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लॉकडाउन जनित गरीबी का दुश्चक्र एवं आई.एल.ओ. की रिपोर्ट

वर्तमान घटनाक्रम:

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन लागू होने से 40 करोड़ मजदूर गरीबी के दुष्चक्र में फंस सकते हैं|

आईएलओ ने अपनी रिपोर्ट आईएलओ निगरानी- द्वितीय संस्करण: कोविड-19 और वैश्विक कामकाज (ILO Monitor 2ind Edition: COVID-19 and the World of Work) में कोरोना महामारी संकट को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा संकट बताया है|

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में 6.7 प्रतिशत कामकाजी घंटे समाप्त होने की संभावना है,जिससे अनुमानित 19.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरियाँ जा सकती हैं|
  • विश्व में पूर्णया आंशिक रूप से लॉकडाउन के कारण करीब 2.7 अरब कामगार प्रभावित हुए हैं| यह वैश्विक कार्यबल का 80 प्रतिशत से भी अधिक है| इनमे होटल, खाद्य क्षेत्र,विनिर्माण और खुदरा क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं|
  • दुनिया में लगभग दो अरब लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते है| इनमें अधिकतर उभरती हुई और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में कार्यरत हैं जो विशेष रूप से अधिक प्रभावित होंगे|
  • भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कार्य करने वाले लोगों की हिस्सेदारी लगभग 90 फीसद है|
  • भारत,नाइजीरिया और ब्राजील में लॉकडाउन तथा अन्य रोकथाम उपायों (Containment Measures) से बड़ी संख्या में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के कामगार प्रभावित हुए हैं|
  • भारत में देशव्यापी बंदी के कारण मजदूर वर्ग अत्यधिक प्रभावित होने के साथ-साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ लौट रहे हैं|
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजगार में सबसे अधिक कटौती अरब देशों में होगी,इसके बाद यूरोप और एशियाई-प्रशांत क्षेत्र का स्थान होगा|
  • रिपोर्ट में बताया है कि भारत उन देशों में शामिल है, जिसके पास परिस्थितियों से निपटने हेतु पर्याप्त संसाधन नहीं हैं|
  • रिपोर्ट में सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों को रखांकित किया गया है साथ ही इस संकट से निपटने हेतु नीतिगत उपायों का सुझाव भी दिया गया है|

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ):

  • अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) सयुंक्त राष्ट्र संघ का श्रम निकाय (एजेंसी) है| यह एक विशिष्ठ त्रिपक्षीय संगठन है, जिसमें सरकार, नियोक्ता तथा कामगारों द्वारा विचार-विमर्श से नीतियों का निर्माण किया जाता है|
  • आईएलओ की स्थापना अक्टूबर 1919 में कीगई थी एवं इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में स्थित है|
  • आईएलओ में कुल 187 सदस्स्य हैं तथा इसे वर्ष 1969 में विश्व शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है|
  • भारत आईएलओ (ILO) का संस्थापक सदस्स्य है|

ILO के कार्य:

  • सामाजिक न्याय एवं अन्तर्राष्ट्रीय श्रम मानक सुनिश्चित करना|
  • श्रमिकों के अधिकारों एवं उनकी सामाजिक सुरक्षा सम्बन्धी मुद्दों को प्रोत्साहित करना|
  • श्रमिकों के श्रम और आवास सम्बन्धी अवस्थाओं में सुधार करना|
  • कार्य के उचित घंटे तथा पारिश्रमिक निर्धारित करना|
  • महिलाओं एवं पुरुषों के लिए सामान अवसर, स्वतंत्रता, समानता, सुरक्षा और गरिमा जैसे मूल्यों को प्रोत्साहित करना|

वर्तमान में कामगार और कारोबार दोनों ही कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं इसलिए संकट को समाप्त करने हेतु समय रहते सही दिशा में उठाये गए कदम ही निर्णायक साबित होंगे|

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