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बहुभाषी शिक्षा पर यूनेस्को की रिपोर्ट

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम : रिपोर्ट एवं सूचकांक)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ 

यूनेस्को ने बहुभाषी शिक्षा के महत्व पर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट का संकलन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (21 फरवरी) के आयोजन के 25वें वर्ष के अवसर पर किया गया।

रिपोर्ट के बारे में 

  • रिपोर्ट का शीर्षक : ‘भाषाएँ मायने रखती हैं: बहुभाषी शिक्षा पर वैश्विक मार्गदर्शन’ (Languages Matter: Global Guidance on Multilingual Education)
  • महत्व : रिपोर्ट में राष्ट्रों से बहुभाषी शिक्षा नीतियों एवं प्रथाओं के कार्यान्वयन की सिफारिश की गई है जिनका लक्ष्य सभी शिक्षार्थियों को लाभान्वित करने वाली शैक्षिक प्रणाली बनाना है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के लगभग 40% से अधिक शिक्षार्थियों को अभी भी उस भाषा में शिक्षा नहीं मिल पा रही है जिसे वे सबसे अच्छी तरह समझते हैं। इससे वैश्विक शिक्षा संकट गंभीर हो रहा है और आर्थिक वृद्धि एवं सतत विकास की प्रगति में बाधा आ रही है।
    • निम्न एवं मध्यम आय वाले कुछ देशों में यह आंकड़ा 90% तक है जिससे लगभग एक अरब से अधिक शिक्षार्थी प्रभावित होते हैं।
  • मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षा पर हुए अनेक शोध के अनुसार बच्चों के प्रारंभिक वर्षों में अधिगम (सीखने) परिणामों में उल्लेखनीय सुधार तभी होगा जब उन्हें उन भाषाओं में पढ़ाया जाता है जिन्हें वे समझते हैं। 
  • घरेलू भाषा की भूमिका के बारे में देशों की बढ़ती समझ के बावजूद नीतिगत पहल सीमित है। 
    • घरेलू भाषाओं के उपयोग संबंधी कार्यान्वयन चुनौतियों में शिक्षकों की सीमित क्षमता, घरेलू भाषाओं में सामग्री का अनुपलब्ध होना तथा सामुदायिक विरोध आदि शामिल हैं।
  • 31 मिलियन से अधिक विस्थापित युवा शिक्षा में भाषा संबंधी बाधाओं का सामना कर रहे हैं।
  • देशों को शिक्षा में विविध भाषाई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो ऐतिहासिक एवं समकालीन दोनों कारकों से उत्पन्न होती हैं। 
    • ऐतिहासिक कारकों में उपनिवेशवाद के समय स्थानीय आबादी पर थोपी गई भाषाओं से शैक्षिक असमानताएँ पैदा होती हैं। 
    • समकालीन कारकों में आप्रवासन के कारण कक्षाओं में नई भाषाओं से भाषाई विविधता समृद्ध होती है किंतु शिक्षण एवं मूल्यांकन में चुनौतियाँ भी उत्पन्न होती हैं।
  • बहुभाषी शिक्षा दीर्घकालिक रिटर्न के साथ एक लागत प्रभावी निवेश है। हालाँकि, संसाधनों को विकसित करने और शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए शुरुआती लागत की आवश्यकता होती है किंतु उनके लाभ दीर्घकालिक होते हैं जिसमें बेहतर शैक्षिक परिणाम, सामाजिक सामंजस्य, समावेशी आर्थिक विकास एवं सतत विकास आदि शामिल हैं।

प्रमुख सुझाव 

  • शैक्षिक भाषा नीतियों में संदर्भ-विशिष्ट दृष्टिकोणों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा भाषा परिवर्तन को पाठ्यक्रम समायोजनों द्वारा उस कक्षा के लिए अनुकूलित शिक्षण एवं सीखने की सामग्री द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए।
  • महत्वपूर्ण आप्रवासी आबादी वाले देशों में नीतियों को प्रभावी भाषा कार्यक्रमों, योग्य शिक्षकों के विकास एवं कार्यान्वयन तथा समावेशी शिक्षण वातावरण का समर्थन करने वाला होना चाहिए जो सभी की विविध भाषाई आवश्यकताओं को पूरा कर सके।
  • बहुभाषी संदर्भों में प्रशिक्षण से घरेलू एवं दूसरी दोनों भाषाओं में दक्षता सुनिश्चित होनी चाहिए तथा प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षकों को सांस्कृतिक एवं भाषायी रूप से उत्तरदायी शिक्षण शास्त्र पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
  • नई बहुभाषी शिक्षा नीतियों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों के बाहर मजबूत सहायता प्रणालियों की योजना बनाना तथा स्कूलों में समावेशन को बढ़ावा देना भी सिफारिशों में शामिल हैं। 
  • देशों को चयन, भर्ती एवं प्रशिक्षण में स्कूलों में समावेशन को बढ़ावा देना सुनिश्चित करना चाहिए जिसमें बहुभाषी छात्रों की ज़रूरतें भी शामिल हों। 
  • राष्ट्रीय शिक्षा एवं कानूनी ढाँचे और राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों के भीतर बहुभाषी शिक्षा के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को औपचारिक रूप देने से सभी शिक्षार्थियों को उनकी सांस्कृतिक एवं भाषाई पृष्ठभूमि के साथ संरेखित भाषाओं में शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित होगा। 
  • शिक्षार्थियों की भाषाओं में सांस्कृतिक रूप से जिम्मेदार एवं प्रासंगिक रूप से उपयुक्त शिक्षण सामग्री विकसित करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मूल्यांकन शिक्षार्थियों के उस भाषा में सामग्री ज्ञान को सटीक रूप से दर्शाता हो जिसमें इसे प्राप्त किया गया था।

क्या आप जानते हैं?

  • वैश्विक स्तर पर लगभग 7,000 से ज़्यादा भाषाएँ बोली जाती हैं जिनमें से 80% अफ़्रीका, एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में बोली जाती हैं। 
  • यूनेस्को के अनुसार सदी के अंत तक 1,500 से अधिक भाषाएँ लुप्त होने की कगार पर हैं जिससे मूल्यवान सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं पर्यावरणीय ज्ञान समाप्त हो सकता है। 
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