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गाजा में युद्ध विराम पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का प्रस्ताव

संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में ‘तत्काल, बिना शर्त एवं स्थायी’ युद्धविराम की मांग करने वाले एक मसौदा प्रस्ताव पर भारत मतदान से अनुपस्थित रहा।

(12 जून, 2025 को गाजा में युद्ध विराम पर यू.एन.जी.ए. प्रस्ताव के लिए मतदान रिकॉर्ड)

गाजा में युद्ध विराम पर प्रस्ताव के बारे में

  • प्रस्तावक देश : स्पेन 
  • प्रस्ताव का विषय : नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों का पालन
  • प्रस्ताव में मांग : गाजा में तत्काल, बिना शर्त एवं स्थायी युद्ध विराम की मांग की गई, जिसका सभी पक्षों द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए तथा हमास व अन्य समूहों द्वारा बंधक बनाए सभी लोगों की तत्काल, सम्मानजनक तथा बिना शर्त रिहाई की मांग की गई। 
    • इस प्रस्ताव के सप्ताह पूर्व संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी गाजा युद्ध विराम के लिए इसी तरह के प्रस्ताव को अमेरिका ने वीटो कर दिया था।
  • मतदान : 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा भारी बहुमत से पारित। 
  • पक्ष : 149 देश (यू.के., ऑस्ट्रेलिया एवं जापान)
  • विपक्ष : 12 देश (अमेरिका, इजरायल, अर्जेंटीना, हंगरी व पराग्वे)
  • अनुपस्थित : 19 देश (भारत सहित)

भारत का दृष्टिकोण

  • भारत ने यह तर्क देते हुए इस प्रस्ताव की वोटिंग में भाग नहीं लिया कि स्थायी शांति केवल प्रत्यक्ष वार्ता के माध्यम से ही स्थापित हो सकती है।
    • हालाँकि, 7 अक्तूबर, 2023 के बाद से भारत ने दो बार संयुक्त राष्ट्र महासभा के गाजा युद्ध विराम प्रस्तावों के पक्ष में मतदान किया है, पहली बार दिसंबर 2023 में और फिर दिसंबर 2024 में तत्काल व स्थायी युद्ध विराम के लिए।
  • संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. ​​हरीश ने कहा कि देश बिगड़ते मानवीय संकट को लेकर बहुत चिंतित है और नागरिकों की जान जाने की निंदा करता है। 
    • भारत हमेशा शांति एवं मानवता के पक्ष में रहा है। शेष बंधकों की रिहाई और युद्धविराम गाजा में मानवीय स्थिति को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हमारी सामूहिक आवाज़ को इसकी प्रतिध्वनि करनी चाहिए।
    • बातचीत एवं कूटनीति शांति का एकमात्र रास्ता है और निरंतर तर्क व आरोप शांति के मार्ग में बाधा डालते हैं।
    • भारत ने द्वि-राज्य समाधान के प्रति अपना समर्थन भी दोहराया, जिससे एक संप्रभु, स्वतंत्र एवं व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना होगी, जो इजरायल के साथ शांतिपूर्वक, सुरक्षित व मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रहेगा।
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