New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM Raksha Bandhan Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 30th July, 8:00 AM Raksha Bandhan Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 30th July, 8:00 AM

भारत में विधिक सहायता प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान व निकाय)

संदर्भ

भारत की विधिक सहायता प्रणाली (Legal Aid Systems) दुनिया की सबसे बड़ी प्रणालियों में से एक होने के बावजूद अपर्याप्त क्षमता, जागरूकता की कमी और पहुँच से जूझ रही है। यह विशेष रूप से हाशिए पर स्थित लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से संस्थागत और जमीनी स्तर की क्षमताओं को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता पर बल देता है।

भारत की विधिक सहायता प्रणाली 

  • संविधान का अनुच्छेद 39A निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने का आदेश देता है।
  • कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA), राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA), जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण की स्थापना की।
    • इसके माध्यम से ही ब्लॉक स्तर पर तालुक कानूनी सेवा समितियों का गठन किया गया। 

भारत की विधिक सहायता प्रणाली के समक्ष चुनौतियाँ

  • निम्न प्रेरणा और पारिश्रमिक वाले गुणवत्तापूर्ण कानूनी सहायता वकीलों की कमी
  • ग्रामीण और हाशिए पर स्थित समुदायों में कानूनी जागरूकता का अभाव
  • कानूनी सहायता संस्थानों और न्यायपालिका के बीच खराब समन्वय
  • पहुँच एवं सेवा वितरण में प्रौद्योगिकी का सीमित उपयोग

सरकार द्वारा विधिक सहायता प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के प्रयास

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की प्रमुख पहलें 

  • लोक अदालतें : आसान, तत्काल और बिना खर्च के विवाद का निपटान
  • लीगल एड क्लीनिक्स : ग्राम स्तर पर विधिक परामर्श की सुविधा
  • पैरा लीगल वालंटियर स्कीम (PLVs) : स्थानीय स्तर पर विधिक जानकारी एवं सहायता पहुँचाना
  • डिजिटल विधिक सहायता (ई-लोक अदालत, टेली/वीडियो काउंसलिंग) : तकनीक के माध्यम से दूरदराज क्षेत्रों तक पहुँच

डिजिटल पहलों के माध्यम से सुधार

  • टेली लॉ योजना : कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में नि:शुल्क विधिक परामर्श
  • द्वार पर न्याय (Justice at Doorstep) के लक्ष्य को प्राप्त करना 
  • लीगल ऐड मोबाइल ऐप : यह विधिक जानकारी, मुफ्त वकील व सहायता प्राप्त करने के लिए नालसा का मोबाइल ऐप है।
  • ई-कोर्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट : न्यायालयों को तकनीकी रूप से सुसज्जित कर आम नागरिकों की पहुँच आसान बनाना

विधिक साक्षरता अभियान

  • स्कूलों, कॉलेजों, पंचायतों और जेलों में विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन
  • नालसा की ‘Connecting to Serve’ थीम नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने पर केंद्रित

न्याय प्रणाली में समावेशिता

  • महिला, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक, ट्रांसजेंडर, मानसिक रोगी, अनाथ आदि कमजोर वर्गों के लिए विशेष विधिक सहायता सेल
  • जेलों में बंद गरीब/विचाराधीन कैदियों के लिए जेल विधिक सहायता केंद्र

 सुझाव

  • क्षमता निर्माण : कुशल पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए विधिक सहायता वकीलों के प्रशिक्षण और वेतन में सुधार
  • ज़मीनी स्तर पर पहुँच : ब्लॉक एवं पंचायत स्तर पर विधिक सहायता प्रणाली को मज़बूत करना
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग : ई-कानूनी सेवाओं, ऑनलाइन हेल्पलाइन और ए.आई.-आधारित विधिक सलाह उपकरणों का विस्तार
  • निगरानी एवं जवाबदेही : मामलों की गुणवत्ता, निपटान दरों और लाभार्थी संतुष्टि का नियमित मूल्यांकन
  • नागरिक समाज एवं विधि विद्यालयों की भूमिका : विधिक साक्षरता अभियानों में नैदानिक कानूनी शिक्षा और छात्रों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना
  • आउटरीच एवं अनुवर्ती कार्रवाई के लिए गैर-सरकारी संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ सहयोग को बढ़ावा

निष्कर्ष

विधिक सहायता को प्रतीकात्मक पहुँच से आगे बढ़कर सामाजिक न्याय का एक मज़बूत साधन बनना चाहिए। भारत में समावेशी न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक अच्छी तरह से वित्त पोषित, जन-केंद्रित एवं प्रौद्योगिकी-सक्षम कानूनी सहायता प्रणाली आवश्यक है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR