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भारतीय प्रसारकों के बकाया भुगतान का मुद्दा एवं चुनौतियां

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध)

संदर्भ

भारतीय प्रसारकों (Broadcasters) ने नेपाल एवं बांग्लादेश से अपने बकाया भुगतान को लेकर गंभीर चिंता जताई है। वर्ष 2023 से अब तक इन दोनों देशों से भारतीय प्रसारण कंपनियों के लगभग 350 करोड़ से अधिक बकाया हैं। यह स्थिति भारतीय मनोरंजन चैनलों के लिए चुनौतीपूर्ण होती जा रही है।

हालिया मुद्दा 

  • भारतीय मनोरंजन चैनल, विशेषकर हिंदी व बांग्ला भाषा के चैनल, नेपाल एवं बांग्लादेश में अत्यधिक लोकप्रिय हैं। 
  • दोनों देशों के प्रसारण वितरक (Distributors) भारतीय चैनलों का प्रसारण करते हैं किंतु लंबे समय से उन्हें संबंधित देशों द्वारा भुगतान नहीं हो रहा है।

नेपाल और बांग्लादेश में भारतीय प्रसारक

  • नेपाल टेलीकॉम और अन्य नेटवर्क्स में ज़ी, स्टार, सोनी एवं वायकॉम जैसे भारतीय चैनल उपलब्ध हैं।
  • बांग्लादेशी टीवी वितरकों के नेटवर्क पर भी भारतीय चैनल देखे जा सकते हैं।
  • दोनों देशों को भारतीय चैनलों का अलग ‘क्लीन फ़ीड (Clean Feed)’ उपलब्ध कराया जाता है ताकि भारतीय विज्ञापन वहाँ प्रसारित न हों।
  • इन सेवाओं के लिए भारतीय कंपनियां डॉलर में शुल्क लेती हैं।

बकाया में वृद्धि 

  • कुल बकाया: 350 करोड़ से अधिक
  • नेपाल का बकाया: लगभग 100 करोड़
  • बांग्लादेश का बकाया: लगभग 250 करोड़
  • भुगतान वर्ष 2023 से लंबित है और हाल की राजनीतिक अस्थिरता ने समस्या को अधिक गंभीर कर दिया है।

भुगतान न होने के कारण

  • राजनीतिक अस्थिरता : बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद प्राथमिकताएं बदल गईं।
  • आर्थिक संकट : बांग्लादेश ने दवाओं और बिजली क्षेत्र को प्राथमिकता दी, प्रसारण क्षेत्र को नहीं।
  • विदेशी मुद्रा मंजूरी : नेपाल और बांग्लादेश दोनों में विदेशी मुद्रा भुगतान के लिए सरकारी मंजूरी आवश्यक है।
  • नीतिगत बदलाव : नेपाल ने अचानक नए नियम लागू कर दिए, जिससे प्रसारकों को अनुपालन में कठिनाई आई।
  • संगठनात्मक लापरवाही : कुछ वितरक भुगतान करने में इच्छुक होते हुए भी सरकारी अड़चनों के कारण नहीं कर पा रहे।

नियम एवं नीतियां

  • बांग्लादेश में विदेशी प्रसारकों को स्थानीय कंपनियों द्वारा नियंत्रित उपग्रहों का उपयोग करना अनिवार्य है।
  • नेपाल ने वर्ष 2023 में अचानक à-la-carte चैनल नियम लागू किए, जिससे विदेशी प्रसारक प्रभावित हुए।
  • भारत में भी अपलिंकिंग एवं डाउनलिंकिंग को लेकर सख्त नियम हैं जिनका पालन विदेशी प्रसारकों को करना होता है।

इसे भी जानिए!

