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भारत में शहरी वायु प्रदूषण(Urban Air Pollution in India)

 “शहरों की हवा अब विकास की कीमत चुका रही है।”

भारत में तीव्र शहरीकरण, वाहन वृद्धि, औद्योगीकरण और निर्माण-गतिविधियों ने वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। आज शहरी भारत विश्व के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में गिना जाता है — जहाँ स्वच्छ हवा अब एक मौलिक आवश्यकता के साथ-साथ न्याय का प्रश्न भी बन चुकी है।

वर्तमान परिदृश्य (Present Scenario)

आँकड़ा

विवरण

वैश्विक रैंकिंग

विश्व के शीर्ष 30 प्रदूषित शहरों में 17 भारत में (IQAir Report 2024)

वार्षिक औसत PM2.5 स्तर

WHO सीमा (5 µg/m³) से 8-10 गुना अधिक

मुख्य प्रदूषित शहर

दिल्ली, गाज़ियाबाद, नोएडा, लखनऊ, पटना, भिवाड़ी, गुरुग्राम

असमय मृत्यु (2022)

~16.7 लाख (Lancet Planetary Health Report)

आर्थिक क्षति

GDP का ~1.3 % (World Bank 2023)

NCAP लक्ष्य

2024 तक 131 शहरों में PM स्तर 20-30 % घटाना

“भारत में हर तीसरा शहरी नागरिक WHO वायु-गुणवत्ता मानक से 7-10 गुना अधिक प्रदूषित हवा में साँस लेता है।”

शहरी वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत (Major Sources)

(1) वाहन उत्सर्जन

  • डीज़ल व पुराने वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/PM10) अधिक उत्सर्जित होते हैं।
  • शहरी ट्रैफिक-जाम और सिग्नल पर रुकने-चलने से उत्सर्जन कई गुना बढ़ता है।

(2) औद्योगिक प्रदूषण

  • थर्मल पावर प्लांट, सीमेंट-फैक्ट्रियाँ, स्मेल्टर, ईंट-भट्टियाँ।
  • कई उद्योग शहरों की सीमा के भीतर या समीप स्थित हैं।

(3) निर्माण एवं सड़क-धूल

  • खुले निर्माण स्थलों, बिना ढके ट्रकों, और टूटे सड़कों से धूल (PM10) की बड़ी मात्रा हवा में घुलती है।

(4) ठोस ईंधन व घरेलू स्रोत

  • गरीब शहरी बस्तियों में कोयला, लकड़ी, बायोमास से खाना पकाने से इनडोर वायु-प्रदूषण भी बाहरी प्रदूषण में योगदान देता है।

(5) फसल अवशेष जलाना और क्षेत्रीय प्रभाव

  • उत्तर भारत में सर्दियों में पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने से धुआँ दिल्ली-NCR और आसपास के शहरों में पहुँचता है।

(6) अपशिष्ट जलना (Open Burning)

  • खुले में कचरा जलाना अब भी कई नगर निगमों में आम है।

प्रदूषक तत्व (Key Pollutants)

प्रदूषक

स्रोत

प्रभाव

PM2.5 / PM10

धूल, वाहन, ईंधन-दहन

फेफड़ों में जमाव, हृदय रोग

NO₂ (नाइट्रोजन डायऑक्साइड)

वाहन, उद्योग

अस्थमा, श्वसन-दोष

SO₂ (सल्फर डायऑक्साइड)

कोयला-आधारित बिजलीघर

श्वसन संक्रमण

O₃ (ओज़ोन)

NOx + VOCs (धूप में)

आँखों में जलन, साँस की तकलीफ

CO (कार्बन मोनोऑक्साइड)

अधजला ईंधन

रक्त में ऑक्सीजन की कमी

प्रभाव (Impacts)

(1) स्वास्थ्य प्रभाव

  • WHO के अनुसार भारत में हर वर्ष वायु प्रदूषण से 16–18 लाख मौतें
  • बच्चों में अस्थमा, फेफड़ों का विकास बाधित।
  • हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर जैसी दीर्घकालिक बीमारियाँ।

(2) आर्थिक प्रभाव

  • श्रम-उत्पादकता घटती है; कार्यदिवसों की हानि होती है।
  • विश्व बैंक (2023): भारत की GDP में 1.3 % हानि वायु प्रदूषण से।

(3) पर्यावरणीय प्रभाव

  • अम्लीय वर्षा, दृश्यता में कमी, पारिस्थितिक क्षति, फसलों की उपज घटती है।

(4) सामाजिक प्रभाव

  • गरीब एवं हाशिए पर रहने वाले समुदाय सबसे अधिक प्रभावित — वे प्रदूषित क्षेत्रों में रहते और काम करते हैं।

