चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने सिक्किम के लेप्चा समुदाय के दो पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों — तुंगबुक (Tungbuk) और पुमटोंग पुलित (Pumtong Pulit) — को भौगोलिक संकेत (Geographical Indication – GI) टैग प्रदान किया है। यह मान्यता लेप्चा समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रमुख बिंदु:
- घोषणा तिथि: 5 नवंबर 2025
- पंजीकरण श्रेणी: वाद्ययंत्र (Musical Instruments Category)
- GI पंजीकरण प्राधिकरण: भारत सरकार की भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (Chennai)
- सम्मान समारोह: नई दिल्ली में आयोजित प्रथम जनजातीय व्यापार सम्मेलन
- आयोजन: संस्कृति मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
- मुख्य अतिथि: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और जुएल ओराम
वाद्ययंत्रों का विवरण:
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वाद्ययंत्र
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प्रकार
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विशेषता
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सांस्कृतिक महत्व
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तुंगबुक (Tungbuk)
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तीन तार वाला वाद्ययंत्र
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हाथ से बनाया जाने वाला तंत्री वाद्य
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पारंपरिक लोक संगीत व धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग
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पुमटोंग पुलित (Pumtong Pulit)
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बाँस की बांसुरी
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स्थानीय बाँस से निर्मित
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लोकगीतों और सामाजिक समारोहों में प्रयुक्त
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GI आवेदन और योगदान:
- आवेदक: उगेन पलज़ोर लेप्चा (Tungbuk) एवं नामग्याल लेप्चा (Pumtong Pulit)
- सहयोगी संस्था: नाबार्ड, गंगटोक, जिसने GI आवेदन की पूरी प्रक्रिया में तकनीकी व वित्तीय सहयोग दिया।
- समय अवधि: GI टैग प्राप्त करने में लगभग 2 वर्ष लगे।
GI टैग का महत्व:
- इन पारंपरिक वाद्ययंत्रों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और कानूनी सुरक्षा प्राप्त हुई।
- इससे इनका सांस्कृतिक पुनरुद्धार (Cultural Revival) होगा।
- युवा पीढ़ी में परंपरागत संगीत के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
- कारीगरों की आजीविका को नई आर्थिक संभावनाएँ प्राप्त होंगी।
लेप्चा समुदाय का परिचय:
- स्थान: मुख्यतः सिक्किम, दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल), और भूटान के कुछ हिस्से।
- पहचान: सिक्किम के मूल निवासी समुदाय (Indigenous People of Sikkim)।
- संस्कृति: प्रकृति-आधारित आध्यात्मिक मान्यताएँ, लोकसंगीत और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की समृद्ध परंपरा।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- GI टैग का प्रबंधन: भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत।
- प्राधिकरण: भारतीय पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक (CGPDTM), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय।
- सिक्किम के अन्य GI उत्पाद: सिक्किम टी, दार्जिलिंग टी, सिक्किम ऑरेंज आदि।