शॉर्ट न्यूज़: 31 अक्तूबर, 2020
भारतीय खेल प्राधिकरण Sports Authority of India (SAI)
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ‘हरित पटाखों’ को अनुमति
भारतीय खेल प्राधिकरण Sports Authority of India (SAI)
चर्चा में क्यों?
कोविड-19 महामारी के दौरान खेल गतिविधियों को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किये जाने के कारण भारतीय खेल प्राधिकरण चर्चा में है।
भारतीय खेल प्राधिकरण
- भारतीय खेल प्राधिकरण की स्थापना वर्ष 1984 में युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत की गई थी।
- यह संस्था भारत में खेल तथा खेल उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने हेतु शीर्ष निकाय है।
- प्रारम्भ में इस संस्था की स्थापना 9वें एशियाई खेलों की विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी।
लक्ष्य तथा उद्देश्य
- स्थानीय स्तर पर प्रतिभा की खोज तथा प्रतिभा की उत्कृष्टता हेतु कार्य करना तथा खिलाडियों के लिये आधुनिक खेल उपकरणों के साथ पर्याप्त प्रशिक्षण सुविधाएँ उपलब्ध करवाना।
- वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रणाली की सहायता से खिलाडियों के प्रदर्शन का अवलोकन तथा उसमें सुधार करने के साथ ही राष्ट्र-स्तरीय टीम तैयार करना।
- भारत में खेल के लिये आधारभूत संरचना का विकास तथा उसकी देखभाल करना।
- खेल के विभिन्न क्षेत्रों में कुशल तथा दक्ष प्रशिक्षक (कोच) का चयन करना।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ‘हरित पटाखों’ को अनुमति
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, दिल्ली सरकार ने पटाखे विरोधी अभियान (Anti-Firecracker Campaign) की शुरुआत करने का फैसला लिया है। इसके अनुसार अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सिर्फ ‘हरित पटाखे’ (Green Firecrackers) ही बनाए, बेचे एवं प्रयोग किये जा सकेंगे।
- ध्यातव्य है कि दिल्ली में वर्ष 2018 में आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था तथा वर्ष 2019 में केवल हरित’ पटाखों की अनुमति दी गई थी।
‘हरित पटाखे’
- ‘हरित पटाखे (Green Firecrackers) इस प्रकार निर्मित होते हैं कि इन्हें जलाने पर जल-अणु उत्पन्न होतें हैं और इन पटाखों से होने वाले हानिकारक उत्सर्जन के स्तर में भी बहुत कमी आती है। इसके अलावा, इन पटाखों से उत्पन्न जल-अणु, धूल-कणों का अवशोषण भी करते हैं। इन पटाखों की आवाज़ भी कम होती है।
- सामान्य पटाखों के मुकाबले हरित पटाखों के प्रयोग से नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर-डाई-ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों तथा ‘पर्टिकुलेट मैटर्स’ आदि के उत्सर्जन में 30- 35% तक की कमी आती है, इनसे पोटैशियम तत्वों का उत्सर्जन भी 50-60% कम हो जाता है। इनकी निर्माण लागत भी कम होती है।
CSIR-NEERI द्वारा विकसित हरित पटाखे निम्नलिखित हैं-
1. स्वास (SWAS) या सेफ वॉटर रिलीज़र : इन पटाखों के प्रयोग से SO2, NOx और पार्टिकुलेट मैटर आदि कम (30-35%) उत्सर्जित होते हैं। इनकी आवाज़ लगभग 105-110 dBA की सीमा में होती है। ये हरित पटाखे निर्माण के अगले तीन हफ्तों तक ख़राब नहीं होते।
2. स्टार (STAR) या सेफ थर्माइट क्रैकर
3. सफल (SAFAL) या (सेफ मिनिमल एल्युमीनियम) : इन पटाखों के द्वारा सामान्य पटाखों की तुलना में पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन कम (35-40%) होता है। इनके निर्माण में एल्यूमीनियम (केवल शुरुआत के लिए फ्लैश पाउडर के रूप में) का न्यूनतम उपयोग होता है। इनकी ध्वनि तीव्रता भी 110-115 dBA सीमा में है।