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भारत में प्रेस स्वतंत्रता

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनायें, भारतीय संविधान से संबंधित विषय)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : सामाजिक सशक्तिकरण; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारतीय संविधान के महत्त्वपूर्ण प्रावधान, सरकारी नीतियाँ, महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संस्थान,  संस्थाएँ और मंच तथा उनकी संरचनाएँ एवं अधिदेश से संबंधित विषय) 

संदर्भ

हाल ही में रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्डर्स (Reporters Without Borders- RSF) द्वारा प्रकाशित विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index) में भारत को 180 देशों में से 142वॉं स्थान दिया गया है। उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष भी भारत इस सूचकांक में 142वें स्थान पर था।

रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्डर्स (RSF)

  • गठन - 1985
  • मुख्यालय - पेरिस, फ्रांस
  • संस्थापक - रॉबर्ट मेनार्ड, रेमी लोरी, जैम्स मोलेनट और जिमिलीन जुबिन्यु थे।
  • उद्देश्य - सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करना ।
  • यह एक अंतरराष्ट्रीय ग़ैर-लाभकारी और ग़ैर-सरकारी संगठन है।
  • इसको संयुक्त राष्ट्र में परामर्शदात्री संस्था का दर्जा प्राप्त है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक

  • शुरुआत - 2002 से प्रतिवर्ष
  • यह रिपोर्ट आंशिक रूप से प्रश्नावली पर आधारित है
  • सूचकांक के आधार -
    • बहुलवाद (Pluralism)
    • मीडिया स्वतंत्रता (Media Independence)
    • मीडिया पर्यावरण और स्व-सेंसरशिप (Media environment and self-censorship)
    • विधायी ढाँचा (Legislative framework)
    • पारदर्शिता (Transparency)
    • समाचार और सूचना उत्पादन हेतु बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता (Quality of Infrastructure)

अन्य प्रमुख बिंदु

  • सूचकांक में देशों को प्रेस की स्वतंत्रता के लिए 'खराब (Bad), बहुत खराब (Very Bad) और समस्याग्रस्त (Problematic)' वातावरण के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • सूचकांक के अनुसार 180 देशों में से 73% देशों में पत्रकारिता विघटन के खिलाफ मुख्य टीका या सुधार पूर्णतः या आंशिक रूप से अवरुद्ध हैं।
  • 180 देशों में से केवल 12 देशों में (7%) ही पत्रकारिता के लिए अनुकूल वातावरण मौजूद है।
  • इसके अंतर्गत 28 देशों के 59% उत्तरदाताओं ने बताया कि पत्रकारों द्वारा जानबूझकर गलत सूचनाओं का प्रसारण कर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जाता है।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान राष्ट्रों द्वारा जानकारी के प्रसार को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया।
  • इस रिपोर्ट के अंतर्गत एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बड़े हिस्से के संदर्भ में चिंता व्यक्त की गई है क्योंकि यहाँ पर प्रेस की स्वतंत्रता पर कई देशों ने 'राजद्रोह', 'राष्ट्र की गोपनीयता', तथा 'राष्ट्रीय सुरक्षा' संबंधी कानून बनाये हैं।
  • नॉर्वे सूचकांक में लगातार 5 वर्षों से प्रथम स्थान पर है, हालांँकि यहॉं की मीडिया ने महामारी के बारे में राज्य की जानकारी तक सीमित पहुँच की शिकायत की है।
  • नॉर्वे के पश्चात् क्रमशः फ़िनलैंड तथा स्वीडन का द्वितीय तथा तृतीय स्थान रहा। सूचकांक में इरिट्रिया अंतिम पायदान पर रहा, जबकि चीन 177वें, उत्तर कोरिया 179वें तथा तुर्कमेनिस्तान 178वें स्थान पर रहा।
  • रिपोर्ट में, यूरोप और अमेरिका (उत्तर, मध्य और दक्षिण) को प्रेस की स्वतंत्रता के लिए सबसे अनुकूल महाद्वीप के रूप में चिन्हित किया गया है।

सूचकांक के आधार पर भारत का विश्लेषण

  • पिछले वर्ष भी इस सूचकांक में भारत 142वें स्थान पर था। अतः कहा जा सकता है कि भारत द्वारा अपने पत्रकारों को प्रदान किये जाने वाले वातावरण में कोई सुधार नहीं किया गया।
  • सूचकांक में भारत को पत्रकारिता के लिए 'खराब' तथा पत्रकारों के लिए 'खतरनाक' देश के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • भारत का अपने पड़ोसी देशों में सबसे खराब प्रदर्शन रहा। जिसमें नेपाल 106वें, श्रीलंका 127वें तथा भूटान 65वें स्थान पर रहा जबकि पाकिस्तान 145वें स्थान पर रहा।
  • इस रिपोर्ट के अंतर्गत पत्रकारों में व्याप्त भय के लिये राष्ट्रवादी सरकारों को जिम्मेदार ठहराया गया है। जो प्रायः उन्हें राज्य विरोधी या राष्ट्र विरोधी घोषित कर देता है।
  • कश्मीर में पुलिस तथा अर्द्धसैनिक बलों द्वारा पत्रकारों के उत्पीड़न की संबंधी घटनाओं के कारण स्थिति अधिक चिंताजनक है। 

अन्य स्मरणीय तथ्य

  • भारत में प्रेस की शुरुआत पुर्तगालियो के आगमन के बाद हुई।
  • भारत का पहला समाचार-पत्र 1780 में जेम्स आगस्टस हिक्की द्वारा 'द बंगाल गजट या कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर' के नाम से प्रकाशित किया गया।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 'भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' का अधिकार प्रदान करता है।
  • प्रेस की स्वतंत्रता को किसी भी भारतीय कानून द्वारा संरक्षित नहीं किया गया है परंतु संविधान का अनुच्छेद 19(1)(A) के अंतर्गत इसे संरक्षण प्राप्त है। हालांँकि, अनुच्छेद 19(2) के तहत इसे कुछ युक्तियुक्त निर्बंधनों का भी सामना करना पड़ता है। जिसके अंतर्गत,
  • भारत की संप्रभुता तथा अखंडता से संबंधित विषय
  • न्यायालय की अवमानना
  • राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित विषय
  • विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध इत्यादि शामिल हैं।
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