(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान) (मुख्यपरीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, योजना व कार्यक्रम, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप) |
संदर्भ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जेनेवा में 78वीं विश्व स्वास्थ्य महासभा में भारत को ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रेकोमा उन्मूलन’ (Elimination of Trachoma as a Public Health Problem) का प्रमाण पत्र प्रदान किया है।

क्या है ट्रेकोमा (Trachoma)
- परिचय : ट्रेकोमा (Trachoma) जीवाणु द्वारा होने वाला एक संक्रामक नेत्र रोग है। यह मुख्यतः पलकों की अंदरूनी सतह को प्रभावित करता है और समय पर उपचार न होने पर अंधेपन (Blindness) का कारण बन सकता है।
- ट्रेकोमा विश्व स्तर पर अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक है।
- कारक जीवाणु : क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Chlamydia trachomatis)
- संक्रमण : संक्रमित व्यक्ति के आँख के स्राव के संपर्क से; मक्खियाँ व गंदे कपड़े भी वाहक हो सकते हैं।
- मुख्य प्रभावित वर्ग : गरीब, स्वच्छता से वंचित समुदाय; विशेष रूप से बच्चे व महिलाएँ
- लक्षण (Symptoms):
- आँखों में जलन एवं खुजली
- रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
- नेत्रों में मवादयुक्त स्राव
- पलकों का भीतर की ओर मुड़ जाना (Trichiasis)
- कॉर्निया पर धुंधलापन व स्थायी अंधत्व
- हालांकि, ट्रेकोमा की रोकथाम संभव है किंतु ट्रेकोमा से होने वाले अंधेपन को ठीक करना बेहद मुश्किल है।
WHO की प्रतिक्रिया
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 1993 में सेफ (SAFE) रणनीति को अपनाया था। ‘SAFE’ का अर्थ है- सर्जरी, एंटीबायोटिक्स (एजिथ्रोमाइसिन), चेहरे की स्वच्छता, वातावरण की स्वच्छता (विशेष रूप से जल व स्वच्छता तक पहुंच में सुधार) आदि को अपनाना।
- वर्ष 1996 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2020 तक ट्रेकोमा के वैश्विक उन्मूलन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन गठबंधन की शुरुआत की।
- यह गठबंधन एक वैश्विक साझेदारी है जो सदस्य देशों द्वारा SAFE रणनीति के कार्यान्वयन एवं महामारी विज्ञान सर्वेक्षण, निगरानी, परियोजना मूल्यांकन और संसाधन जुटाने के माध्यम से राष्ट्रीय क्षमता को मजबूत करने का समर्थन करता है।
भारत में ट्रेकोमा की स्थिति
- भारत में ट्रेकोमा लंबे समय तक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बना रहा। 20वीं सदी के मध्य में ट्रेकोमा व्यापक रूप से उत्तर भारत में फैला हुआ था।
- भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 1963 में डब्ल्यू.एच.ओ. व यूनिसेफ के सहयोग से राष्ट्रीय ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया। वर्ष 1976 में ट्रेकोमा नियंत्रण प्रयासों को भारत के राष्ट्रीय अंधेपन नियंत्रण कार्यक्रम (NPCB) में एकीकृत कर दिया गया।
- NPCB को वर्ष 2017 में राष्ट्रीय अंधत्व एवं दृश्य हानि नियंत्रण कार्यक्रम (NPCBVI) के रूप में पुन: नामित किया गया जोकि 100% केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे अंधेपन की व्यापकता को 1.4% से घटाकर 0.3% करने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था।
- वर्ष 1971 में ट्रेकोमा के कारण अंधेपन की दर 5% थी। वर्ष 2005 में भारत में अंधेपन के सभी मामलों में से 4% के लिए ट्रेकोमा जिम्मेदार था। वर्ष 2018 तक ट्रेकोमा का प्रचलन 0.008% तक कम हो गया था।
भारत को ट्रेकोमा मुक्त घोषित करने की प्रक्रिया
- वर्ष 2017 में भारत को संक्रामक ट्रेकोमा रोग से मुक्त घोषित कर दिया गया। हालांकि, 2019 से 2024 तक भारत के सभी जिलों में ट्रेकोमा के मामलों की निगरानी जारी रही।
- NPCBVI के तहत वर्ष 2021-24 तक देश के 200 स्थानिक जिलों में राष्ट्रीय ट्रैकोमैटस ट्राइकियासिस (केवल TT) सर्वेक्षण भी किया गया, जो डब्ल्यू.एच.ओ. द्वारा निर्धारित एक अनिवार्य कार्य था, ताकि यह घोषित किया जा सके कि भारत ने जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रेकोमा को समाप्त कर दिया है।
- वर्ष 2024 में प्रभाव, पूर्व-सत्यापन एवं ट्राइकियासिस-ओनली सर्वेक्षणों की एक श्रृंखला पूरी की गई, जिससे पुष्टि हुई कि सभी पूर्व स्थानिक मूल्यांकन इकाइयों में उन्मूलन लक्ष्य पूरे हो गए थे। एक क्षेत्रीय डोजियर समीक्षा समूह ने भारत की उपलब्धि का दस्तावेजीकरण करने वाले एक डोजियर की गहन समीक्षा की और डब्ल्यू.एच.ओ. को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रेकोमा के राष्ट्रीय उन्मूलन को मान्य करने की सिफारिश की।
- अक्तूबर 2024 में WHO ने ट्रेकोमा को भारत में ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त’ घोषित किया।
- भारत यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला नेपाल एवं म्यांमार के बाद दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र का तीसरा देश बन गया है। साथ ही, भारत दुनिया भर के 19 अन्य देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने पहले यह उपलब्धि हासिल की है।
- ट्रेकोमा 39 देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है और लगभग 1.9 मिलियन लोगों के अंधेपन के लिए जिम्मेदार है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रेकोमा को एक उष्णकटिबंधीय रोग माना है। डब्ल्यू.एच.ओ. के अनुमान बताते हैं कि विश्व भर में 150 मिलियन लोग ट्रेकोमा से प्रभावित हैं और उनमें से 6 मिलियन दृष्टिबाधित हैं।
- WHO द्वारा वर्ष 2021-2030 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग रोड मैप का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 21 रोगों व रोग समूहों की रोकथाम, नियंत्रण एवं उन्मूलन करना है।
क्या आप जानते हैं?
- NPCBVI के तहत अंधेपन की परिभाषा को विश्व स्वास्थ्य संगठन के तहत प्रयुक्त परिभाषा के अनुरूप संशोधित किया गया है, अर्थात, ‘बेहतर आंख की स्थिति में दूर की दृश्य तीक्ष्णता 3/60 (20/400) से कम होना या दृष्टि क्षेत्र की सीमा स्थिरीकरण केंद्र से 10 डिग्री से कम होना।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में NPCBVI द्वारा अंधेपन की पहले की परिभाषा (दृश्य तीक्ष्णता <6/60) के साथ भारत में अंधेपन का प्रचलन दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक दिखाया जा रहा था।
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