(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका) |
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत कंपनियाँ भी ‘पीड़ित (Victim)’ की परिभाषा के अंतर्गत आ सकती हैं और वे व्यक्तिगत (न्यायिक) पीड़ितों की तरह ही मुआवज़े एवं कानूनी उपायों की हकदार हैं। इससे उन्हें आपराधिक शिकायत दर्ज करने का अधिकार मिलेगा जो कॉर्पोरेट संस्थाओं को बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन के लिए आपराधिक उपाय करने में सक्षम बनाता है।
हालिया वाद
- यह मामला एक विवाद से उत्पन्न हुआ था जिसमें एक कंपनी के साथ धोखाधड़ी की गई थी किंतु पीड़ित का दर्जा पाने की उसकी याचिका को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि केवल प्राकृतिक व्यक्ति ही पीड़ित हो सकते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ के एकल न्यायाधीश के 9 अक्टूबर, 2023 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एशियन पेंट्स लिमिटेड द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 372 के तहत दायर अपील को खारिज कर दिया गया था।
- यह अपील कंपनी के नकली उत्पाद बेचने वाले एक खुदरा विक्रेता के साथ विवाद को लेकर दायर की गई थी जिसे सुनवाई योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
पीड़ित की परिभाषा का विस्तार
न्यायालय ने माना कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(wa) के तहत ‘पीड़ित’ की परिभाषा में कंपनियाँ, फर्म एवं अन्य न्यायिक संस्थाएँ शामिल हैं, यदि उन्हें किसी आपराधिक कृत्य के कारण हानि या नुकसान हुआ हो।
न्यायालय की टिप्पणी
- कानूनी संस्थाएँ संपत्ति रखने एवं अनुबंध करने में सक्षम हैं।
- यदि आपराधिक कृत्यों (जैसे- धोखाधड़ी, विश्वासघात) से उन्हें नुकसान पहुँचा है तो उन्हें न्याय व मुआवज़ा पाने का अधिकार है।
- उन्हें बाहर करने से पीड़ित अधिकारों और न्याय प्रदान करने की भावना को ठेस पहुँचेगी।
आपराधिक कानून केवल व्यक्तियों के लिए नहीं
- इस फैसले में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि आपराधिक न्यायशास्त्र को समाज एवं वाणिज्य की बदलती प्रकृति के साथ विकसित होना चाहिए।
- यह फैसला कॉर्पोरेट संस्थाओं को बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन के लिए आपराधिक उपाय अपनाने का अधिकार प्रदान करता है।
भारत के लिए निहितार्थ
- मज़बूत कॉर्पोरेट अधिकार : कंपनियों को अब पीड़ित का दर्जा प्राप्त है जिससे वे मुआवज़ा, क्षतिपूर्ति एवं आपराधिक कार्यवाही में भाग लेने के लिए आवेदन कर सकती हैं।
- कॉर्पोरेट धोखाधड़ी : यह निर्णय विशेष रूप से बैंकिंग, वित्तीय प्रौद्योगिकी एवं रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में आर्थिक अपराधों से लड़ने की फर्मों की क्षमता को बढ़ाता है।
- कानूनी मिसाल : यह फैसला सभी न्यायालयों के लिए एक बाध्यकारी मिसाल कायम करता है जो आर्थिक एवं सफेदपोश अपराधों से जुड़े आपराधिक मुकदमों को प्रभावित करेगा।