À-la-carte चैनल का नियम वह मॉडल है जहाँ ग्राहक अपनी पसंद के चैनल चुनते हैं और केवल उन्हीं चैनलों के लिए भुगतान करते हैं, न कि एक पूरे पैकेज के लिए। भारतीय केबल एवं डी.टी.एच. सेवाओं में ट्राई (TRAI) ने ‘ए-ला-कार्टे’ प्रणाली को अनिवार्य किया है, जिससे उपभोक्ताओं को केवल उपलब्ध चैनल समूहों के लिए भुगतान करने की बजाय व्यक्तिगत चैनल चुनने और कस्टम चैनल पैक बनाने की सुविधा मिलती है।

चुनौतियाँ

  • यदि भारतीय प्रसारक प्रसारण बंद करते हैं तो नेपाल एवं बांग्लादेश में पाइरेसी (Piracy) बढ़ सकती है।
  • वितरक आसानी से भारतीय सैटेलाइट रिसीवर के माध्यम से चैनलों को अवैध रूप से पकड़ सकते हैं।
  • पहले भी नेपाल में ऑपरेटरों ने पायरेटेड फ़ीड का लोगो हटाकर अपनी पहचान जोड़ दी थी।
  • अंतर्राष्ट्रीय विवाद निपटान (Arbitration) मौजूद है किंतु दोनों देशों की न्यायिक प्रणाली पर भरोसा कम है।
  • भारतीय दूतावासों का प्रभाव सीमित है जिससे कंपनियों को खुद संघर्ष करना पड़ रहा है।

वितरकों के लिए मार्ग 

  • समय पर विदेशी मुद्रा जारी करवाने के लिए अपने-अपने सरकारों से दबाव बनाना
  • प्रसारण कंपनियों से पारदर्शी अनुबंध करना
  • पाइरेसी के बजाय वैध चैनल प्रसारण को प्राथमिकता देना
  • तकनीकी अनुपालन सुनिश्चित करना ताकि प्रसारक व वितरक दोनों को घाटा न हो

अंतर्राष्ट्रीय कानून

यदि नेपाल और बांग्लादेश भारतीय प्रसारकों का भुगतान नहीं करते हैं, तो यह मामला केवल व्यावसायिक विवाद नहीं रह जाता है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बन सकता है। इसके लिए कुछ प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय ढाँचे और नियम मौजूद हैं:

  • अरबिट्रेशन क्लॉज (Arbitration Clause)
    • अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण और व्यावसायिक अनुबंधों में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता (Arbitration) की व्यवस्था होती है।
    • भारतीय प्रसारक सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC), लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन (LCIA) या ICC International Court of Arbitration जैसी संस्थाओं का सहारा ले सकते हैं।
  • न्यूयॉर्क कन्वेंशन 1958
    • भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश सभी Convention on the Recognition and Enforcement of Foreign Arbitral Awards (New York Convention, 1958) के सदस्य हैं।
    • इसका मतलब है कि किसी भी देश में दिया गया आर्बिट्रेशन अवार्ड दूसरे देश में भी लागू किया जा सकता है।
  • BITs (Bilateral Investment Treaties)
    • भारत का बांग्लादेश व नेपाल दोनों के साथ निवेश संरक्षण समझौता है।
    • यदि भुगतान न हो तो इसे निवेश विवाद माना जा सकता है और प्रसारक अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता में दावा कर सकते हैं।
  • WTO के नियम
    • सेवा व्यापार (Trade in Services) से जुड़े विवाद World Trade Organization (WTO) में भी उठाए जा सकते हैं।
    • प्रसारण और मीडिया सेवाएं GATS (General Agreement on Trade in Services) के अंतर्गत आती हैं।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) कानून
    • पायरेसी की स्थिति में भारतीय प्रसारक TRIPS Agreement (WTO का हिस्सा) के तहत शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
    • नेपाल एवं बांग्लादेश दोनों को अपने-अपने क्षेत्र में विदेशी बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करनी होती है।

आगे की राह

  • भारत को कूटनीतिक दबाव बढ़ाना चाहिए, ताकि नेपाल व बांग्लादेश भुगतान प्रक्रिया तेज करें।
  • अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता को मजबूत करना होगा, जिससे बकाया वसूली प्रभावी हो सके।
  • पाइरेसी रोकने के लिए तकनीकी उपाय, जैसे- सिग्नल एन्क्रिप्शन को सख्ती से लागू करना चाहिए।
  • भारतीय दूतावासों और प्रसारकों के बीच समन्वय बढ़ाना जरूरी है।
  • दीर्घकाल में प्रसारकों को विकल्पी बाजारों पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि ऐसे संकट से बचा जा सके।
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