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अमेरिका द्वारा ग्रीनलैंड को आर्थिक सहायता: बदलती भू-राजनीति का संकेत

(प्रारम्भिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ तथा विश्व का भूगोल)
(मुख्य परीक्षा: प्रश्नपत्र-1 व 2: मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण; अंतर्राष्ट्रीय सम्बंध)

पृष्ठभूमि

  • विगत दिनों संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ग्रीनलैंड को आर्थिक सहायता का प्रस्ताव दिया गया है।
  • 'नॉर्डिक देश' पाँच यूरोपीय देशों का एक समूह है। यह उत्तरी यूरोप व उत्तर अटलांटिक में स्थित भौगोलिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र है। इन पाँच देशों में डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और स्वीडन शामिल हैं।
  • यद्यपि, अमेरिका द्वारा ग्रीनलैंड को खरीदने का भी प्रस्ताव दिया गया था। दरअसल, अमेरिका की ग्रीनलैंड की राजधानी नूँक (Nuuk) में वाणिज्यिक दूतावास (Consulate) खोलने की भी योजना है। डेनमार्क द्वारा इस अमेरिकी हस्तक्षेप का विरोध किया जा रहा है।

अमेरिका द्वारा ग्रीनलैंड में वाणिज्यक दूतावास खोलने का कारण

  • द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अपनी सेना सेना को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से अमेरिका ने ग्रीनलैंड में वाणिज्यक दूतावास स्थापित किया था, जिसको बाद में बंद कर दिया गया। इसके लगभग 7 दशक बाद ग्रीनलैंड में पुनः दूतावास खोलने की योजना है।
  • अमेरिका के अनुसार, इस निर्णय का आशय वस्तुतः स्वायत्त द्वीप के सतत् विकास में  सहायता करना है।
  • इसके अतिरिक्त अन्य कारणों में, रूस द्वारा आर्कटिक क्षेत्र में सैन्यीकरण के विस्तार व आक्रामक रुख के साथ-साथ चीन की इस क्षेत्र में बढ़ती आर्थिक गतिविधियों को रोकना है।

ग्रीनलैंड में अंतर्निहित अमेरिकी हित

1. घरेलू व व्यक्तिगत हित:

  • ग्रीनलैंड में ट्रम्प की रुचि अमेरिकी प्रशासन के वैश्विक दृष्टिकोण और विदेश नीति के विस्तार की द्योतक है।
  • इसके अलावा, यह रूस की सैन्य उपस्थिति को नियंत्रित करने के साथ-साथ चीन के आर्थिक हितों व गतिविधियों को नियंत्रित करने का भी प्रयास है।
  • इस नए क्षेत्र को प्राप्त करने का प्रयास डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अमेरिकी राष्ट्रवादियों व साम्राज्यवादियों को प्रभावित करने की कोशिश का भी हिस्सा है, ताकि आगामी चुनाव में लाभ प्राप्त किया जा सके।
  • इसके अलावा, ग्रीनलैंड के अधिग्रहण से अमेरिकी इतिहास में ट्रम्प के बारे में सकारात्मक संदेश जाएगा। ऐसा करके वे अमेरिका के सीमा क्षेत्र में किसी भू-भाग को शामिल करने वाले तीसरे राष्ट्रपति बन जाएंगे।
  • किसी दूसरे देश या उसके भू-भाग को खरीदना असामान्य घटना है, परंतु इससे पूर्व अमेरिका दो बार ऐसा कर चुका है। वर्ष 1803 में तत्कालीन राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन ने फ्रांस से लूसियाना का अधिग्रहण किया था। दूसरी बार राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने वर्ष 1867 में अलास्का को रूस से खरीदा था।

2. कूटनीतिक हित:

  • जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक की बर्फ काफी तेज़ी से पिघल रही है, फलस्वरूप सैन्य उद्देश्यों तथा समुद्री व्यापार के लिये जलमार्ग भी खुल सकते हैं।
  • इसके अलावा, वैश्विक व क्षेत्रीय शक्तियाँ ग्रीनलैंड के विशाल अप्रयुक्त प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण के लिये एक-दूसरे को रोकने में लगी हैं।

3. आर्थिक हित:

