New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 5th Dec., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 5th Dec., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

पृथ्वी का औसत माध्य तापमान और 1.5 ℃ तापमान का स्तर

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3- पर्यावरण प्रभाव का आकलन) 

संदर्भ

हाल ही में हुए, एक शोध के अनुसार, वर्ष 2027 से 2042 के बीच पृथ्वी का औसत माध्य तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 ℃ ऊपर पहुँच जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) ने अनुमान लगाया था कि वर्ष 2052 तक पृथ्वी तापमान के इस स्तर को पार करेगी, लेकिन नए शोध के अनुसार थ्रेसहोल्ड वर्ष 2042 को माना जा रहा है।
  • नवीन शोध में शोधकर्ताओं ने ज़्यादा सटीक मॉडल का उपयोग किया है।

पृष्ठभूमि

  • शुरुआत में शोधकर्ताओं ने वैश्विक तापमान वृद्धि को 2℃ से नीचे रखे जाने का तर्क दिया था।
  • सर्वप्रथम वर्ष 1975 में अर्थशास्त्री विलियम नॉर्डहॉस के एक लेख के बाद से वैश्विक तापन के लिये सुरक्षित सीमा के रूप में 2℃ का विचार प्रचलन में आया था।
  • वर्ष 1990 के दशक के मध्य तक यूरोपीय पर्यावरणीय बैठकों में 2℃ की सीमा को ही आधार माना जाता था और वर्ष 2010 की कैनकन COP तक यह सीमा ही संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक नीति का हिस्सा थी।
  • हालांकि, छोटे द्वीपीय देश और समुद्रों के निकटस्थ देश 2℃ की थ्रेसहोल्ड सीमा से नाखुश थे और वे सीमा को कम किये जाने की माँग कर रहे थे, क्योंकि उनका मानना ​​था कि ज़्यादा सीमा का समुद्र-स्तर के लिये नकारात्मक होगी।

2 °C की सीमा पर 1.5 ° C को प्राथमिकता

  • बढ़ते वैश्विक तापन की वजह से पारिस्थितिक तंत्र पहले से ही प्रभावित है, 5 °C की अपेक्षा 2 °C की सीमा की वजह से यह जोखिम बढ़ेगा ही।
  • यदि पृथ्वी का औसत माध्य तापमान 5 °C के जगह 2 °C तक बढ़ गया तो हीटवेव, सूखे और बाढ़ से जुड़ी घटनाएँ ज़्यादा होंगीं तथा समुद्र का स्तर भी 10 सेमी. तक बढ़ जाने का अनुमान है।
  • ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में ग्लेशियर्स पिघलने की घटनाएँ भी बढ़ सकती हैं।
  • 5°C की तुलना में 2 °C के स्तर पर प्रमुख फसलों का उत्पादन और उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित होगी तथा पशुधन पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।इन सब वजहों से विश्व के कई हिस्सों में भोजन की उपलब्धता पर भी असर पड़ेगा।

क्या होते हैं जलवायु मॉडल

  • जलवायु मॉडल, पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों के मैथेमैटिकल सिमुलेशन होते हैं। इनमें वातावरण, महासागर, बर्फ, धरती की सतह और सूर्य प्रमुख हैं।
  • हालाँकि ये मॉडल पृथ्वी के बारे में अब तक प्राप्त जानकारियों पर आधारित होते हैं। इसके बावजूद इन मॉडल्स के द्वारा भविष्य के बारे किये गए अनुमानों में अनिश्चितता बनी रहती है।
  • तापमान से जुड़े अनुमानों को व्यक्त करने के लिये IPCC सामान्य परिसंचरण मॉडल (GCM) का उपयोग करता है।

सामान्य परिसंचरण मॉडल (General Circulation Model - GCM)

  • जी.सी.एम. वायुमंडल, महासागर, क्रायोस्फीयर और भूमि की सतह पर भौतिक प्रक्रियाओं को दर्शाता है।
  • यह वर्तमान में वैश्विक जलवायु प्रणाली पर ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिये उपलब्ध सबसे उन्नत मॉडल है।

नया मॉडल

  • तापमान के पूर्वानुमान का नया मॉडल, जलवायु के ऐतिहासिक आँकड़ों पर आधारित है। जबकि इसके विपरीत जी.सी.एम. मॉडल सैद्धांतिक संबंधों पर आधारित है।
  • यह मॉडल तापमान के प्रत्यक्ष आँकड़ों और कुछ अनुमानों पर आधारित है। जिसकी मदद से जलवायु संवेदनशीलता और इसकी अनिश्चितता के बारे में पता लगाया जाता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR