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हाथों का विकास: मछलियों से इंसानों तक का रहस्य

(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास व अनुप्रयोग, बायो-टैक्नोलॉजी)

संदर्भ

लगभग 36 करोड़ वर्ष पहले हमारे मछली जैसे पूर्वज जल से भूमि पर आए। इस दौरान उनकी पंखों जैसी संरचनाएँ धीरे-धीरे पैरों में बदलीं और आगे चलकर आगे के पैर हाथों में बदल गए। यह परिवर्तन मानव विकास (Evolution) की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है। हालिया शोध में वैज्ञानिकों ने यह समझने की कोशिश की कि हाथ एवं पैर का विकास किस तरह हुआ।

हाथों के विकास पर शोध अध्ययन

  • शोधकर्ताओं ने CRISPR तकनीक का उपयोग कर यह अध्ययन किया।
  • उन्होंने जैब्रा फिश (Zebrafish) के भ्रूणों का अध्ययन कर पता लगाया कि हाथ-पैर का विकास किन जीनों की वजह से हुआ।
  • शोध से पता चला कि हाथ-पैर किसी नए जीन के कारण नहीं बने, बल्कि पुराने जीन के संयोजन एवं रीसाइक्लिंग (Recycling) से बने।

पृष्ठभूमि

  • लंबे समय से वैज्ञानिक जीवाश्म (Fossils) और भ्रूण विज्ञान (Embryology) का अध्ययन कर रहे थे ताकि समझ सकें कि मछलियों के पंख कैसे अंगों में बदले।
  • पहले के शोध में पाया गया था कि DNA में एक विशेष हिस्सा, जिसे 5DOM कहा जाता है, पैरों एवं पंजों के विकास में अहम भूमिका निभाता है।
  • प्रश्न था कि क्या यह जीन केवल स्थलीय प्राणियों में विकसित हुआ या मछलियों में भी मौजूद था।

शोध के मुख्य निष्कर्ष

  • वैज्ञानिकों ने पाया कि 5DOM जीन ज़ेब्रा फिश में भी मौजूद है और 36 करोड़ वर्ष पहले से काम कर रहा है।
  • जब इसे CRISPR से हटाया गया तो मछली के पंखों पर कोई विशष प्रभाव नहीं पड़ा, बल्कि उसकी पूंछ के निचले हिस्से (जहाँ गुदा एवं प्रजनन अंग होते हैं) में असर देखा गया।
  • इसका अर्थ है कि यह जीन शरीर के अंतिम हिस्से के विकास का निर्देश देता था।
  • विकास की प्रक्रिया (Evolution) में यही जीन बाद में हाथ-पैर के विकास में भी इस्तेमाल हुआ अर्थात हमारे हाथ-पैर का जेनेटिक ब्लूप्रिंट पुराने प्रजनन अंगों के जीन से विकसित हुआ।

महत्व

  • यह शोध बताता है कि मानव विकास पूरी तरह नए आविष्कार पर नहीं, बल्कि पुराने जैविक ब्लूप्रिंट के पुनः उपयोग पर आधारित है।
  • यह हमारे डी.एन.ए. एवं विकासवाद की गहरी समझ को बढ़ाता है।
  • भविष्य में यह ज्ञान जन्मजात विकृतियों (जैसे- हाथ व पैर से जुड़ी बीमारियों) के उपचार में मदद कर सकता है।
  • यह विज्ञान को यह भी सिखाता है कि प्रकृति नए समाधान खोजने के लिए पुराने संसाधनों का पुनः प्रयोग करती है।
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