सरकारी पहलें (Government Initiatives)

योजना / नीति

उद्देश्य

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) – 2019

131 शहरों में PM स्तर 20–30 % घटाने का लक्ष्य; स्रोत-आधारित कार्ययोजना (SAFAR, AQI Monitoring)।

BS-VI वाहन उत्सर्जन मानक (2020)

पेट्रोल-डीज़ल में सल्फर स्तर 10 ppm तक घटाया गया।

राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा मिशन

सौर, पवन एवं वैकल्पिक ऊर्जा को प्रोत्साहन।

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)

दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता बिगड़ने पर चरणबद्ध आपात उपाय।

धूल नियंत्रण नियम 2022

निर्माण-साइटों के लिए अनिवार्य Dust Mitigation Plans।

स्मार्ट सिटीज़ मिशन

हरित पट्टी, नॉन-मोटराइज़्ड ट्रांसपोर्ट, वायु गुणवत्ता सेंसर।

नैशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन

ई-वाहनों के प्रसार से उत्सर्जन घटाना।

सर्वोत्तम प्रथाएँ (Best Practices)

  1. दिल्ली – GRAP Model: प्रदूषण स्तर बढ़ने पर क्रमिक प्रतिबंध जैसे निर्माण रोक, स्कूल बंद, वाहन प्रतिबंध।
  2. इंदौर – Dust Free City: निर्माण-स्थलों पर ढँकना व नियमित धूल-स्प्रे।
  3. गुजरात – Emission Trading Scheme: उद्योगों में ‘क्लीनर फर्म’ को क्रेडिट-ट्रेड की सुविधा।
  4. राजस्थान – ULB Air Quality Committees: स्थानीय निगरानी व नागरिक सहभागिता।

चुनौतियाँ (Challenges)

चुनौती

विवरण

स्रोत-विविधता

अनेक स्रोत; एकीकृत रणनीति का अभाव।

डेटा-निगरानी की कमी

400+ शहरों में अभी भी पर्याप्त मॉनिटरिंग स्टेशन नहीं।

कमज़ोर प्रवर्तन (Enforcement)

नियम हैं पर अनुपालन और दंड कमजोर।

संघ-राज्य समन्वय की कमी

कई बार राजनीतिक टकराव या अधिकार क्षेत्र के विवाद।

जन-सहभागिता की कमी

नागरिकों में जागरूकता और जिम्मेदारी सीमित।

आगे की राह (Way Forward)

  1. समेकित शहरी वायु प्रबंधन नीति (Integrated Urban Air Policy): शहरी नियोजन, ट्रांसपोर्ट, ऊर्जा और स्वास्थ्य मंत्रालयों का समन्वय।
  2. इलेक्ट्रिक एवं सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा: बस-नेटवर्क, मेट्रो, साइकिल-पथ और पैदल-पथ को प्राथमिकता।
  3. स्रोत-आधारित लक्षित कार्य योजना: प्रत्येक शहर के Source Apportionment Study के आधार पर हस्तक्षेप।
  4. हरित-अवसंरचना (Green Infrastructure): शहरों में ग्रीन बफर, शहरी वन, ग्रीन कॉरिडोर।
  5. जन-सहभागिता और नागरिक निगरानी: “Clean Air Champions” कार्यक्रम; स्कूल, RWAs, NGOs की भागीदारी।
  6. वायु गुणवत्ता डेटा पारदर्शिता: AQI डेटा को रीयल-टाइम सार्वजनिक किया जाए; मोबाइल ऐप्स से नागरिक सूचना पाएँ।
  7. कचरा प्रबंधन सुधार: खुले में जलाने पर कड़ा प्रतिबंध, सेग्रीगेशन और वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्र।
  8. राज्य-शहर स्तर पर दीर्घकालिक एक्शन प्लान: केवल सीज़नल नहीं, पूरे वर्ष मॉनिटरिंग व रिपोर्टिंग।

निष्कर्ष (Conclusion)

“स्वच्छ हवा कोई विलासिता नहीं — यह जीवन का मौलिक अधिकार है।”

भारत के शहरी केंद्र विकास की प्रयोगशाला हैं, पर उनकी हवा अब नागरिक स्वास्थ्य और जीवन-गुणवत्ता को चुनौती दे रही है। केवल तकनीकी समाधान नहीं, बल्कि शासन सुधार, व्यवहार परिवर्तन, और जनभागीदारी ही वास्तविक समाधान हैं। यदि हर शहर अपने स्तर पर “स्वच्छ हवा की योजना” को सामुदायिक आंदोलन बनाए, तो भारत 2047 तक “Clean Air India” का सपना साकार कर सकता है।

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