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टाइगर आउटसाइड टाइगर रिज़र्व प्रोजेक्ट

(प्रारंभिक परीक्षा : महत्त्वपूर्ण योजनाएं एवं कार्यक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

देश के कुछ वन प्रभागों में बार-बार हो रहे मानव-बाघ संघर्षों को देखते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ‘टाइगर आउटसाइड टाइगर रिज़र्व प्रोजेक्ट’ (Tiger Outside Tiger Reserves Project: TOTR) के लिए वित्त पोषण को मंजूरी दे दी है। 

परियोजना के बारे में

  • क्या है : यह बाघ अभयारण्यों के बाहर बाघों की निगरानी पर केंद्रित एक परियोजना है।
    • वर्तमान में देश में अनुमानित 3,682 बाघों में से लगभग 30% बाघ अधिसूचित अभयारण्यों के बाहर हैं। ये बाघ प्राय: मानव बस्तियों के पास मवेशियों एवं शाकाहारी जानवरों का शिकार करते हैं जिससे मानव संपर्क व संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है।
    • इसके अतिरिक्त बाघों की क्षेत्रीय प्रकृति के कारण वे सह-शिकारियों, जैसे- तेंदुओं को वन क्षेत्रों के बाहर करते हैं जिससे संघर्ष का जोखिम अधिक बढ़ जाता है।
  • उद्देश्य : 
    • अभयारण्य के बाहर बाघों की आबादी पर नजर रखना
    • अवैध शिकार पर रोक लगाना
    • मानव-पशु संघर्ष का समाधान करना
    • सामुदायिक पहुँच पर ध्यान केंद्रित करना
    • बाघों के आवास में सुधार करना
  • घोषणा : इस पहल की घोषणा 3 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक के दौरान की गई थी।
  • शामिल क्षेत्र : वर्तमान में इस परियोजना के अंतर्गत 10 राज्यों में 80 वन प्रभागों की पहचान की गई है, जहाँ इसे सबसे पहले लागू किया जाएगा।
  • कार्यान्वयन रणनीति : इस योजना का कार्यान्वयन राज्य वन विभागों के मुख्य वन्यजीव वार्डनों द्वारा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के साथ मिलकर किया जाएगा।
  • 2026-27 तक के लिए प्रस्तावित व्यय : 88 करोड़ रुपए 
  • वित्तपोषण : यह वित्तपोषण राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनरोपण निधि (National Compensatory Afforestation Fund) द्वारा किया जाएगा। 

योजना की मुख्य विशेषताएँ 

  • तकनीकी हस्तक्षेप : बाघों एवं सह-शिकारियों (जैसे- तेंदुए) की सुरक्षा एवं निगरानी के लिए तकनीकी समाधानों का उपयोग, जैसे- ट्रैकिंग डिवाइस, ड्रोन व अन्य निगरानी उपकरण।
  • सहयोग : नागरिक समाज, विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों और स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग, ताकि संघर्ष प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित हो।
  • शिकार आधार का संवर्धन : बाघों के लिए प्राकृतिक शिकार प्रजातियों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए उपाय, जिससे उनकी पशुधन पर निर्भरता कम हो।
  • क्षमता निर्माण : वन प्रबंधकों को प्रौद्योगिकी एवं विशेषज्ञता के माध्यम से संघर्ष प्रबंधन में सक्षम बनाना।

क्या आप जानते हैं?

भारत विश्व की 70% से अधिक बाघ आबादी का आवास है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 से 2024 के बीच बाघों के साथ संघर्ष में 382 मानव मृत्यु हुईं, जिनमें से 111 केवल 2022 में दर्ज की गईं। 

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