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थाईलैंड में विरोध प्रदर्शन : लोकतंत्र की माँग

(प्रारम्भिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ )
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : भारत तथा इसके पड़ोसी- सम्बंध, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों का प्रभाव)

चर्चा में क्यों?

थाईलैंड में लोकतंत्र की माँग कर रहे प्रदर्शनकारियों द्वारा वहाँ के राजा तथा उनके परिवार का विरोध किये जाने के कारण राजा द्वारा आपातकाल लागू करते हुए मीडिया को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।

पृष्ठभूमि

वर्ष 1932 की सियामी क्रांति (Siamese Revolution) के समय राजशाही की निरपेक्ष शक्ति (Absolute Power) समाप्त हो गई थी। लेकिन इसके बाद भी संवैधानिक राजतंत्र के तहत समाज में राजा की स्थिति भगवान जैसी (God Like Status) ही रही और सरकार में उसका प्रभाव असाधारण बना रहा।

वर्ष 2014 में प्रयुत चान ओचा द्वारा तत्कालीन सरकार का तख्तापलट कर सत्ता में आने के साथ ही जनता के अधिकारों पर अत्यधिक प्रतिबंध लगा दिये गए थे।

तख्तापलट के दौरान विरोध कर रहे कार्यकर्त्ता या तो देश छोड़कर पड़ोसी देशों में चले गए या लापता हो गए।

वर्ष 2016 में सेना द्वारा समर्थित संविधान को लागू किया गया। वहाँ के प्रधानमंत्री के चुनाव प्रक्रिया में भी सेना की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्ष 2019 में विवादित चुनाव प्रक्रिया के तहत प्रयुत्त (वर्तमान प्रधानमंत्री) की पार्टी को ही जीत मिली थी।

फरवरी 2020 में लोकतंत्र समर्थक फ्यूचर फॉरवर्ड पार्टी (संसदीय चुनाव में तीसरा सबसे बड़ा वोट शेयर हासिल किया) को थाईलैंड की शीर्ष अदालत ने बर्खास्त कर दिया, जिसने विरोध प्रदर्शनों को तीव्र गति प्रदान की। हालाँकि, कोरोना महामारी के कारण ये प्रदर्शन कमज़ोर पड़ गए थे फिर भी वर्तमान में इनमें तेज़ी आई है।

क्या हैं माँगे?

वहाँ के प्रदर्शनकारियों की 10 माँगे हैं, जिनमे थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा का इस्तीफा, थाईलैंड के लिये नया लिखित संविधान (जिसमें राजतंत्र की शक्तियों तथा सम्पत्तियों को सीमित किया जाना चाहिये), राष्ट्रीय बजट में शाही घराने के खर्च के हिस्से में कटौती, निष्पक्ष चुनाव, असंतुष्ट वर्ग तथा विपक्षी दलों पर होने वाले हमलों पर रोक तथा राजा पर अपने राजनैतिक विचारों की अभिव्यक्ति पर रोक को हटाने (वर्तमान में थाईलैंड के राजा की आलोचना पर 15 वर्ष की सज़ा का प्रावधान है), जैसी प्रमुख माँगे शामिल हैं।

अन्य मुख्य बिंदु

  • आपातकाल के बावज़ूद भी प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा तथा कुछ सरकारी सम्पत्तियों को भी क्षति पहुंचाई। साथ ही कोविड विरोधी उपायों का भी उल्लंघन किया गया है।
  • प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे कई नेताओं को सुरक्षात्मक उपायों के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है।

थाईलैंड की वर्तमान शासन स्थिति

  • थाईलैंड में शासन प्रणाली का रूप संवैधानिक राजतंत्र (वंशवाद पर आधारित) है तथा वर्ष 2016 से वाजिरलांगकोर्न (अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् से) वहाँ के राजा हैं।
  • ध्यातव्य है कि क्राउन की सम्पत्ति को राजा द्वारा अपनी निजी सम्पत्ति घोषित किये जाने के साथ ही सेना की दो रेजिमेंट को भी अपने प्रत्यक्ष नियंत्रण में लाया गया है।
थ्री फिंगर सैल्यूट : यह थाईलैंड में लोकतंत्र की माँग हेतु प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनाया गया राजतंत्र के विरोध का रोचक तरीका है। इसमें विरोध के प्रतीक के रूप में तीन उँगलियों को ऊपर उठाकर सैल्यूट किया जाता है। विरोध प्रदर्शन का यह तरीका या सैल्यूट हॉलीवुड फिल्म ‘हंगर गेम्स’ (एक किताब पर आधारित) से प्रेरित है।

वर्तमान प्रदर्शन का प्रभाव

थाईलैंड में वर्तमान आंदोलन का नेतृत्व बड़े पैमाने पर स्कूल और कॉलेज के छात्र कर रहे हैं। पहले राजशाही (राजा तथा उसका परिवार) के काफिले के सामने गुजरने के दौरान या सामने आने पर आम जनता को जमीन पर घुटने टेकने होते थे। वर्तमान में शाही काफिले को थ्री फिंगर सैल्यूट दिखाया जाना एक बड़ा बदलाव है।

निष्कर्ष

सैनिक शासकों के संरक्षण में रुढ़िवादी और स्वार्थी ताकतों के विरूद्ध उठी यह आवाज़ वर्तमान तथा भविष्य की पीढ़ियों के मानवाधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक उम्मीद की किरण है।

प्री फैक्ट्स :

  • थाईलैंड का प्राचीन नाम श्यामदेश या स्याम है, यह दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित है।
  • दंड संहिता की धारा 112 के तहत थाईलैंड में राजतंत्र को संरक्षित किया गया है। इसके अनुसार राजा, रानी, उत्तराधिकारी या रीजेंट की आलोचना करने पर 15 वर्ष के कारावास की सज़ा का प्रावधान है। इस कानून को ‘लेज़ मेजेस्टी कानून’ का नाम दिया गया है।

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स्रोत : द हिन्दू

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