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भारत में कोविड-19 की ट्रैकिंग में डिजिटल प्लेटफॉर्म की भूमिका

(सामान्य अध्ययन, मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र 3: विषय – सूचना प्रौद्योगिकी एवं नई प्रौद्योगिकी का विकास)

पृष्ठभूमि

  • भारत में जैम त्रय (Jan-dhan, Aadhaar, Mobile–JAM) और यू.पी.आई. (Unified Payment Interface–UPI) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म अत्यंत सफल रहे हैं, अतः अब देश भर में डिजिटल प्लेटफॉर्मों की स्वीकार्यता बढ़ रही है।
  • हाल ही में लॉन्च किया गया आरोग्य सेतु डिजिटल एप्लीकेशन भी कोविड 19 महामारी के खिलाफ भारत की मुहिम में अगला गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यद्यपि इससे जुड़ी कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जिनकी चर्चा अपेक्षित है:

घरेलू डिजिटल प्लेटफॉर्म की सफलता की कहानी

  • विगत वर्षों में, प्रत्यक्ष नकद अंतरण (Direct Benefit Transfer–DBT) के लिये जैम त्रय और यू.पी.आई. ने भारत को डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में बहुत उन्नत किया है।
  • भारत में ज़रूरतमंदों को धन के हस्तांतरण के लिये जैम त्रय का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया है। हाल ही में, देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा ज़रूरतमंदों को सहायता राशि उपलब्ध कराने के लिये इसका उपयोग किया गया था।
  • इसी प्रकार, डिजिटल लेन-देन के लिये यू.पी.आई. वर्तमान में सर्वाधिक प्रचलित प्लेटफ़ॉर्मों में से एक है और बड़ी संख्या में लोग इसका इस्तेमाल कर भी रहे हैं।
  • मार्च 2020 तक लगभग 148 बैंक यू.पी.आई. प्लेटफॉर्म पर आ चुके थे। इसके के द्वारा विगत वर्ष लगभग 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का लेनदेन हुआ था।

आरोग्य सेतु एप

  • कोविड-19 महामारी से लड़ने हेतु देश भर के लोगों को एक-साथ लाने के लिये भारत सरकार ने 'आरोग्य सेतु' नामक मोबाइल एप लॉन्च किया है।
  • आरोग्य सेतु लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के जोखिम का आकलन करने में सक्षम बनाएगा। जोखिम आकलन के लिये यह अत्याधुनिक ब्लूटूथ तकनीक, एल्गोरिदम तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके लोगों के बीच परस्पर अंतःक्रिया को आधार बनाएगा। इसके द्वारा संक्रमित व्यक्ति की लोकेशन ट्रैक की जा सकेगी।
  • 'आरोग्य सेतु एप' को इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत विकसित किया गया है।
  • गोपनीयता की नीति का अनुपालन करते हुए इस एप द्वारा उपयोग किया गया डाटा मोबाइल फोन में ही कूटबद्ध और सुरक्षित रहेगा, जब तक कि चिकित्सकीय कार्य हेतु उसकी आवश्यकता न पड़े।
  • कुल 11 भाषाओं में उपलब्ध यह एप डिजिटल इंडिया के तहत कार्य करेगा।
  • भारत में आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग इसे कितने व्यापक तरीके से अपनाते हैं।

आरोग्य सेतु - सम्भावित चुनौतियाँ

  • हाल ही में नंदन नीलेकणी ने इस बात को स्पष्ट किया कि भारत में ऐप डाउनलोड करना किसी भी अन्य विकसित या विकासशील देश की तुलना में सम्भवतः सबसे महँगा है।
  • इंटरनेट डाटा अत्यधिक सस्ता होने के बावजूद भारत में लोग ऐप डाउनलोड करने से पहले कई कारकों पर विचार करते हैं, जैसे कि मोबाइल में आवश्यक भंडारण स्थान है या नहीं, मोबाइल की बैटरी पर कोई असर तो नहीं पड़ेगा और कहीं इससे बहुत ज़्यादा डाटा तो खर्च नहीं होगा।
  • स्मार्टफोन बाज़ार के कई बड़े निवेशक डिजिटल एप्लीकेशन क्षेत्र में भी निवेश करने को तैयार हैं क्योंकि भारत स्मार्टफोन का एक बहुत बड़ा बाज़ार है।
  • ऐसी स्थिति में किसी विशेष उद्देश्य या कार्य के लिये बनाए गए एप की तरफ लोगों का ध्यान आकृष्ट करना बहुत बड़ी चुनौती है। देशव्यापी लॉकडाउन के समय हर व्यक्ति घर में बंद है और सामान्यतः उन एप्लीकेशन पर ज़्यादा ध्यान दे रहा है जिनसे अधिक मनोरंजन या काम की अन्य चीज़ें उन्हें मिल रही हैं।
  • हाल ही में, आरोग्य सेतु एप से डाटा चोरी होने की भी खबरें आईं हैं, जिससे लोगों में इस एप की विश्वसनीयता को लेकर संशय उत्पन्न हो गया है।

क्या हैं अन्य विकल्प ?

  • सरकार कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण एप्लीकेशनों (जैसे भीम, पेटीएम या फोनपे आदि) का इस्तेमाल कोविड-19महामारी से जुड़े मामलों को ट्रैक करने के लिये कर सकती है, क्योंकि इनकी पहुँच दायरा अधिक व्यापक है और वर्तमान में लोग सहज तरीके से इनका उपयोग भी कर रहे हैं।
  • सरकार को यह भी ध्यान रखना होगा कि भारत में सिर्फ एक-तिहाई लोगों के पास ही स्मार्टफोन हैं और उनमें से भी बहुत कम लोग ही ब्लूटूथ तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। अतः सरकार को कॉल ओवर डाटा (साधारण फोन के लिये) तथा वाईफाई (स्मार्टफोन के लिये) जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करना चाहिये ताकि एप सर्वसुलभ हो सके और व्यापक स्तर पर लोग इसका उपयोग कर सकें।

निष्कर्ष

  • भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में किसी महामारी के दौरान रोगियों की पहचान करना और उन पर नज़र रखना हमेशा से एक कठिन कार्य रहा है। आरोग्य सेतु एप एक उम्मीद ज़रूर जगाता है, लेकिन साथ ही कुछ बुनियादी सवाल भी खड़े होते हैं, जैसे आम व्यक्ति इसका कितना इस्तेमाल कर सकता है और डाटा चोरी होने को कैसे रोका जा सकता है?
  • एप्पल एवं गूगल द्वारा कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग हेतु नित नए प्रयोग किये जा रहे हैं, जिनसे सीखा जा सकता है। भारत में अभी भी आम आदमी स्मार्टफोन की बहुत सी तकनीकों से अनजान है या उनके बारे में बहुत कम जानता है, इसलिये किसी भी एप को अधिकाधिक लोकप्रिय बनाने के लिये अधिक सुलभ तकनीकों का प्रयोग भी किया जाना चाहिये।
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