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3I/ATLAS और ओउमुआमुआ: धूमकेतु या एलियन तकनीक

(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर) 

संदर्भ

हमारे सौर मंडल में एक नया अंतरतारकीय पिंड (Interstellar Object: ISO) 3I/ATLAS देखा गया है। यह खोज वैज्ञानिकों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे पिंड न केवल ब्रह्मांड (Cosmos) के रहस्यों को समझने में मदद करते हैं बल्कि ग्रह रक्षा (Planetary Defence) के लिहाज से भी अहम हैं।

हालिया घटना के बारे में

  • वर्ष 2017 में खोजे गए ‘ओउमुआमुआ’ (Oumuamua) के बाद वर्ष 2019 में ‘बोरिसोव’ (Borisov) और अब वर्ष 2025 में 3I/ATLAS की खोज ने वैज्ञानिक जगत में उत्साह व बहस दोनों को जन्म दिया है।
  • 3I/ATLAS का आकार 20 किलोमीटर से भी अधिक है और इसका पथ (Trajectory) हाइपरबोलिक (Hyperbolic) है, यानी यह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधा हुआ नहीं है। 
  • इसकी असामान्य गति और झुकाव ने कुछ वैज्ञानिकों को यह सोचने पर मजबूर किया है कि यह सामान्य धूमकेतु (Comet) नहीं बल्कि कोई तकनीकी वस्तु (Alien Technology) भी हो सकती है।

ओउमुआमुआ और बोरिसोव: नई श्रेणी के पिंड

  • ओउमुआमुआ: वर्ष 2017 में हवाई विश्वविद्यालय के पैन-स्टार्स1 (Pan-STARRS1) टेलीस्कोप द्वारा खोजा गया।
    • इसकी लंबाई लगभग 400 मीटर और चौड़ाई से 10 गुना अधिक थी।
    • इसमें धूमकेतु की तरह कोई पूंछ (Tail) नहीं थी, फिर भी यह सूर्य से दूर जाते समय तेज हो रहा था।
    • इसी कारण वैज्ञानिकों ने इसे ‘एलियन प्रोब’ (Alien Probe) होने की संभावना तक मान ली।
  • बोरिसोव : वर्ष 2019 में खोजा गया और यह सामान्य धूमकेतु जैसा दिखा।
    • इसमें चमकीला नाभिक और धूल की पूंछ थी।
    • इसकी गति 30 किमी/सेकंड पाई गई।

इन दोनों खोजों ने अंतरतारकीय पिंडों के अध्ययन का नया युग शुरू किया।

3I/ATLAS: तृतीय ISO खोज

  • खोज : 1 जुलाई, 2025 को ATLAS सर्वे टेलीस्कोप (चिली) द्वारा की गई।
  • विशेषताएँ
    • यह अन्य दोनों पिंडों की तुलना में बड़ा है।
    • इसमें धूमकेतु की तरह गैसीय कोमा (Coma) और पूंछ है।
    • इसकी कक्षा (Orbit) अत्यधिक विकेन्द्रित (Highly Eccentric) है।
    • अक्टूबर 2025 में यह सूर्य के सबसे नजदीक (1.4 AU) पहुंचेगा।

हालाँकि, इसे इंटरसेप्ट (Intercept) करना संभव नहीं है परंतु इसकी समय पर खोज से वैज्ञानिक इसे पहले से बेहतर तरीके से देख और अध्ययन कर पाएंगे।

वैज्ञानिक महत्व

  • ये खोजें ब्रह्मांड के बारे में नई जानकारी प्रदान करती हैं।
  • यह समझने में मदद कर सकती हैं कि डार्क मैटर (Dark Matter), जीवन की उत्पत्ति और ब्रह्मांड के निर्माण जैसे बड़े प्रश्नों के उत्तर क्या हो सकते हैं।
  • यह पता चल सकता है कि ऐसे पिंड किस प्रकार निर्मित होते हैं और उनके रासायनिक संघटन क्या हैं।

पृथ्वी ग्रह की रक्षा का पहलू

  • ISOs की अनिश्चित गति एवं दिशा से टकराव का खतरा भविष्य में गंभीर हो सकता है।
  • NASA ने DART मिशन और ESA (European Space Agency) के साथ हेरा (Hera) मिशन शुरू किया है ताकि धूमकेतुओं या क्षुद्रग्रहों (Asteroids) को मोड़ने की तकनीक विकसित की जा सके।
  • ESA का Comet Interceptor Mission वर्ष 2029 में लॉन्च होगा जो L2 बिंदु पर रहकर भविष्य में आने वाले ISOs को पकड़ने की कोशिश करेगा।
  • ISRO भी ग्रह रक्षा कार्यक्रमों में भाग लेने में रुचि दिखा रहा है।

भविष्य की दिशा

  • ऐसे पिंडों की जल्दी पहचान के लिए बेहतर टेलीस्कोप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सिस्टम विकसित करने की जरूरत है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना होगा ताकि संभावित खतरों को पहले से पहचानकर निवारण किया जा सके।
  • यह शोध न केवल विज्ञान के लिए बल्कि पृथ्वी की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।

निष्कर्ष

3I/ATLAS और ओउमुआमुआ जैसे पिंड यह सिखाते हैं कि ब्रह्मांड में कई रहस्य छिपे हैं। इनकी खोज से न केवल हमारे वैज्ञानिक ज्ञान का विस्तार होगा बल्कि ग्रह रक्षा के उपायों को भी मजबूती मिलेगी। भविष्य में इनका अध्ययन ब्रह्मांड की उत्पत्ति, जीवन की संभावना तथा पृथ्वी की सुरक्षा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देगा।

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