New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM July Mega Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 21st July 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM July Mega Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 21st July 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मध्य नदी जल विवाद: एक अवलोकन

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय व चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण तथा उसकी चुनौतियाँ)

संदर्भ

वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्यों के पुनर्गठन के बाद से दोनों राज्यों के मध्य कृष्णा व गोदावरी नदियों के जल बंटवारे को लेकर विवाद है। 16 जुलाई, 2025 को नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित एक उच्च-स्तरीय बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नदी जल विवाद से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति जताई है।

दोनों राज्यों के मध्य नदी जल विवाद के बारे में

  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच नदी जल विवाद का मूल कारण आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 (APRA, 2014) के तहत जल संसाधनों का अस्पष्ट बंटवारा है। 
  • दोनों राज्य कृष्णा एवं गोदावरी नदियों के पानी पर निर्भर हैं जो उनकी कृषि, औद्योगिक और पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
  • तेलंगाना का दावा है कि आंध्र प्रदेश ने विशेष रूप से कृष्णा नदी से अत्यधिक पानी का उपयोग किया है, जैसे- पोथिरेड्डीपाडु हेड रेगुलेटर के माध्यम से।
  • दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश का तर्क है कि उसकी परियोजनाएँ (जैसे- पोलावरम-बनकचेरला लिंक परियोजना) सूखा प्रभावित रायलसीमा क्षेत्र के लिए आवश्यक हैं। 
  • ये विवाद कई बार तनाव का कारण बने हैं, जिसके परिणामस्वरूप दोनों राज्यों ने केंद्रीय जल आयोग (CWC), गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड (GRMB) और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड (KRMB) के समक्ष अपनी शिकायतें दर्ज की हैं।

प्रमुख नदियाँ एवं परियोजनाएँ

  • कृष्णा नदी : यह दक्षिण भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है जो महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश से होकर प्रवाहित होती है। प्रमुख परियोजनाओं में शामिल हैं:
    • श्रीशैलम बांध : दोनों राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण जलविद्युत और सिंचाई परियोजना, जिसके रखरखाव एवं जल बंटवारे को लेकर विवाद रहा है।
    • नागार्जुन सागर : यह एक संयुक्त परियोजना है, जो दोनों राज्यों को पानी एवं बिजली प्रदान करती है किंतु जल उपयोग पर असहमति बनी रहती है।
    • पोथिरेड्डीपाडु हेड रेगुलेटर : तेलंगाना का दावा है कि आंध्र प्रदेश इस रेगुलेटर के माध्यम से आवंटन से अधिक पानी ले रहा है।
  • गोदावरी नदी : यह भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है, जो तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र से होकर प्रवाहित होती है। इस पर स्थित प्रमुख परियोजनाएँ :
    • पोलावरम परियोजना : आंध्र प्रदेश की यह बहुउद्देशीय परियोजना सिंचाई, पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। 
    • बनकचेरला परियोजना : आंध्र प्रदेश की इस प्रस्तावित परियोजना का लक्ष्य गोदावरी के पानी को कृष्णा एवं पेन्ना नदियों से जोड़कर रायलसीमा के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में ले जाना है। यह परियोजना तेलंगाना के लिए विवाद का प्रमुख बिंदु है।
  • अन्य परियोजनाएँ : तेलंगाना की पालमुरु-रंगारेड्डी, दिंडी एवं प्राणहिता परियोजनाएं और आंध्र प्रदेश की तेलुगु गंगा व हंद्री-नीवा परियोजनाएं भी जल बंटवारे के विवादों से जुड़ी हैं।

संवैधानिक प्रावधान 

  • अनुच्छेद 262 : यह संसद को अंतर-राज्यीय नदियों और नदी घाटियों के जल उपयोग, बंटवारे व नियंत्रण से संबंधित विवादों को हल करने का अधिकार देता है।
  • यह केंद्र सरकार को ऐसे विवादों को सुलझाने के लिए विशेष ट्रिब्यूनल गठित करने की शक्ति प्रदान करता है। 
  • अनुच्छेद 262(2) : इसके तहत संसद इन विवादों को सुलझाने के लिए कानून बना सकती है और सर्वोच्च न्यायालय या किसी अन्य न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को सीमित कर सकती है।
  • उदाहरण : अंतर- राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 इस अनुच्छेद के तहत लागू किया गया है।

कानूनी प्रावधान

  • आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 : इस अधिनियम के तहत कृष्णा और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड (KRMB और GRMB) की स्थापना की गई थी ताकि दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे व परियोजनाओं की निगरानी की जा सके।
  • कृष्णा जल विवाद ट्रिब्यूनल (KWDT) : वर्ष 1969 में गठित इस ट्रिब्यूनल ने वर्ष 1976 में जल आवंटन पर अपना अंतिम निर्णय दिया, जिसमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र के बीच जल बंटवारा तय किया गया। उस समय आंध्र प्रदेश का हिस्सा रहा तेलंगाना अब नए सिरे से आवंटन की मांग कर रहा है।
  • गोदावरी जल विवाद ट्रिब्यूनल (GWDT) : इसने वर्ष 1980 में गोदावरी के पानी का आवंटन किया, जिसमें तेलंगाना को 968 TMCft और आंध्र प्रदेश को 518 TMCft आवंटित किया गया। हालांकि, अधिशेष पानी के बंटवारे पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं है, जो बनकचेरला परियोजना जैसे विवादों का कारण बना है।
  • अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 : इस अधिनियम में अंतर-राज्यीय जल विवादों को सुलझाने के लिए ट्रिब्यूनल गठन की प्रक्रिया का उल्लेख है। दोनों राज्यों ने इस अधिनियम के तहत अपनी शिकायतें दर्ज की हैं।
  • राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (NDSA) : श्रीशैलम बांध की संरचनात्मक समस्याओं, विशेष रूप से इसके प्लंज पूल के मुद्दों पर NDSA ने चिंता व्यक्त की है और आंध्र प्रदेश को तत्काल मरम्मत करने का निर्देश दिया है।

