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अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का 113वां पूर्ण अधिवेशन

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 : महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)

चर्चा में क्यों

2 जून से 13 जून 2025 के मध्य जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का 113वां पूर्ण अधिवेशन (Plenary session) आयोजित किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (ILC) के बारे में

  • परिचय : यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का सर्वोच्च नीति निर्धारण निकाय है।
  • सम्मेलन : प्रत्येक वर्ष जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में आयोजित किया जाता है और इसे ‘श्रमिकों की संसद (Parliament of Labour)’ भी कहा जाता है।
  • प्रथम सम्मेलन : वर्ष 1919 में वाशिंगटन में हुआ था। 
    • भारत की ओर से नारायण मल्हार जोशी ने मजदूरों के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया था। 
    • एन.एम. जोशी (5 जून 1879 - 30 मई 1955) एक भारतीय ट्रेड यूनियन नेता और गोपाल कृष्ण गोखले के अनुयायी थे।
  • उद्देश्य
    • वैश्विक स्तर पर श्रम से संबंधित मानदंडों की समीक्षा और निर्माण।
    • सदस्य देशों की श्रम नीतियों का मूल्यांकन।
    • नए अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानक बनाना, जैसे अधिवेशन और सिफारिशें।
    • वैश्विक श्रम मुद्दों जैसे- श्रमिकों के अधिकार, कार्य की गरिमा, रोजगार, वेतन, सामाजिक सुरक्षा, आदि पर चर्चा करना।
  • वोटिंग अधिकार : प्रत्येक सदस्य राज्य का प्रतिनिधित्व दो सरकारी प्रतिनिधियों, एक नियोक्ता प्रतिनिधि, एक श्रमिक प्रतिनिधि से बने प्रतिनिधिमंडल द्वारा किया जाता है। उन सभी के पास व्यक्तिगत मतदान अधिकार होते हैं और सभी वोट समान होते हैं।

आई.एल.सी. 113वाँ पूर्ण अधिवेशन

  • आयोजन : 2 जून से 13 जून 2025 तक जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में
  • भागीदार सदस्य : सभी 187 सदस्य देशों के सरकारी, नियोक्ता और श्रमिक प्रतिनिधि 
  • एजेंडा : ‘कार्य वातावरण में जैविक खतरों के विरुद्ध श्रमिकों की सुरक्षा पर संभावित नए अंतर्राष्ट्रीय मानक, प्लेटफ़ॉर्म अर्थव्यवस्था में सभ्य कार्य और अनौपचारिक से औपचारिक अर्थव्यवस्था में संक्रमण को बढ़ावा देने के लिए अभिनव दृष्टिकोण’

भारत  का प्रतिनिधित्व

इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया द्वारा किया गया।

वक्तव्य के प्रमुख बिंदु

  • भारत की बेरोजगारी दर वर्ष 2017 में 6% से 2024 में घटकर 3.2% हो गई है।
  • पिछले सात वर्षों के दौरान औपचारिक क्षेत्र में 7.5 करोड़ से अधिक नौकरियां सृजित की गईं।
  • नेशनल करियर सर्विस (NCS) पोर्टल का उपयोग वैश्विक नौकरी मांगों को एकत्र करने और अंतरराष्ट्रीय श्रम गतिशीलता को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जा रहा है। 
  • ई-श्रम पोर्टल पर 30 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण हुआ है, जिससे लक्षित लाभ और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है।
  • भारत की सामाजिक सुरक्षा कवरेज वर्ष 2019 में 24.4% से बढ़कर 2025 में 64.3% हो गई है।
  • आज भारत में लगभग 940 मिलियन लोगों को किसी न किसी रूप में सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्राप्त है।
    • भारत वैश्विक स्तर पर पहला देश है जिसने वर्ष 2025 के सामाजिक सुरक्षा कवरेज डाटा को ‘ILOSTAT’ डाटाबेस में अद्यतन किया है, जिससे डिजिटल शासन और कल्याण प्रणालियों में पारदर्शिता में इसकी अग्रणी स्थिति मजबूत हुई है।
  • भारत श्रमिकों की सुरक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता की वकालत करता है, लेकिन साथ ही जैविक खतरों के उपकरण में अत्यधिक व्यापक परिभाषाओं के प्रति आगाह भी करता है, जो कार्यस्थल से इतर तक फैली हुई हैं।
  • भारत ने जोखिम-आधारित, स्तरित रणनीति की सिफारिश की है जो श्रमिक सुरक्षा और व्यावहारिकता के बीच संतुलन बनाए रखे।
  • भारत वैश्विक मानकों को निर्धारित करते समय विभिन्न देशों की विविधताओं को ध्यान में रखने और समायोजित करने का आग्रह करता है।
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