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AI इम्पैक्ट सम्मेलन 2026: भारतीय पूरक नवाचार एवं वैश्विक परिदृश्य

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण सम्मेलन एवं आयोजन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर)

संदर्भ

दुनिया में तेज़ी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence: AI) एक नई आर्थिक एवं रणनीतिक शक्ति बनकर उभरा है। भारत सरकार द्वारा फरवरी 2026 में नई दिल्ली में इंडिया ए.आई. इम्पैक्ट सम्मेलन (India AI Impact Summit) 2026 का आयोजन किया जाएगा।

AI Impact Summit 2026 के बारे में

  • यह सम्मेलन भारत सरकार द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय AI कार्यक्रम है।
  • इस सम्मेलन के प्रमुख उद्देश्य है:
  • AI के क्षेत्र में देशों को साथ लाना
  • भरोसेमंद वैश्विक साझेदारियां निर्मित करना 
  • AI तकनीक को सबके लिए सुलभ बनाना
  • ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) को AI अपनाने में मदद करना

वैश्विक परिदृश्य और चुनौतियाँ

  • आज AI के संसाधन और प्रोद्योगिकी का बड़ा हिस्सा अमेरिका एवं चीन के पास है।
  • अमेरिका एडवांस कंप्यूटिंग चिप्स और सॉफ़्टवेयर पर नियंत्रण रखता है।
  • चीन के पास क्रिटिकल मिनरल्स का बड़ा भंडार है जो इलेक्ट्रॉनिक्स एवं चिप निर्माण के लिए जरूरी हैं।
  • इन दोनों देशों की नीतियां बदलने पर बाकी देशों की AI प्रगति रुक सकती है।
  • कई बार देशों को इन महाशक्तियों के दबाव में फैसले लेने पड़ते हैं (जैसे- ब्रिटेन ने 2020 में चीन आधारित कंपनी ‘हुवाई’ से संबंध तोड़ लिए)।

मिडल पावर्स और सहयोग का महत्व

भारत, सिंगापुर, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे मिडल पावर देश अपनी-अपनी AI क्षमताओं का विकास कर रहे हैं। इन देशों का सहयोग मिलकर AI को ग्लोबल साउथ तक पहुँचाने में मदद कर सकता है।

  • फ्रांस का Mistral AI मॉडल खुला एवं पारदर्शी है।
  • स्विट्ज़रलैंड ने मल्टी-लैंग्वेज ओपन सोर्स LLM लॉन्च किया है।
  • जापान और कोरिया के पास मजबूत R&D और हार्डवेयर इकोसिस्टम है।
  • भारत ने DPI सिस्टम (जैसे- आधार, UPI) बनाकर डाटा एक्सेस को आसान बनाया है। 

भारत का योगदान: पूरक नवाचार

  • भारत का सबसे बड़ा लाभ उसकी पूरक नवाचार क्षमता है। इसका अर्थ है ऐसी तकनीक एवं सेवाएँ जो AI के मौजूदा संसाधनों को और प्रभावी बनाती हैं।
    • उदाहरण: IIT मद्रास और Ziroh Labs का Kompact AI; यह मॉडल GPU के बजाय सस्ते CPU पर AI संचालन की सुविधा देता है।
  • भारत के ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) दुनिया भर के R&D हब बन गए हैं और 90% में AI पर काम हो रहा है।
  • भारत ने अपने DPI को अन्य देशों को निर्यात करके दिखाया है कि वह ग्लोबल AI अपनाने की राह आसान बना सकता है।

भारत का रणनीतिक महत्व

  • भारत AI एप्लिकेशन कैपिटल बन सकता है अर्थात दुनिया को AI अपनाने में मदद करने वाला सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म।
  • भारत की रणनीति तीन स्तर पर काम कर सकती है:
    1. लोकल डिवाइस पर AI को सक्षम बनाना (कम संसाधनों में भी AI चल सके)
    2.  डिजिटल सेवाओं का फायदा आम लोगों तक पहुँचाने के लिए DPI को मजबूत करना
    3. AI सेवाओं का वैश्विक निर्यात करना और अधिक देशों में अपना प्रभाव बढ़ाना

सम्मेलन के निहितार्थ

इंडिया ए.आई. इम्पैक्ट सम्मेलन 2026 भारत के लिए एक बड़ा मंच है, जहाँ:

  • ग्लोबल साउथ की आवाज़ को मजबूत किया जा सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर AI गवर्नेंस, फ्रेमवर्क एवं स्टैंडर्ड बनाने पर चर्चा होगी।
  • सप्लाई चेन को मजबूत करके दुनिया को अमेरिका-चीन पर निर्भरता से बचाया जा सकता है।

निष्कर्ष

इंडिया ए.आई. इम्पैक्ट सम्मेलन, 2026 भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। यह सिर्फ तकनीकी सम्मेलन नहीं है बल्कि भारत के लिए वैश्विक AI नेतृत्व की दिशा में एक बड़ा कदम है। भारत अपनी पूरक नवाचार क्षमता से ग्लोबल साउथ के देशों को AI अपनाने में मदद कर सकता है और दुनिया को एक भरोसेमंद एवं संतुलित AI भविष्य प्रदान कर सकता है।

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