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भारत में जन्म-मृत्यु का सार्वभौमिक पंजीकरण : आरजीआई की पहल

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-     2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन व कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

21 अगस्त, 2025 को भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जन्म एवं मृत्यु के सार्वभौमिक पंजीकरण (Universal Registration) को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद सभी सरकारी अस्पतालों को जन्म एवं मृत्यु का ‘रजिस्ट्रार’ घोषित किया गया है।

आर.जी.आई. (RGI) के बारे में

  • आर.जी.आई. (Registrar General of India) भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  • यह संस्था जन्म-मृत्यु पंजीकरण, जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का संचालन करती है।
  • आर.जी.आई. का कार्यालय ‘महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त, भारत’ (Registrar General and Census Commissioner of India: RG&CCI) के रूप में भी जाना जाता है।

भूमिका और कार्य

  • जन्म और मृत्यु के पंजीकरण की देखरेख
  • राष्ट्रीय जनगणना और सांख्यिकीय डाटा संग्रह
  • राज्य सरकारों और अस्पतालों के साथ समन्वय
  • राष्ट्रीय डाटाबेस को अपडेट कर चुनावी सूची, राशन कार्ड और अन्य सरकारी सेवाओं से जोड़ना

भारत में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण की प्रक्रिया

  • अस्पताल में जन्म/मृत्यु होने पर मेडिकल ऑफिसर को 21 दिनों के भीतर रिपोर्ट करनी होती है।
  • यदि अस्पताल से बाहर घटना होती है तो निकटतम स्थानीय पंजीकरण केंद्र पर आवेदन किया जाता है।
  • ऑनलाइन पोर्टल पर विवरण अपलोड कर प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।
  • 1 अक्टूबर, 2023 से डिजिटल जन्म प्रमाणपत्र को सभी आधिकारिक सेवाओं (स्कूल एडमिशन, सरकारी नौकरी, विवाह पंजीकरण आदि) के लिए मान्यता मिली।

संबंधित कानून

  • जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 (RBD Act, 1969)
  • 2023 में संशोधन :
    • ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य
    • अस्पतालों को कानूनी रूप से रिपोर्टिंग करने का दायित्व
    • पंजीकरण न करने पर दंड का प्रावधान

आर.जी.आई. की हालिया माँगें

  • सभी राज्यों में जन्म व मृत्यु का सार्वभौमिक पंजीकरण सुनिश्चित करना
  • निजी और सरकारी अस्पतालों द्वारा 21 दिनों की समय-सीमा का सख्ती से पालन
  • जन्म और मृत्यु के आंकड़े समय पर साझा करना
  • डाटाबेस को चुनावी सूची, NPR और अन्य दस्तावेज़ों से जोड़ना

जन्म प्रमाणपत्र के उपयोग

  • शिक्षा संस्थानों में प्रवेश
  • सरकारी नौकरी और पासपोर्ट आवेदन
  • विवाह पंजीकरण
  • संपत्ति पंजीकरण और कानूनी पहचान
  • सामाजिक सुरक्षा और कल्याण योजनाओं में लाभ

जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण संबंधी चुनौतियाँ

  • ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में जागरूकता की कमी
  • कई अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र द्वारा समय पर रिपोर्टिंग न करना
  • निजी संस्थानों द्वारा कानून की अवहेलना
  • तकनीकी ढाँचे और प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी
  • अब भी लगभग 10% जन्म पंजीकृत नहीं हो पाते

आगे की राह

  • सार्वभौमिक जागरूकता अभियान चलाना
  • प्रत्येक अस्पताल और पंचायत स्तर पर डिजिटल पंजीकरण केंद्र स्थापित करना
  • पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और बहुभाषी बनाना
  • समय-सीमा का पालन न करने वाले संस्थानों पर सख्त कार्रवाई
  • डाटाबेस को आधार, NPR और चुनावी सूची से स्वचालित रूप से जोड़ना

निष्कर्ष

जन्म और मृत्यु का सार्वभौमिक पंजीकरण न केवल कानूनी व प्रशासनिक पारदर्शिता के लिए आवश्यक है बल्कि यह भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं की नींव भी है। आर.जी.आई. की पहल से यह सुनिश्चित होगा कि हर नागरिक का जीवनचक्र (जन्म से मृत्यु तक) सरकारी अभिलेखों में सही ढंग से दर्ज हो सके।

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