  • ग्रीनलैंड रणनीतिक रूप से आर्कटिक सागर और अटलांटिक महासागर के मध्य स्थित संसाधन समृद्ध भू-भाग है। यह भू-भाग कुछ दुर्लभ धातुओं (Rare-Earth Metals), जैसे- लौह अयस्क, यूरेनियम, जस्ता के उप-उत्पाद, नेयोडीमियम (Neodymium), प्रेसियोडीमियम (Praseodymium), डिस्प्रोसियम (Dysprosium) और टर्बियम (Terbium) के विशाल भंडारों में से एक है।
  • इन दुर्लभ धातुओं को इलैक्ट्रिक कार, मोबाइल फोन और कम्प्यूटर के निर्माण व उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।
  • चीन काफी लम्बे समय से इन दुर्लभ धातुओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता तथा निर्यातक देश रहा है। इसके लिये चीन ने अफ्रीकी महाद्वीप में धात्विक खादानों की अधिग्रहण योजनाओं का अत्यधिक विस्तार किया है।
  • ग्रीनलैंड के अधिग्रहण से अमेरिका की इन दुर्लभ धातुओं के लिये चीन पर निर्भरता कम हो जाएगी। साथ ही, आर्कटिक क्षेत्र के हिस्से के कारण ग्रीनलैंड में तेल व गैस भंडार की विशाल सम्भावना है। ऐसे संसाधनों के लिये अमेरिका हमेशा प्रयासरत रहा है।

डेनमार्क की चिंता

  • ग्रीनलैंड एक स्वायत्त द्वीप है, जो डेनमार्क के राज्यक्षेत्र के अंतर्गत आता है। इससे पूर्व अमेरिका और डेनमार्क के मध्य ग्रीनलैंड के खरीद प्रस्ताव पर विवाद हो चुका है। डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने ग्रीनलैंड के अधिग्रहण की सम्भावना को पूरी तरीके से नकार दिया था।
  • डेनमार्क बार-बार इस रुख पर कायम है कि ग्रीनलैंड बिक्री के लिये उपलब्ध नहीं है। अमेरिकी सरकार के आर्थिक सहायता के प्रस्ताव पर डेनमार्क की संसद के सदस्यों ने गम्भीर चिंता व्यक्त करते हुए इसे अमेरिका का बलपूर्वक हस्तक्षेप बताया है।
  • डेनमार्क और ग्रीनलैंड दोनों भू-राजनीतिक क्षेत्र में हो रहे बदलाव से अच्छी तरह परिचित हैं, परंतु इस फैसले को अमेरिकी प्रशासन की औपनिवेशिक नीतियों के विस्तार के रूप में देखा जा रहा है।

ग्रीनलैंड: एक नजर में

  1. यह दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है जो आर्कटिक और अटलांटिक महासागरों के मध्य स्थित है। यह द्वीप कनाडा के आर्कटिक द्वीप-समूह (Archipelago) के पूर्व में स्थित है। गौरतलब है कि यह द्वीप भौतिक और भौगोलिक रूप से उत्तरी अमेरिका महाद्वीप का अंग है, परंतु राजनीतिक व सांस्कृतिक दृष्टि से यह यूरोप के साथ जुड़ा हुआ है।
  2. इस द्वीप के अधिकांश निवासी इनुइट (Inuit) हैं। इनके पूर्वजों ने उत्तरी कनाडा के रास्ते अलास्का से यहाँ पर प्रवसन किया और 13वीं शताब्दी के आस-पास इस द्वीप पर बस गए।
  3. डेनमार्क ने लगभग 1700 से 1900 के मध्य यहाँ पर व्यापारिक उपनिवेश स्थापित किया और इस द्वीप पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय डेनमार्क पर जर्मनी का कब्जा हो गया, जिससे ग्रीनलैंड की सुरक्षा अमेरिका के ज़िम्मे हो गई। हालाँकि वर्ष 1945 में ग्रीनलैंड को पुन: डेनमार्क को सौंप दिया गया।
  4. 1 मई, 1979 को ग्रीनलैंड को स्वायत्तता प्रदान की गई थी। डेनमार्क के एक भाग के रूप में वर्ष 1973 में ग्रीनलैंड यूरोपीय यूनियन का हिस्सा बना, परंतु वर्ष 1985 में इसने सदस्यता त्याग दी।
  5. ग्रीनलैंड के विदेशी मामलों और रक्षा प्रबंधन का कार्य डेनमार्क द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, ग्रीनलैंड के बजट में भी बड़े स्तर पर डेनमार्क योगदान देता है।
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