हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पश्चिमी अफ्रीका के मॉरिटानिया और सेनेगल में रिफ्ट वैली फीवर (RVF) के प्रकोप की पुष्टि की है।
रिफ्ट वैली फीवर के बारे में
- यह फेनुइविरिडे (Phenuiviridae) कुल से संबंधित फ्लेबोवायरस के कारण होता है। यह मुख्यतः भेड़, बकरी, मवेशी एवं ऊँट जैसे जानवरों को प्रभावित करता है।
- मनुष्य संक्रमित पशुओं के निकट संपर्क से या संक्रमित मच्छरों के काटने से संक्रमित हो जाते हैं। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता हुआ नहीं पाया गया है।
- मच्छरों की कई प्रजातियाँ रिफ्ट वैली बुखार वायरस को संचारित कर सकती हैं तथा प्रमुख वाहक एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होता है।
रिफ्ट वैली बुखार की उत्पत्ति एवं इतिहास
- इसका नाम केन्या की रिफ्ट वैली से लिया गया है जहाँ 1930 के दशक के प्रारंभ में इस रोग की पहली बार पहचान हुई थी। तब से यह संक्रमण उप-सहारा अफ्रीका में फैल गया है।
- वर्ष 1977 में यह उत्तर की ओर मिस्र तक फैल गया और 2000 तक यह लाल सागर को पार कर सऊदी अरब व यमन तक पहुँच गया, जो अफ्रीकी महाद्वीप के बाहर इसकी पहली पुष्टि थी।
रिफ्ट वैली फीवर के लक्षण
- लगभग 90% मामलों में इसके लक्षण हल्के व फ्लू जैसी बीमारी के रूप में सामने आता है जो संक्रमण के दो से छह दिन बाद शुरू होता है।
- इसकी शुरुआत तेज बुखार, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, कमजोरी और पीठ दर्द से होती है जिसमें कभी-कभी मतली, उल्टी व प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता भी होती है।
- कुछ रोगियों में रोग गंभीर रूप ले लेता है जिससे आंखें, मस्तिष्क या यकृत प्रभावित होते हैं।
- वर्तमान में इसका कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। चिकित्सा देखभाल मुख्यतः सहायक होती है।