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बीज विधेयक 2025 : गुणवत्ता विनियमन सुधार

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 : संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।)

संदर्भ

केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में गुणवत्ता सुधारने और किसानों को खराब बीजों से होने वाले नुकसान को रोकने के उद्देश्य से सीड्स बिल, 2025 का मसौदा जारी किया है। इस नए बिल के तहत निम्न गुणवत्ता, नकली या गैर-पंजीकृत बीज बेचने पर भारी जुर्माना और सज़ा का प्रावधान किया गया है।

बीज विधेयक, 2025 का मसौदा

  • केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि एवं नियामक मौजूदा आवश्यकताओं के अनुरूप बीज विधेयक, 2025 का मसौदा तैयार किया है। 
  • प्रस्तावित विधेयक मौजूदा बीज अधिनियम, 1966 और बीज (नियंत्रण) आदेश, 1983 का स्थान लेगा।

विधेयक का उद्देश्य

  • बीजों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना
  • किसानों को बेहतर बीज उपलब्ध कराना
  • नकली बीजों की आपूर्ति पर रोक लगाना
  • बीज उत्पादन और वितरण प्रणाली को व्यवस्थित करना
  • भारत में बीज उद्योग को अधिक पारदर्शी बनाना

प्रमुख प्रावधान

अनिवार्य पंजीकरण

  • नए बिल का प्रमुख प्रावधान बीजों का अनिवार्य पंजीकरण (Mandatory Registration) है।
  • बिल के अनुसार, अधिनियम लागू होने के बाद किसी भी बीज को बेचने से पहले उसका पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • केवल किसान किस्में (Farmer’s Variety) और निर्यात हेतु तैयार बीज इस अनिवार्यता से मुक्त रहेंगे।
  • पुराने बीज अधिनियम, 1966 के तहत पहले से अधिसूचित बीज किस्मों को स्वतः ही नई व्यवस्था में पंजीकृत माना जाएगा।
  • मौजूदा कानून में बीजों के लिए अनिवार्य पंजीकरण की व्यवस्था नहीं थी, जो अब पहली बार लागू की जाएगी।

अपराधों की तीन श्रेणियाँ

  • सीड्स बिल 2025 में अपराधों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
  • तुच्छ (Trivial)
  • लघु (Minor)
  • गंभीर (Major)
  • सबसे कड़े प्रावधान गंभीर अपराधों के लिए हैं।
  • गंभीर श्रेणी में शामिल प्रमुख अपराध:
  • नकली/स्प्यूरियस बीज की आपूर्ति
  • गैर-पंजीकृत बीज बेचना
  • बिना पंजीकरण के बीज विक्रेता, वितरक, उत्पादक या नर्सरी के रूप में व्यवसाय करना
  • इन कार्यों को रोकने के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है।

जुर्माना और सज़ा

  • गंभीर श्रेणी के अपराधों के लिए:
    • अधिकतम 30 लाख रुपये तक का जुर्माना
    • अधिकतम 3 साल तक की कैद
  • यह पहली बार है जब बीज गुणवत्ता को लेकर इतने कठोर दंड प्रस्तावित किए गए हैं।

नए कानून की आवश्यकता क्यों

  • वर्तमान में बीजों की बिक्री और उनकी गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए बीज अधिनियम, 1966 लागू है। 
  • लेकिन बदलते कृषि मॉडल, बाजार में बढ़ते बीज व्यापार और बार-बार सामने आने वाली नकली बीजों की समस्या के कारण सरकार नए और सख्त कानून की आवश्यकता महसूस कर रही थी। 
  • सीड्स बिल 2025 इसी उद्देश्य से मौजूदा कानून की जगह लेने जा रहा है।

निष्कर्ष

सीड्स बिल 2025 किसानों के हितों की रक्षा करने और कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अनिवार्य पंजीकरण, कड़े दंड और बीज आपूर्ति व्यवस्था पर नियंत्रण से नकली और कम गुणवत्ता वाले बीजों की समस्या को काफी हद तक रोकने की उम्मीद है। आने वाले समय में इस बिल के लागू होने से किसानों को अधिक भरोसेमंद और गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध हो सकेंगे।

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