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संशोधित ब्याज अनुदान योजना

(प्रारंभिक परीक्षा : योजनाएं एवं कार्यक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र)

संदर्भ

28 मई, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज अनुदान योजना (Modified Interest Subvention Scheme) के ब्याज अनुदान (Interest Subvention) घटक की निरंतरता को मंजूरी दी। 

क्या है संशोधित ब्याज अनुदान योजना 

केंद्रीय क्षेत्र की इस योजना का उद्देश्य किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के माध्यम से किसानों को सस्ती ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

योजना की प्रमुख विशेषताएँ

  • ब्याज दर में रियायत : किसानों को KCC के माध्यम से 7% की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपए तक का अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराया जाता है।  
    • इसके अलावा सरकार ऋण देने वाली पात्र संस्थाओं (या बैंकों) को 1.5% की ब्याज छूट (Interest Subvention) देती है जिससे ऋण लागत में कमी आती है।
  • समय पर भुगतान पर अतिरिक्त लाभ : यदि किसान समय पर ऋण चुकाते हैं, तो उन्हें 3% की अतिरिक्त रियायत दी जाती है जिसे ‘शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन’ (Prompt Repayment Incentive: PRI) कहा जाता है। इससे  किसानों के लिए प्रभावी ब्याज दर केवल 4% रह जाती है।
  • पशुपालन एवं मत्स्य पालन के लिए विशेष प्रावधान : यदि ऋण केवल पशुपालन या मत्स्य पालन के लिए लिया गया है तो 2 लाख तक पर ब्याज लाभ उपलब्ध है।

योजना की प्रमुख उपलब्धियाँ

किसान क्रेडिट कार्ड एवं समग्र कृषि ऋण प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है जो इस योजना की सफलता को दर्शाता है :

  • KCC के माध्यम से ऋण वितरण : वर्ष 2014 में 4.26 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर दिसंबर 2024 तक 10.05 लाख करोड़ रुपए हो गया।
  • कुल कृषि ऋण प्रवाह : वित्तीय वर्ष 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 25.49 लाख करोड़ रुपए हो गया।
  • डिजिटल सुधार : अगस्त 2023 में शुरू किए गए किसान ऋण पोर्टल (Kisan Rin Portal: KRP) ने दावों के प्रसंस्करण में पारदर्शिता व दक्षता को बढ़ाया है।

योजना का महत्व

  • कृषि उत्पादकता में वृद्धि : इस योजना के तहत सस्ता ऋण किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, उन्नत बीज, उर्वरक एवं मशीनरी में निवेश करने में सक्षम बनाता है। इससे फसल उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है जो खाद्य सुरक्षा एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
  • वित्तीय समावेशन : छोटे एवं सीमांत किसानों को औपचारिक ऋण प्रणाली से जोड़कर यह योजना गैर-संस्थागत साहूकारों पर उनकी निर्भरता को कम करती है जो प्राय: उच्च ब्याज दरें वसूलते हैं।
    • 7.75 करोड़ से अधिक KCC खाते इस योजना की समावेशी प्रकृति को दर्शाते हैं।
  • सस्ती ऋण सुविधा : वर्तमान उधार लागत, औसत MCLR और रेपो दर के रुझानों को देखते हुए 1.5% की ब्याज सब्सिडी ग्रामीण एवं सहकारी बैंकों को समर्थन देने और किसानों के लिए सस्ते ऋण की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
  • किसानों की आय दोगुनी करना : यह योजना सरकार की किसानों की आय दोगुनी करने की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।

निष्कर्ष

संशोधित ब्याज अनुदान योजना (MISS) की निरंतरता किसानों के लिए सस्ते एवं समय पर ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न केवल कृषि उत्पादकता और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देती है बल्कि सरकार की किसानों की आय दोगुनी करने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है। डिजिटल सुधारों एवं बढ़ते ऋण प्रवाह के साथ यह योजना भारत के कृषि क्षेत्र के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है।

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