हालिया निर्णय के बारे में

16 जुलाई, 2025 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की अध्यक्षता में आयोजित एक उच्च-स्तरीय बैठक में निम्नलिखित प्रमुख निर्णय लिए गए:

  • टेलीमेट्री प्रणाली की स्थापना : दोनों राज्यों ने कृष्णा नदी के सभी जल निकासी बिंदुओं और नहरों पर टेलीमेट्री प्रणाली स्थापित करने पर सहमति जताई, ताकि जल उपयोग की पारदर्शी व वास्तविक समय की निगरानी हो सके।
  • श्रीशैलम बांध की मरम्मत : दोनों राज्यों ने श्रीसैलम बांध की मरम्मत एवं प्लंज पूल संरक्षण के लिए CWC और विशेषज्ञ सुझावों को तुरंत लागू करने पर सहमति दी।
  • KRMB और GRMB के कार्यालय : कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड (KRMB) का मुख्यालय अमरावती (आंध्र प्रदेश) में और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड (GRMB) का मुख्यालय हैदराबाद (तेलंगाना) में रखने का निर्णय लिया गया।
  • संयुक्त समिति का गठन : पोलावरम-बनकचेरला लिंक परियोजना और अन्य जल विवादों को हल करने के लिए दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों एवं तकनीकी विशेषज्ञों की एक संयुक्त समिति गठित की जाएगी, जो CWC की निगरानी में काम करेगी। 
    • यह समिति एक सप्ताह के भीतर गठित होगी और 30 दिनों में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी।
    • यह समिति समुद्र में बह जाने वाले गोदावरी के 3000 TMCft पानी के इष्टतम उपयोग की संभावनाओं की भी जांच करेगी।
  • बनकचेरला परियोजना पर चर्चा : तेलंगाना ने बनकचेरला परियोजना पर आपत्तियां जताई हैं।

चुनौतियां

  • जल बंटवारे पर असहमति : गोदावरी और कृष्णा नदियों के अधिशेष पानी के बंटवारे पर कोई स्पष्ट सहमति न होना विवादों का प्रमुख कारण है।
  • परियोजनाओं की मंजूरी : बनकचेरला परियोजना को CWC, GRMB एवं शीर्ष परिषद् से मंजूरी नहीं मिली है जिसे तेलंगाना ने अवैध करार दिया है।
  • श्रीसैलम बांध का रखरखाव : बांध की संरचनात्मक समस्याएं, विशेष रूप से प्लंज पूल, दोनों राज्यों के लिए चिंता का विषय हैं। मरम्मत में देरी से जलापूर्ति और बिजली उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
  • राजनीतिक तनाव : दोनों राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक दलों की सरकारें होने के कारण जल विवादों का राजनीतिकरण एक चुनौती है।
  • टेलीमेट्री प्रणाली की सीमाएँ : पुरानी टेलीमेट्री प्रणालियों की खराबी एवं CWC द्वारा पाई गई अशुद्धियों के कारण विश्वसनीय डाटा संग्रह एक चुनौती बनी हुई है।

आगे की राह

  • संयुक्त समिति की सिफारिशें : गठित समिति को बनकचेरला परियोजना और अन्य विवादित मुद्दों पर तकनीकी एवं प्रशासनिक समाधान प्रस्तुत करने चाहिए। इसकी सिफारिशें दोनों राज्यों के बीच सहमति का आधार बन सकती हैं।
  • टेलीमेट्री प्रणाली का उन्नयन : आधुनिक टेलीमेट्री प्रणालियों की त्वरित स्थापना और रखरखाव से जल उपयोग में पारदर्शिता बढ़ेगी तथा विश्वास का निर्माण होगा।
  • श्रीसैलम बांध की मरम्मत : आंध्र प्रदेश को मरम्मत कार्य तत्काल शुरू करना चाहिए ताकि बांध की सुरक्षा और कार्यक्षमता सुनिश्चित हो।
  • नए ट्रिब्यूनल का गठन : गोदावरी के अधिशेष पानी के बंटवारे के लिए एक नया ट्रिब्यूनल या आपसी समझौता आवश्यक है, जैसा कि GRMB ने सुझाया है।
  • राजनीतिक सहयोग : दोनों राज्यों को राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर तेलुगु एकता के आधार पर सहयोग बढ़ाना चाहिए।
  • जल के इष्टतम उपयोग की खोज : समिति को समुद्र में बह जाने वाले गोदावरी के 3000 TMCft पानी के उपयोग के लिए नवाचार एवं टिकाऊ समाधान तलाशने चाहिए।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR