17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (जुलाई 2005) के समापन पर ‘रियो डी जेनेरियो घोषणा’ को अपनाया गया।
इस घोषणापत्र में सदस्य देशों ने सम्मान एवं समझ, संप्रभु समानता, एकजुटता, लोकतंत्र, खुलापन, समावेशिता, सहयोग व आम सहमति की ब्रिक्स भावना के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
वैश्विक दक्षिण के नेतृत्व की वकालत
ग्लोबल साउथ या वैश्विक दक्षिण, विशेष रूप से विकासशील एवं निम्न विकसित देशों के हितों को बढ़ावा देने के लिए ब्रिक्स की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए वैश्विक शासन संस्थानों (संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व व्यापार संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) में सुधारों का समर्थन किया गया।
समावेशी बहुपक्षवाद
अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के लोकतंत्रीकरण का आह्वान किया गया।
संप्रभुता, गैर-हस्तक्षेप एवं बहुपक्षीय सहयोग के लिए सम्मान पर जोर दिया गया।
सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति पर बल
विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई, हरित प्रौद्योगिकियों और ऊर्जा संक्रमण के लिए संसाधन जुटाने पर जोर दिया गया।
विकसित देशों से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं पर बल दिया गया।
आर्थिक एवं व्यापार सहयोग
ब्रिक्स सदस्यों के बीच व्यापार के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग एवं डी-डॉलरीकरण का समर्थन किया गया।
ग्लोबल साउथ इंफ्रास्ट्रक्चर को वित्तपोषित करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक को मजबूत करने का आह्वान किया गया।
शांति एवं सुरक्षा
एकतरफा प्रतिबंधों एवं सैन्य हस्तक्षेपों का विरोध।
संवाद एवं कूटनीति के माध्यम से संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया गया।
डिजिटल सहयोग
वैश्विक दक्षिण में डिजिटल अंतराल को पाटने पर बल दिया गया।
ए.आई. साइबर सुरक्षा मानदंडों एवं डिजिटल शासन तक उचित पहुंच को बढ़ावा दिया गया।