New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Navratri Special Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 28th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Navratri Special Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 28th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

भारतीय तेल बेड़े को मजबूत करने की दिशा में कदम

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश होने के नाते भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी जहाजों पर भारी निर्भरता का सामना कर रहा है। इसी चुनौती से निपटने के लिए शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) ने भारतीय ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) व हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। 

SCI एवं PSUs के बीच MoU के बारे में

  • यह समझौता SCI और तीन प्रमुख तेल विपणन कंपनियों (OMCs)- IOCL, BPCL व HPCL के बीच एक रणनीतिक साझेदारी है। 
  • इसका उद्देश्य तेल, पेट्रोलियम उत्पादों, पेट्रोकेमिकल्स और हाइड्रोकार्बन कार्गो के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा तटीय परिवहन के लिए एक संयुक्त बेड़ा विकसित करना है। 
  • बंदरगाह, शिपिंग एवं जलमार्ग मंत्रालय तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पहल से प्रेरित यह समझौता देश की शिपिंग क्षमता को बढ़ाने व आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। 

प्रमुख बिंदु

  • इसका लक्ष्य भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना और विदेशी जहाजों पर निर्भरता को कम करना है। 
  • यह साझेदारी देश की रिफाइनिंग क्षमता को वर्ष 2030 तक 250 मिलियन टन से 450 मिलियन टन तक बढ़ाने के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होगी। 
  • कंपनियां मिलकर नए जहाजों का अधिग्रहण करेंगी, जिनका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और तटीय परिवहन के लिए किया जाएगा।
  • SCI एवं OMCs संयुक्त रूप से जहाजों का स्वामित्व, संचालन और रखरखाव करेंगी।

समझौते का प्रभाव

  • यह MoU भारत की शिपिंग क्षमता को दोगुना करने और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 
  • इससे विदेशी जहाजों पर निर्भरता घटेगी, जो वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों (जैसे-रूस-यूक्रेन संघर्ष) के दौरान आपूर्ति बाधाओं से बचाव करेगा। 
  • आर्थिक रूप से यह घरेलू शिपबिल्डिंग उद्योग को पुनर्जीवित करेगा, लाखों रोजगार सृजन करेगा और निर्यात को बढ़ावा देगा। 
  • पर्यावरणीय दृष्टि से नए जहाज इको-फ्रेंडली तकनीकों से लैस होंगे, जो IMO 2020 मानकों का पालन करेंगे। 
  • कुल मिलाकर यह ऊर्जा आयात लागत को 20-30% तक कम कर सकता है और रिफाइनिंग विस्तार को समर्थन देगा।

भारत के तेल बेड़े की वर्तमान स्थिति

  • भारत का तेल बेड़ा वर्तमान में अपर्याप्त एवं पुराना है। देश के पास कुल 112 कच्चे तेल टैंकर हैं किंतु फिलहाल अधिकांश OMCs द्वारा संचालित जहाज विदेशी चार्टर पर हैं, जो 20 वर्ष से अधिक पुराने हैं। 
  • भारतीय निर्मित टैंकरों का हिस्सा मात्र 5% है, जबकि 95% से अधिक आयात विदेशी जहाजों पर निर्भर है। 
  • SCI के पास लगभग 55 जहाज हैं, जिनमें से कुछ कच्चे तेल टैंकर हैं किंतु कुल क्षमता 250 मिलियन टन रिफाइनिंग के लिए अपर्याप्त है। 
  • सरकार ने वर्ष 2040 तक 10 बिलियन डॉलर (लगभग 85,000 करोड़ रुपए) निवेश की योजना बनाई है जिसमें पहली चरण में 79 जहाज (30 मध्यम रेंज) शामिल हैं। 
  • वर्ष 2030 तक स्वदेशी निर्मित हिस्से को 7% और वर्ष 2047 तक 69% करने का लक्ष्य है।

तेल बेड़े के विस्तार की आवश्यकता

  • तेल बेड़े का विस्तार भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि देश 85% कच्चे तेल आयात करता है और दैनिक 5.5 मिलियन बैरल की खपत है। 
  • यह बेड़ा वैश्विक आपूर्ति बाधाओं (जैसे- हॉर्मुज जलडमरूमध्य में रुकावट) से बचाव प्रदान करेगा, जहां 1.5-2 मिलियन बैरल प्रतिदिन भारत से गुजरते हैं। 
  • इसके अलावा यह आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा, शिपबिल्डिंग उद्योग को मजबूत करेगा और विदेशी मुद्रा बचत करेगा। 
  • रणनीतिक रूप से यह भारतीय महासागर क्षेत्र में नेट सिक्योरिटी प्रदाता की भूमिका निभाने में सहायक होगा। साथ ही, हरित शिपिंग से पर्यावरण लक्ष्यों को पूरा करेगा।

चुनौतियाँ

  • पुराना बेड़ा: अधिकांश जहाज 20 वर्ष से अधिक पुराने, रखरखाव लागत अधिक और कम सक्षम
  • उच्च निर्माण लागत: स्टील, कच्चे माल एवं आयातित उपकरणों पर सीमा शुल्क से महंगा
  • पर्यावरणीय अनुपालन: IMO मानकों और हरित ईंधन (LNG, हाइड्रोजन) अपनाने की चुनौती
  • वित्तीय बाधाएं: अपर्याप्त बीमा योजनाएं और समुद्री वित्तपोषण की कमी
  • भू-राजनीतिक जोखिम: EU/अमेरिकी प्रतिबंधों से ‘डार्क फ्लीट’ पर निर्भरता, जैसे-नायरा एनर्जी के मामले में
  • मानव संसाधन: कुशल श्रमिकों की कमी और सहायक उद्योगों का विकास

आगे की राह

  • SCI एवं तेल कंपनियाँ फ्लीट के निर्माण और संचालन में समान निवेश तथा तकनीकी सहयोग जारी रखें।
  • स्थायी एवं ऊर्जा कुशल जहाज़ विकसित करना
  • अंतर्राष्ट्रीय और तटीय व्यापार में सुरक्षा, दक्षता व विश्वसनीयता सुनिश्चित करना
  • सरकार एवं उद्योग के सहयोग से नवाचार व क्षमता विस्तार

शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI)

  • स्थापना: 1961 में 
  • मुख्यालय: मुंबई
  • प्रकार: सरकारी उपक्रम
  • मुख्य उद्देश्य:
    • भारत के लिए समुद्री परिवहन की सुविधा प्रदान करना
    • अंतर्राष्ट्रीय एवं तटीय व्यापार में भारतीय शिपिंग क्षमता को सुदृढ़ करना
  • मुख्य कार्य
    • माल एवं यात्री परिवहन
    • तेल, पेट्रोकेमिकल्स, कंटेनर व अन्य कार्गो का संचालन
    • देश की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X