधाएँ कम हुई हैं।
  • उत्पादन में वृद्धि : संशोधन से संपीडित बायोगैस (CBG), बायोगैस एवं बिजली उत्पादन में तेजी आएगी। इससे पराली व औद्योगिक अपशिष्ट जैसे कचरे का बेहतर प्रबंधन होगा।
  • लचीलापन : परियोजना संचालकों को 18 महीने के भीतर केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) का दावा करने की अनुमति दी गई है जो कमीशनिंग की तारीख या सैद्धांतिक CFA स्वीकृति की तारीख, जो भी बाद में हो, से शुरू होगी।

केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) में सुधार

पहले परियोजना संचालकों को CFA प्राप्त करने के लिए 80% उत्पादन क्षमता हासिल करनी पड़ती थी, जो वित्तीय व्यवहार्यता को प्रभावित करता था। नए दिशानिर्देशों में निम्नलिखित बदलाव किए गए हैं:

  • दो चरणों में CFA वितरण
    • 50% CFA तब जारी किया जाएगा, जब परियोजना को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संचालन की सहमति (Consent to Operate) प्राप्त होगी, जो बैंक गारंटी द्वारा समर्थित होगी।
    • शेष राशि 80% रेटेड क्षमता या अधिकतम CFA-पात्र क्षमता (जो भी कम हो) प्राप्त करने के बाद जारी की जाएगी।
  • प्रो-राटा वितरण : यदि कोई संयंत्र 80% क्षमता तक नहीं पहुँच पाता है तो उत्पादन प्रतिशत के आधार पर आनुपातिक CFA प्रदान किया जाएगा। हालाँकि, यदि संयंत्र का लोड फैक्टर 50% से कम रहता है तो कोई CFA नहीं दिया जाएगा।
  • वित्तीय व्यवहार्यता : यह लचीलापन परियोजना संचालकों के लिए वित्तीय जोखिमों को कम करता है और परियोजनाओं की स्थिरता को बढ़ाता है।

पारदर्शी एवं जवाबदेह निरीक्षण प्रक्रिया

  • संयुक्त निरीक्षण : राष्ट्रीय बायो-ऊर्जा संस्थान (SSS-NIBE), राज्य नोडल एजेंसियों, बायोगैस प्रौद्योगिकी विकास केंद्रों या MNRE द्वारा अधिकृत एजेंसी के प्रतिनिधि द्वारा संयुक्त निरीक्षण किया जाएगा।
  • एकल निरीक्षण : जिन संचालकों ने अग्रिम CFA का विकल्प नहीं चुना है उनके लिए केवल एक प्रदर्शन निरीक्षण की आवश्यकता होगी, जिससे प्रक्रियात्मक देरी कम होगी।

भारत के लिए महत्व

ये संशोधन भारत के स्वच्छ ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे:

  • नेट-जीरो उत्सर्जन : WtE परियोजनाएँ अपशिष्ट को ऊर्जा में परिवर्तित करके जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करेंगी, जो 2070 तक नेट-जीरो लक्ष्य की दिशा में महत्त्वपूर्ण है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन : पराली एवं औद्योगिक कचरे जैसे अपशिष्टों का प्रभावी उपयोग पर्यावरण प्रदूषण को कम करेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।
  • MSMEs को प्रोत्साहन : सरलीकृत प्रक्रियाएँ और वित्तीय सहायता छोटे एवं मध्यम उद्यमों को इस क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेंगी।
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