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कृषि-खाद्य प्रणालियों में युवा: खाद्य सुरक्षा एवं रोजगार के अवसर

(प्रारंभिक परीक्षा: कृषि, महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट एवं सूचकांक)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; बफर स्टॉक व खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय)

संदर्भ

वैश्विक स्तर पर युवा बेरोजगारी एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कृषि-खाद्य प्रणालियां (Agrifood Systems) वैश्विक जी.डी.पी. में 1.4% की वृद्धि कर सकती हैं, जिसमें से 45% वृद्धि युवाओं की भागीदारी से हो सकती है।

कृषि-खाद्य प्रणालियों के बारे में

  • परिभाषा : कृषि-खाद्य प्रणालियाँ एक व्यापक नेटवर्क है, जिसमें कृषि उत्पादन एवं अपशिष्ट प्रबंधन से लेकर खाद्य वितरण, प्रसंस्करण, विपणन व उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया शामिल होती है।
  • प्रमुख विशेषताएँ
    • संसाधन प्रबंधन : भूमि, जल और ऊर्जा का संतुलित उपयोग
    • खाद्य सुरक्षा : सभी लोगों के लिए पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक आहार की उपलब्धता
    • विपणन एवं आपूर्ति श्रृंखला : कृषि उत्पादों का उचित मूल्य पर वितरण व बिक्री
    • रोजगार सृजन : कृषि से जुड़े विभिन्न कार्यों में रोजगार के अवसर
    • कृषि-प्रौद्योगिकी : नई तकनीकों द्वारा कृषि उत्पादन एवं खाद्य सुरक्षा में वृद्धि

कृषि-खाद्य प्रणाली पर FAO रिपोर्ट

  • शीर्षक : कृषि खाद्य प्रणालियों में युवाओं की स्थिति (The Status of Youth in Agrifood Systems)
  • उद्देश्य : वैश्विक स्तर पर (भारत सहित) 15-24 आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी को कम करने के लिए कृषि-खाद्य प्रणालियों के महत्त्व पर जोर देना 

वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट के निष्कर्ष

  • अत्यधिक बेरोजगारी दर : रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 15-24 वर्ष के 1.3 बिलियन युवा हैं, जिनमें से 20% युवाओं के पास कोई स्थिर रोजगार नहीं है और वे NEET (Not in Employment, Education, or Training) श्रेणी में आते हैं। यह स्थिति विशेष रूप से 20-24 वर्ष आयु वर्ग में चिंताजनक है।
  • कृषि क्षेत्र में युवाओं की घटती भागीदारी : वर्ष 2005 में 54% युवा कृषि-खाद्य प्रणालियों में कार्यरत थे, जो अब घटकर 44% हो गए हैं। इसका प्रमुख कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास है, जिससे कृषि क्षेत्र में कार्यबल की कमी हो रही है।
  • कृषि-खाद्य प्रणालियाँ और युवा रोजगार : 44% कार्यशील युवा कृषि-खाद्य प्रणालियों से जुड़े हुए हैं जबकि वयस्कों में यह आंकड़ा 38% है।
  • वैश्विक खाद्य असुरक्षा में वृद्धि : वैश्विक स्तर पर युवाओं में खाद्य असुरक्षा की दर वर्ष 2014-16 में 16.7% से बढ़कर वर्ष 2021-23 में 24.4% हो गई है।
  • कृषि उत्पादकता में गिरावट का खतरा : जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादन में गिरावट हो सकती है, विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका एवं एशिया में।
    • लगभग 395 मिलियन ग्रामीण युवा ऐसे क्षेत्रों में रह रहे हैं, जहाँ कृषि उत्पादकता में गिरावट आने की संभावना है।
  • शहरीकरण में वृद्धि : आज 54% युवा शहरी क्षेत्रों में रहते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली युवा आबादी का मात्र 5% कृषि में संलग्न रह गई है। यह प्रवृत्ति कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की कमी का कारण बन रही है।

