(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन व कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
वित्त मंत्रालय ने केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं की प्रभावशीलता की जांच को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है।
योजना प्रभावशीलता परीक्षण व्यवस्था के बारे में
- परिचय : इसके अंतर्गत केवल उन्हीं योजनाओं को भविष्य में जारी रखने की अनुमति दी जाएगी, जो मूल्यांकन रिपोर्ट में सकारात्मक एवं ठोस परिणाम प्रदर्शित करेंगी।
- उद्देश्य :
- जनधन के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करना
- परिणाम आधारित प्रशासन को प्रोत्साहित करना
- योजनाओं की प्रदर्शन आधारित समीक्षा कर उन्हें समयबद्ध एवं उद्देश्यपूर्ण बनाना
- अनावश्यक योजनाओं को समाप्त कर संसाधनों का पुनः आवंटन करना
नई व्यवस्था की विशेषताएँ
- सभी योजनाओं की ‘सनसेट डेट’ (समाप्ति तिथि) निर्धारित की जाएगी।
- तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
- योजना की प्रभावशीलता, उद्देश्य पूर्ति एवं जनता तक पहुँच का परीक्षण किया जाएगा।
- योजनाओं को जारी रखने के लिए कैबिनेट से पुनः स्वीकृति लेनी होगी।
किन योजनाओं पर होगा प्रभाव
- 54 केंद्रीय एवं 260 केंद्र प्रायोजित योजनाएँ, जिनकी मंजूरी 31 मार्च, 2026 को समाप्त हो रही है।
- स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, आदिवासी कल्याण, कृषि, जल, स्वच्छता, विज्ञान व पर्यावरण जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे।
वित्तीय अनुशासन की नई सीमाएँ
- योजना का कुल व्यय 5.5 गुना से अधिक नहीं हो सकता (2021-22 से 2024-25 तक के औसत व्यय के आधार पर) है।
- कम लागत वाली योजना प्रस्तावित करने का विकल्प दिया गया है।
- समस्त योजनाएँ निधि सीमित (Fund-capped) होंगी।
- आवश्यकता पड़ने पर एक योजना से कटौती कर दूसरी में वृद्धि की जा सकेगी।
- मनरेगा (MGNREGA) जैसी योजनाएँ भी अब व्यवस्थित व्यय सीमा में संचालित होंगी।
- लाभार्थियों की संख्या का अनुमान पहले से लगाया जाएगा।
- यदि वास्तविक संख्या अधिक हुई तो वित्त मंत्रालय की विशेष अनुमति लेनी होगी।
इस कदम की आवश्यकता
- अनेक योजनाएँ वर्षों से जारी हैं किंतु परिणाम अस्पष्ट या असंतोषजनक हैं।
- वित्तीय संसाधनों की कमी के दौर में प्राथमिकता आधारित व्यय जरूरी है।
- दोहरेपन एवं अपव्यय को रोकने के लिए योजनाओं की छंटनी आवश्यक है।
- इससे जनहित व प्रभावशीलता के आधार पर योजनाओं का मूल्यांकन संभव होगा।
संभावित लाभ
- उत्तरदायी शासन को बढ़ावा
- संसाधनों का कुशल उपयोग
- डाटा आधारित नीति निर्माण
- योजनाओं की पारदर्शिता एवं प्रभावशीलता में वृद्धि
चुनौतियाँ
- मूल्यांकन की प्रक्रिया में निष्पक्षता व पारदर्शिता जरूरी
- स्थानीय जरूरतों की उपेक्षा न हो, विशेष रूप से गरीब व हाशिए के वर्गों के लिए।
- मांग-आधारित योजनाओं में लचीलापन आवश्यक, ताकि जरूरतमंदों को समय पर लाभ मिल सके।
- निरंतर निगरानी व फीडबैक प्रणाली की आवश्यकता
निष्कर्ष
सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता का परीक्षण शासन में गुणवत्ता लाने की दिशा में एक सार्थक व समयानुकूल पहल है। यह कदम ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम सुशासन’ के सिद्धांत को मजबूत करता है। हालाँकि, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वास्तविक जनहित की योजनाएँ सिर्फ आंकड़ों के आधार पर बंद न हों, बल्कि मानव हित व सामाजिक प्रभाव को प्राथमिकता दी जाए।