भारत के परिप्रेक्ष्य में रिपोर्ट के निष्कर्ष

  • बेरोजगारी दर : भारत में बेरोजगारी दर वर्ष 2024 के अनुसार 7.5% है जो वैश्विक स्तर पर 5.6% के मुकाबले अधिक है।
  • युवाओं का शहरीकरण : भारत में शहरीकरण की दर तेजी से बढ़ने से ग्रामीण युवाओं की संख्या घट रही है और कृषि-खाद्य प्रणालियों में उनकी भागीदारी घट रही है।
  • युवाओं के लिए रोजगार सृजन : भारत में लाखों युवाओं के लिए कृषि-खाद्य प्रणालियाँ रोजगार के प्रमुख स्रोत हैं। यहाँ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि-खाद्य प्रणालियों पर निर्भर करती है किंतु युवाओं की भागीदारी में कमी आई है।
  • खाद्य असुरक्षा में वृद्धि : भारत में भी खाद्य असुरक्षा की दर बढ़ रही है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ कृषि-खाद्य प्रणालियाँ युवाओं के लिए जीवनयापन का मुख्य साधन हैं।
  • संवेदनशील क्षेत्रों में युवा प्रभावित : भारत के ग्रामीण इलाकों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कृषि कार्यों एवं युवा रोजगार के अवसरों को प्रभावित कर रहा है।
  • नई नीतियाँ : भारत में कृषि-खाद्य प्रणालियाँ युवाओं के लिए अधिक आकर्षक बनानी चाहिए। इसके लिए प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं सुधार की आवश्यकता है।
  • कृषि में निवेश : भारत को युवाओं के लिए कृषि-खाद्य प्रणालियाँ में निवेश बढ़ाना चाहिए, ताकि उन्हें स्थिर एवं अच्छे रोजगार के अवसर मिल सकें।

चुनौतियां

  • बेरोजगारी और NEET : भारत में 28.5% और विश्व में 20% युवा NEET हैं। महिलाएँ इससे अधिक प्रभावित हैं।
  • शहरीकरण : ग्रामीण युवा शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं, जिससे कृषि में श्रम की कमी हो रही है।
  • जलवायु परिवर्तन :चरम मौसम एवं जलवायु परिवर्तन से 39.5 करोड़ ग्रामीण युवा प्रभावित हैं।
  • निम्न आय एवं असुरक्षित रोजगार : 91% युवा महिलाएँ और 83% युवा पुरुष कृषि क्षेत्र में असुरक्षित व मौसमी नौकरियों में संलग्न हैं।
  • संसाधनों की कमी : युवाओं को भूमि, ऋण एवं प्रशिक्षण तक पहुँच में बाधाएँ हैं।
  • नीति निर्माण में निम्न भागीदारी : युवाओं की राय को नीति निर्माण में प्राय: नजरअंदाज किया जाता है।

आगे की राह

  • डिजिटल कृषि, जैविक खेती एवं खाद्य प्रसंस्करण में युवाओं को प्रशिक्षण देना
  • भारत में कृषि विश्वविद्यालयों और कौशल विकास कार्यक्रमों को मजबूत करना
  • मुद्रा योजना और कृषि स्टार्टअप्स के लिए आसान ऋण व सब्सिडी प्रदान करना
  • ड्रोन, IoT और AI जैसी तकनीकों का उपयोग करके कृषि को आधुनिक बनाना
  • ग्रामीण युवा संगठनों और सहकारी समितियों को सशक्त करना
  • सड़क, सिंचाई एवं भंडारण सुविधाओं में निवेश बढ़ाना
  • भारत में राष्ट्रीय जलवायु मिशन को युवा-केंद्रित बनाना

निष्कर्ष

कृषि-खाद्य प्रणालियां भारत एवं विश्व के युवाओं के लिए रोजगार, खाद्य सुरक्षा व आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। FAO की रिपोर्ट बताती है कि उचित नीतियों एवं निवेश के साथ युवा इन प्रणालियों को बदल सकते हैं और वैश्विक GDP में 1.5 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि कर सकते हैं। भारत में युवा बेरोजगारी (17.5%) वैश्विक औसत (13.8%) से अधिक है, जिसके लिए यह एक सुनहरा अवसर है।

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